मुर्शिदाबाद हिंसा का जिम्मेदार कौन? ममता सरकार ने कलकत्ता HC में पेश की जांच रिपोर्ट

बंगाल सरकार का कहना है कि हिंसा के बाद स्थिति सामान्य होती दिख रही है. हालांकि, पीड़ित परिवार अभी भी सुरक्षा की मांग कर रहे हैं और इंसाफ चाहते हैं. राज्य सरकार ने उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई की है और पीड़ितों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है, लेकिन हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों ने मुआवजे को ठुकरा दिया और न्याय की मांग की है.

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मुर्शिदाबाद हिंसा की तस्वीर मुर्शिदाबाद हिंसा की तस्वीर

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 17 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 11:33 PM IST

देश में इस वक्त दो ही बड़े मुद्दे हैं, पहला है वक्फ कानून के नाम पर पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा और दूसरा है वक्फ पर सुप्रीम कोर्ट में छिड़ी कानूनी लड़ाई. हम सबसे पहले बात करेंगे मुर्शिदाबाद में हुई हिंदू विरोधी हिंसा की. उपद्रवियों ने जानबूझकर हिंदुओं को टारगेट किया था, और ये बात हम नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल सरकार की रिपोर्ट कह रही है.

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पश्चिम बंगाल सरकार ने कोलकाता हाईकोर्ट में बताया है कि मुर्शिदाबाद में उन्मादी भीड़ ने हिंदुओं को टारगेट किया था. मुर्शिदाबाद में 8, 11 और 12 अप्रैल को वक्फ कानून के विरोध में जबरदस्त हिंसा हुई थी, और इन तीन दिनों में क्या-क्या हुआ था - रिपोर्ट में बताया गया है.

पश्चिम बंगाल सरकार की रिपोर्ट में क्या है?

1. 8 अप्रैल का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में बताया गया है कि, इस दिन जंगीपुरा में 8 से 10 हजार लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई थी. यहां पर कुछ संगठन वक्फ कानून के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले थे, लेकिन बाद में इन लोगों ने वहां का हाईवे जाम कर दिया. जब पुलिस ने उनसे हटने के लिए कहा तो भीड़ उग्र हो गई और उन्होंने हमला शुरू कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, हमलावर भीड़ के हाथों में घातक हथियार थे और ये लोग पुलिसकर्मियों को जान से मारना चाहते थे.

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2. 11 अप्रैल को हुई हिंसा को लेकर बताया गया है कि इस दिन जुमे की नमाज के बाद हाईवे जाम करने की कोशिश की गई थी. करीब 2000 की संख्या में मुस्लिम भीड़ ने रोड को जाम कर दिया था और ये लोग भड़काऊ नारेबाजी कर रहे थे. जब पुलिस ने उनको रोकने की कोशिश की, तो भीड़ ने उनपर पथराव शुरू कर दिया. बाद में भीड़ ने आसपास की दुकानों और मकानों में तोड़फोड़ शुरू कर दी. उपद्रवियों ने अपनी पहचान छिपाने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी तोड़ दिए थे.

3. 12 अप्रैल को हुई हिंसा का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में बताया गया है कि शमशेर गंज में एक मस्जिद के पास भीड़ इकट्ठा हुई. इसके बाद इस भीड़ ने वहां के हिंदू परिवारों के घरों में तोड़फोड़ शुरू कर दी और पुलिस के रोकने पर उनपर भी पथराव किया गया.

4. रिपोर्ट में इस बात पर भी मुहर लगाई गई है कि सोशल मीडिया के जरिए लोगों को इकट्ठा करने और भड़काने की कोशिश की गई थी. बंगाल पुलिस की साइबर क्राइम विंग ने 1500 से ज्यादा सोशल मीडिया यूजर्स की लिस्ट तैयार की है, जिनपर भीड़ को भड़काने का शक है, और इसमें फेसबुक, एक्स, यूट्यूब, और इंस्टाग्राम यूजर्स शामिल हैं.

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पीड़ितों पर नहीं ममता की नजर, बीजेपी ने उठाया फायदा!

