नेशनल हेराल्ड केस में विशेष अदालत ने गांधी परिवार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चार्जशीट का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है. विशेष अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल गोगने की कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी के साथ ही नेशनल हेराल्ड केस में अन्य आरोपियों को फौरी राहत दे दी है. कोर्ट के इस फैसले के साथ ही गांधी परिवार के खिलाफ इस मामले का ट्रायल अब थम गया है.
नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट के इस फैसले का प्रभाव क्या होगा? अब इसे लेकर बात होने लगी है. अगर कोर्ट चार्जशीट स्वीकार करता, तो गांधी परिवार को इस मामले में आरोपी के तौर पर समन जारी किया जाता. ऐसा नहीं हुआ, इसलिए इसे गांधी परिवार के लिए बड़ी राहत और जांच एजेंसी ईडी के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है.
ईडी के लिए यह इसलिए झटका है, क्योंकि कोर्ट ने कहा है कि सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ी जांच और चार्जशीट कानूनी रूप से बनाए रखने योग्य नहीं है. कोर्ट ने यह उल्लेख भी किया है कि संबंधित मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. कोर्ट के चार्जशीट स्वीकार नहीं करने की वजह से अब इस मामले में ट्रायल नहीं चल सकेगा.
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हालांकि, यह राहत प्रक्रिया के आधार पर है और आरोप के गुण-दोष से इसका कोई लेना-देना नहीं है. कोर्ट ने आरोपियों के दोषी या निर्दोष होने को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है. पीएमएल के तहत कार्यवाही से आरोपियों को राहत इसलिए मिल गई, क्योंकि बिना एफआईआर के मनी लॉन्ड्रिंग का केस आगे नहीं बढ़ सकता. बिना एफआईआर के ईडी की शिकायत कानूनी रूप से नहीं टिक पाई.
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अब आगे क्या?
ईडी की चार्जशीट कोर्ट में गिर जाने के बाद अब नजरें आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की ओर से दर्ज एफआईआर पर टिक गई हैं. ईडी उस एफआईआर को लेकर क्या कदम उठाती है, किस तरह से आगे बढ़ती है, अब आगे की कार्यवाही इस पर निर्भर करेगी. कोर्ट का यह आदेश गांधी परिवार के पक्ष में कानूनी प्रक्रिया की मजबूती को दर्शाता है. गांधी परिवार को फिलहाल लंबी आपराधिक प्रक्रिया समन, आरोप तय होने और ट्रायल से राहत मिल गई है.
सृष्टि ओझा