राज्यसभा के पीठासीन और परंपरा से विपक्षी एकता तक... मॉनसून सत्र की शुरुआत से समापन तक बदल गया सीन, पारित हुए ये बड़े बिल

मॉनसून सत्र की शुरुआत जब हुई, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ थे. समापन के समय कार्यवाहक सभापति हरिवंश चेयर का चेहरा बन चुके थे. राज्यसभा में जीरो ऑवर के बाद लिस्टेड बिजनेस लेने की परंपरा भी इस बार बदल गई.

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शुरुआती दिन चेयर पर थे जगदीप धनखड़, राज्यसभा में फिर हरिवंश ने संभाली कमान (Photo: ITG) शुरुआती दिन चेयर पर थे जगदीप धनखड़, राज्यसभा में फिर हरिवंश ने संभाली कमान (Photo: ITG)

बिकेश तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 22 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:26 PM IST

संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत 21 जुलाई को हुई थी और समापन 21 अगस्त को हुआ. 21 जुलाई से 21 अगस्त तक की इस तारीखी यात्रा में सदन के भीतर और बाहर, काफी कुछ बदल गया. पूरे सत्र के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच नैरेटिव की लड़ाई चलती रही. ऑपरेशन सिंदूर पर दोनों सदनों में दो-दो दिन चर्चा को छोड़ दें, तो पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया.

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कहने के लिए लोकसभा से 12 और राज्यसभा से 14 बिल पारित या रिटर्न हुए, लेकिन इनमें से ज्यादातर पर चर्चा नहीं हुई. कुछ पर चर्चा हुई भी, तो संक्षिप्त ही. 21 जुलाई से 21 अगस्त के बीच संसद में क्या-क्या बदला, गठबंधनों के गणित में क्या बदलाव हुए और कौन से ऐसे बड़े बिल पारित हुए जिनका बड़ा इम्पैक्ट है?

1- सत्र की शुरुआत से समापन तक बदल गया चेयर का चेहरा

मॉनसून सत्र की शुरुआत से समापन तक उच्च सदन यानी राज्यसभा में चेयर का चेहरा बदल गया. मॉनसून सत्र के पहले दिन 21 जुलाई को राज्यसभा में कार्यवाही का संचालन जगदीप धनखड़ ने किया. तब वह उपराष्ट्रपति थे और इस नाते राज्यसभा के पदेन सभापति. 21 जुलाई की रात ही जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सकीय सलाह का हवाला देकर उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया.

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हालांकि, इसे उसी दिन विपक्षी सदस्यों की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए दिए गए महाभियोग के नोटिस की सूचना सदन में देने के प्रकरण से जोड़कर देखा गया. जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के पीछे वजह चाहे जो भी रही हो, 22 जुलाई से उच्च सदन में चेयर का चेहरा जरूर बदल गया. उपसभापति हरिवंश ने कार्यवाहक सभापति के रूप में कार्यवाही की कमान संभाली और मॉनसून सत्र के समापन तक वही चेयर का चेहरा रहे.

लोकसभा में गतिरोध के कारण महज 37 घंटे ही हो सकी डिबेट (Photo: Screengrab)

2- राज्यसभा की कार्यवाही में बदल गई ये परंपरा

राज्यसभा में चेयर का चेहरा बदला, तो कुछ परंपराएं भी बदलीं. जगदीप धनखड़ के सभापति की कुर्सी पर रहते यह परंपरा रही कि 11 बजे कार्यवाही शुरू होती थी, जीरो ऑवर शुरू होता था और 12 बजे के बाद सदन में लिस्टेड बिजनेस लिए जाते थे. लेकिन उनकी जगह जब से हरिवंश ने कमान संभाली, पहले लिस्टेड बिजनेस लिए जाने लगे और इसके बाद जीरो ऑवर. हालांकि, 28 जुलाई और ऑपरेशन सिंदूर पर 29 और 30 जुलाई को हुई चर्चा छोड़ दें, तो राज्यसभा की कार्यवाही चल ही नहीं पाई और अगर चली भी, तो विपक्ष के बिना चली. 

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3- विपक्ष हुआ एकजुट, ऑनबोर्ड हुई AAP

मॉनसून सत्र की शुरुआत से पहले कांग्रेस ने इंडिया ब्लॉक के घटक दलों की बैठक बुलाई थी. आम आदमी पार्टी ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लेने का ऐलान करते हुए स्पष्ट कहा था कि हम अब इंडिया ब्लॉक का हिस्सा नहीं हैं. हालांकि, पार्टी की ओर से यह भी साफ किया गया था कि टीएमसी, डीएमके और आरजेडी जैसे दलों के साथ मुद्दों पर आधारित समर्थन का आदान-प्रदान जारी रहेगा.