मुर्शिदाबाद हिंसा अब एक ऐसा मुद्दा बन गया है, जिसके पीड़ित राज्य सरकार को नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन विपक्ष के लिए वो घातक हथियार बन गए हैं. ममता सरकार हिंसा पीड़ित हिंदू परिवारों की सुध नहीं ले रही है, और इसी का फायदा बंगाल बीजेपी ने उठाया है.

पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांता मजूमदार कुछ पीड़ितों को लेकर राज्यपाल सीवी आनंद बोस से मिलने पहुंच गए. इन हिंदू परिवारों ने उपद्रव के दौरान उनके साथ हुए अत्याचार की कहानियां बताईं और उन्होंने मांग की है कि उनके इलाके में बीएसएफ का कैंप लगाया जाना चाहिए, ताकि वो सुरक्षित महसूस कर सकें. बंगाल के राज्यपाल ने भी हिंसा के बाद अब हालात का जायजा लेने के लिए मुर्शिदाबाद जाने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि वो खुद देखना चाहते हैं कि उपद्रवियों ने कितने बड़े पैमाने पर हिंसा की है और वहां के पीड़ितों का हाल क्या है.

मुर्शिदाबाद में PFI के एक्टिव होने का दावा

मुर्शिदाबाद हिंसा पर बीजेपी नेता सुकांता मजूमदार ने एक बड़ा दावा किया है. उनका आरोप है मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा एक सुनियोजित हिंसा थी, जिसमें धार्मिक स्थलों के लाउडस्पीकर से उन्मादी भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया गया था. उन्होने इस हिंसा के लिए प्रतिबंधित संगठन PFI पर भी आरोप लगाया है और उनका कहना है कि पिछले काफी समय से मुर्शिदाबाद में PFI एक्टिव है और उनके ही इशारे पर हिंसा की योजना बनाई गई थी.

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इस हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल पुलिस ने अभी तक 60 FIR दर्ज की हैं, और करीब 315 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने 11 सदस्यों की एसआईटी का गठन भी कर दिया है, और पुलिस ने अभी तक जो कार्रवाई की है, उसमें उनकी बड़ी उपलब्धि यही है कि, पुलिस ने जाफराबाद में मारे गए गोविंद और चंदन दास के हत्यारों को भी गिरफ्तार कर लिया है.

पुलिस के मुताबिक, फिलहाल मुर्शिदाबाद में हालात सामान्य हैं और पलायन करके गए परिवार धीरे-धीरे अपने घर लौट रहे हैं, लेकिन क्या सच में हालात वही हैं जो पुलिस कह रही है? सच ये है कि, उपद्रव के 6 दिन भी हिंदुओं की घर वापसी नहीं हुई है. जिन हिंदू परिवारों ने उपद्रवियों से डर से अपना घर छोड़ दिया था, वो अलग-अलग जगहों पर शरणार्थी की तरह रह रहे हैं.

आजतक की टीम भी पहुंची जाफराबाद, पीड़ित परिवार से की बात

आजतक की टीम जाफराबाद के एक शरणार्थी कैंप में पहुंची थी, जहां पर बड़ी संख्या में पीड़ित हिंदू परिवार रह रहे थे. हमने उन पीड़ितों की आपबीती सुनी, जिनके घर उपद्रवियों ने जला दिए थे. यहां मौजूद लोगों ने पूरे जिले में BSF की तैनाती की मांग की है. पीड़ितों ने दावा किया है कि उपद्रवियों में ज्यादातर स्थानीय लोग शामिल थे.

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ममता सरकार ने पीड़ितों से मुलाकात तो नहीं की, लेकिन मुआवजे का ऐलान जरूर कर दिया है, लेकिन क्या मुआवजे की रकम से पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लग जाता है? इस सवाल का जवाब मुर्शिदाबाद हिंसा में मारे गए गोविंद और चंदन दास के परिवार से पूछना चाहिए, जिन्होंने मुआवाजे की रकम को लेने से इनकार कर दिया है और वो सिर्फ इंसाफ चाहते हैं.

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