'मोहन भागवत को अरेस्ट करने के ऑर्डर थे...', पूर्व ATS अधिकारी का मालेगांव ब्लास्ट केस पर बड़ा खुलासा

पूर्व ATS अधिकारी महबूब मुजावर ने आज तक से बातचीत में बताया कि मालेगांव ब्लास्ट के बाद उस समय के जांचकर्ता अधिकारी परमवीर सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) चीफ मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे.

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रिटायर्ड अधिकारी महबूब मुजावर ने मालेगांव केस में बड़ा खुलासा किया. (Photo: ITG) रिटायर्ड अधिकारी महबूब मुजावर ने मालेगांव केस में बड़ा खुलासा किया. (Photo: ITG)

अभिजीत करंडे

  • मुंबई,
  • 01 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:31 PM IST

2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में गुरुवार को एनआईए की स्पेशल अदालत ने सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया. अब इस मामले पर पूर्व ATS अधिकारी महबूब मुजावर ने बड़ा खुलासा किया है.

पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने आज तक से बातचीत में बताया कि मालेगांव ब्लास्ट के बाद उस समय के जांचकर्ता अधिकारी परमवीर सिंह और उनके ऊपर के आला अधिकारियों ने मुझे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) चीफ मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे.

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उन्होंने यह भी बताया कि देश में 'भगवा आतंकवाद' के कॉन्सेप्ट को सिद्ध करने के लिए उन पर गलत जांच करने का दबाव बनाया गया था. मुजावर ने कहा कि मैंने इसका विरोध किया क्योंकि मैं गलत काम करना नहीं चाहता था. लेकिन मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए. पर मैं इन सभी मामलों में बरी हो गया.

 

 

मुजावर ने कहा कि उन्होंने मुझ पर दबाव बनाया कि मैं मारे गए लोगों को चार्जशीट में जिंदा बताऊं. जब मैंने इससे इनकार किया तो उस समय के आईपीएस अधिकारी परमवीर सिंह ने मुझे झूठे मामले में फंसा दिया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद चाहे भगवा हो या हरा, समाज के लिए सही नहीं है. मुजावर ने ये भी कहा कि वह मालेगांव ब्लास्ट मामले में कोर्ट के फैसले से खुश हैं. 

कोर्ट ने आरोपियों को बरी करते हुए क्या-क्या कहा?

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2008 के मालेगांव बम धमाके मामले में अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत और गवाह मौजूद नहीं हैं. अदालत ने कहा कि सिर्फ नैरेटिव के आधार पर किसी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता. जस्टिस लाहोटी ने फैसले में लिखा कि अभियोजन पक्ष ठोस सबूत और विश्वसनीय गवाह पेश नहीं कर सका.

जस्टिस एके लाहोटी ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा की वकालत नहीं करता. विश्वसनीय सबूतों के अभाव में सातों आरोपियों को बरी किया गया.

जस्टिस लाहोटी ने कहा कि सिर्फ संदेह के आधार पर मामले को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता. अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे साबित करने में असफल रहा है. यह समाज के खिलाफ एक गंभीर घटना थी लेकिन केवल नैतिकता के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. 

अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि कर्नल पुरोहित आरडीएक्स लाए थे या बम को असेंबल किया गया था. इसके भी पुख्ता सबूत नहीं हैं कि अपराध में इस्तेमाल बाइक साध्वी प्रज्ञा का था. घटना के बाद किसने पथराव किया और पुलिसकर्मी की बंदूक किसने छीनी. इसका भी कोई स्पष्ट प्रमाण मौजूद नहीं है. 

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आरोपियों में पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, सुधाकर चतुर्वेदी, रिटायर्ड रमेश उपाध्याय शामिल थे. बता दें कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव के भीकू चौक पर एक दोपहिया वाहन में बम विस्फोट हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और 101 लोग घायल हुए थे. मृतकों में फरहीन उर्फ शगुफ्ता शेख लियाकत, शेख मुश्ताक यूसुफ, शेख रफीक मुस्तफा, इरफान जियाउल्लाह खान, सैयद अजहर सैयद निसार और हारून शाह मोहम्मद शाह शामिल थे.

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