मॉनसून सत्र समाप्त होते-होते आम आदमी पार्टी भी इंडिया ब्लॉक के साथ आ गई, मुद्दों पर आधारित समर्थन ही सही. एसआईआर और कथित वोट चोरी पर चर्चा की मांग के मुद्दे पर पंजाब की सत्ताधारी पार्टी विपक्षी दलों के साथ रही, वहीं उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी उम्मीदवार के रूप में सुदर्शन रेड्डी के नाम का जब ऐलान हुआ, डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा- आम आदमी पार्टी भी ऑनबोर्ड है.

4- सदन के भीतर और बाहर नैरेटिव वॉर
 
सदन के भीतर और बाहर, पूरे सत्र के दौरान नैरेटिव वॉर छिड़ा दिखा. सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर और एसआईआर पर चर्चा की मांग को लेकर सत्तापक्ष को घेरा. ऑपरेशन सिंदूर पर दोनों सदनों में 16-16 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई भी. लेकिन एसआईआर पर चर्चा से सरकार ने किनारा किया. सरकार की ओर से सदन के नियमों का हवाला दिया गया, कहा गया कि यह मामला कोर्ट में है और नियमों के मुताबिक इस पर चर्चा नहीं की जा सकती.

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यह भी पढ़ें: लोकसभा में गिरफ्तार मंत्रियों को हटाने के बिल का जोरदार विरोध, विपक्षी सांसदों ने कॉपी फाड़ी, अमित शाह की ओर फेंके कागज

विपक्ष इस सत्र के पहले से अंतिम दिन तक,  वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का नैरेटिव सेट कर नैतिकता के मोर्चे पर सरकार की किलेबंदी करने का पुरजोर प्रयास करता नजर आया. समापन से ठीक पहले सरकार ने लगातार 30 दिन गिरफ्तारी के बाद पीएम, सीएम और मंत्रियों को 31वें दिन पद से हटाने के लिए 130वें संविधान संशोधन का बिल लाकर काउंटर अटैक कर दिया. विपक्ष इसे गैर एनडीए सरकार वाले राज्यों की सरकार अस्थिर करने के लिए लाया गया बिल बता रहा है.

लोकसभा में अमित शाह पर फेंके गए कागज (Photo: PTI)

वहीं, सत्तापक्ष इसे राजनीति में नैतिकता को बढ़ावा देने से जुड़ा बिल बताते हुए विरोध करने के लिए विपक्ष को कठघरे में खड़ा कर रहा है. हालांकि, यह बिल पेश होते ही गृह मंत्री अमित शाह ने इसे जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव कर दिया. जेपीसी अगले सत्र के पहले हफ्ते के अंतिम दिन अपनी रिपोर्ट देगी.

5- ऑनलाइन गेमिंग से इनकम टैक्स तक, पारित हुए 12 बिल

मॉनसून सत्र के दौरान सरकार की ओर से लोकसभा में कुल 14 बिल पेश किए गए. पीएम-सीएम, मंत्रियों की गिरफ्तारी वाले विधेयक को जेपीसी और जनविश्वास विधेयक को सलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया गया. वहीं, अन्य 12 बिल पारित हुए. पारित हुए महत्वपूर्ण विधेयकों में रियल मनी गेमिंग पर बैन का प्रावधान करने वाला ऑनलाइन गेमिंग बिल, इनकम टैक्स बिल, मणिपुर का बजट और अनुदान मांगें, खान एवं खनिज विधेयक, गुवाहाटी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की स्थापना से जुड़े बिल शामिल हैं.

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यह भी पढ़ें: संसद का मॉनसून सत्र हंगामे के हवाले... लोकसभा में 31% तो राज्यसभा में 38 फीसदी काम, जनता के 204 करोड़ बर्बाद!

लोकसभा से पारित हुए ये बिल

-इनकम टैक्स बिल
-द टैक्सेशन लॉज (अमेंडमेंट) बिल
-नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल 2025
-नेशनल एंटी डोपिंग (संशोधन) बिल 2025
-प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 
-गोवा विधानसभा में एसटी रिजर्वेशन का बिल
-खान एवं खनिज विधेयक 2025
-कोस्टल शिपिंग बिल
-मर्चेंट शिपिंग बिल 2025
-मणिपुर जीएसटी बिल 2025
-मणिपुर विनियोग विधेयक 2025
-IIM गुवाहाटी की स्थापना का बिल

राज्यसभा से पारित हुए ये बिल

-लैडिंग बिल 2025
-कोस्टल शिपिंग बिल 2025
-मर्चेंट शिपिंग बिल
-समुद्र से माल वहन विधेयक
-गोवा विधानसभा में एसटी रिजर्वेशन का बिल
-नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल
-नेशनल एंटी डोपिंग (अमेंडमेंट) बिल
-इंडियन पोर्ट्स बिल
-खान एवं खनिज विधेयक
-IIM गुवाहाटी की स्थापना का बिल

राज्यसभा से रिटर्न हुए ये बिल

-मणिपुर जीएसटी बिल
-मणिपुर विनियोग विधेयक
-इनकम टैक्स बिल
-टैक्सेशन लॉज (अमेंडमेंट) बिल

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