उपराष्ट्रपति चुनाव, बिहार इलेक्शन या J-K को स्टेटहुड... 5 अगस्त से पहले किस ओर इशारा कर रहीं राजनीतिक हलचलें?

पिछले कुछ दिनों में सियासी हलचल जिस तरह तेज़ हुई है, उससे ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई बड़ा कदम उठाया जा सकता है. रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की, जिसने इन अटकलों को और हवा दे दी.

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पीएम मोदी और अमित शाह ने रविवार को राष्ट्रपति से मुलाकात की, इससे अटकलों को और हवा मिल गई.(Photo: PTI) पीएम मोदी और अमित शाह ने रविवार को राष्ट्रपति से मुलाकात की, इससे अटकलों को और हवा मिल गई.(Photo: PTI)

जितेंद्र बहादुर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 8:06 PM IST

बीते कुछ दिनों से जिस तरह राजनीतिक महकमे में बड़ी-बड़ी मीटिंग्स चल रही हैं, ऐसे में कयास लगने लगे हैं कि 12 से 15 अगस्त के बीच कुछ बड़ा हो सकता है, लेकिन क्या होने वाला है इस बात की आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं मिल रही है.हालांकि कल (रविवार) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. वहीं, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने हाल ही में गुजरात के केवड़िया का दौरा किया. आज जम्मू-कश्मीर के ऑल जम्मू-कश्मीर शिया एसोसिएशन के अध्यक्ष इमरान रजा अंसारी ने दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की. ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि जम्मू-कश्मीर को लेकर कुछ बड़ा हो सकता है. लेकिन क्या हो सकता है? ये राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. आइए तीन बड़े सियासी घटनाक्रमों से माहौल समझते हैं... 

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1. पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात

पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हुई मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है.इस मुलाकात में क्या बातचीत हुई? इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन ये मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसे समय पर जब देश के दो सबसे बड़े नेता अलग-अलग समय पर राष्ट्रपति से मिल रहे हैं, तो इसकी क्या वजह हो सकती है? 

ये मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब देश में अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. साथ ही विपक्ष बिहार में चुनाव आयोग की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) को लेकर लगातार सवाल उठा रहा है. ऐसे में लोग यह भी पूछ रहे हैं कि क्या 5 अगस्त को कोई बड़ा फैसला होने वाला है. जिसका इस मुलाकात से कोई संबंध है? 

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2. उमर अब्दुल्ला का गुजरात दौरा और PM मोदी ने की तारीफ 

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हाल ही में गुजरात के दौरे पर थे, उन्होंने केवड़िया साबरमती रिवरफ्रंट पर दौड़ लगाई और उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं. साथ ही उन्होंने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के पर्यटन को बढ़ावा देना चाहते हैं. उमर अब्दुल्ला ने अपनी पोस्ट में बताया कि जम्मू-कश्मीर एक शांत और सुरक्षित पर्यटन स्थल है. उन्होंने गुजरात में ट्रैवल एजेंट्स और टूर ऑपरेटर्स से मुलाकात कर उन्हें जम्मू-कश्मीर आने का न्योता भी दिया. इसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उमर अब्दुल्ला की इस पहल की तारीफ करते हुए उनकी पोस्ट को रीपोस्ट किया और लिखा कि 'जम्मू-कश्मीर और देश के बाकी हिस्सों को पर्यटन के जरिए जोड़ने की यह कोशिश सराहनीय है.'इस मुलाकात और बातचीत को लेकर राजनीतिक हलकों में भी चर्चा हो रही है. लोग इसे एक पॉजिटिव संकेत मान रहे हैं कि जम्मू कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग उमर अब्दुल्ला लंबे समय से उठा रहे हैं, उस पर कुछ सकारात्मक कदम बढ़ सकते हैं. राजनीतिक गलियारों में इस तरीके की भी बड़ी चर्चा है कि सत्र के दौरान इस पर बड़ी घोषणा हो सकती है.

3. शिया संगठन के अध्यक्ष ने की अमित शाह से मुलाकात

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ऑल जम्मू-कश्मीर शिया एसोसिएशन के अध्यक्ष इमरान रजा अंसारी ने आज दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति को लेकर विस्तार से चर्चा हुई. बैठक के दौरान अंसारी ने केंद्र शासित प्रदेश के लोगों से जुड़े अहम मुद्दे उठाए, जिनमें आतंकवाद से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की तत्काल आवश्यकता भी शामिल रही. सूत्रों के मुताबिक इमरान रजा अंसारी ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में किए गए प्रयासों की सराहना की,लेकिन यह भी कहा कि कई मामलों में अब भी त्वरित कार्रवाई और लगातार फॉलो-अप की जरूरत है. जानकारी के मुताबिक इस दौरान हाल ही में मनाए गए मुहर्रम के आयोजन का भी ज़िक्र हुआ.अंसारी ने केंद्र और प्रदेश प्रशासन द्वारा दिए गए सहयोग के लिए आभार जताया, लेकिन कुछ पारंपरिक जुलूसों पर लगी रोक को लेकर चिंता भी जताई. उन्होंने आग्रह किया कि धार्मिक स्वतंत्रता और जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए अगले साल से इन जुलूसों को शांतिपूर्वक निकाले जाने की अनुमति दी जाए. हालांकि इस मुलाकात को लेकर कुछ लोग कह रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में कुछ अलग तस्वीर बदलने वाली है, जिस पर लोग सिर्फ गुपचुप बातचीत कर रहे हैं. 

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