इस्तीफे से पहले धनखड़ का आखिरी दिन कैसा रहा? सुबह सदन में एक्टिव, शाम को BAC की मीटिंग, सांसदों से मुलाकात और रात को रिजाइन

सदन की कार्यवाही के बाद 4.30 बजे बीएसी की एक मीटिंग भी हुई और जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा का सभापति होने के नाते उसकी अध्यक्षता की. मीटिंग में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री एल मुरुगन मौजूद थे, जबकि नेता सदन नड्डा और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू इस मीटिंग में मौजूद नहीं थे.

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राज्यसभा में सामान्य तरह से बीता जगदीप धनखड़ का दिन  (File Photo: PTI) राज्यसभा में सामान्य तरह से बीता जगदीप धनखड़ का दिन (File Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:29 PM IST

देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. साल 2022 में उपराष्ट्रपति चुने गए धनखड़ का कार्यकाल 2027 में खत्म हो रहा था, ऐसे में वह कार्यकाल पूरा न करने वाले देश के तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए हैं. धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे एक भावुक पत्र में अपने इस्तीफे का ऐलान किया है. 

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धनखड़ के इस्तीफे से सियासी हलचल

उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे से सियासी गलियारों में हलचल तेज है और सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक हर कोई हैरान है. सोमवार को ही संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत हुई थी और इस दौरान राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने सामान्य तौर पर सदन की कार्यवाही को संचालित किया. उस दौरान उनके इस्तीफे को लेकर किसी को कोई अंदाजा नहीं था.

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राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सुबह 11 बजे के करीब सभापति धनखड़ ने सबसे पहले नॉमिनेटेड हुए सदस्यों को उच्च सदन की सदस्यता की शपथ दिलाई. इसके बाद सदन की कार्यवाही लंच तक सामान्य तौर पर चलती रही. लंच ब्रेक के बाद राज्यसभा में पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लैंडिंग बिल पेश किया और इस पर चर्चा शुरू हो गई. इस बीच 12.30 बजे उन्होंने बीएसी की बैठक की अध्यक्षता भी की.

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ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग

दोपहर दो बजे के करीब राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया. साथ ही विपक्ष बिहार में चल रहे SIR के मुद्दे को सदन में उठाना चाहता था. विरोध में कांग्रेस के सदस्यों ने उच्च सदन से वॉकआउट कर दिया और बिना विपक्ष के राज्यसभा की कार्यवाही चलती रही.

सदन में करीब 4 बजे सभापति धनखड़ ने बताया कि जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए नोटिस मिला है. 50 से ज्यादा सदस्यों की तरफ से यह नोटिस दिया गया है. हाईकोर्ट जज को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए जरूरी संख्या से यह ज्यादा है. उन्होंने कहा कि अगर एक सदन में प्रस्ताव आए तो प्रीसाइडिंग ऑफिसर के पास यह अधिकार होता है कि वह उसे स्वीकार करे या खारिज कर दे. 

महाभियोग नोटिस की दी जानकारी

उन्होंने सदन को बताया कि अगर दोनों सदनों में एक ही दिन प्रस्ताव आता है, तो यह सदन की प्रॉपर्टी हो जाता है. मुख्य न्यायाधीश, हाईकोर्ट के एक चीफ जस्टिस और एक सदस्य को लेकर तीन सदस्यीय कमेटी बनाई जाती है. इस कमेटी की रिपोर्ट के बाद स्पीकर या चेयरमैन प्रस्ताव पर फैसला ले सकते हैं. जगदीप धनखड़ ने इस नोटिस पर संज्ञान लिया था और उन्हें मंगलवार को इस बारे में आगे फैसला लेना था.

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इस बीच सदन में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर गहमा-गहमी भी देखने को मिली. राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा 'खड़गे जी ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू की जो नियमों के खिलाफ है. हम ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करेंगे. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के बीच में टोकने पर कहा, 'यह क्या है? कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा और हम जो कहेंगे वही रिकॉर्ड में जाएगा.' नड्डा ने बाद में इस पर सफाई दी कि उन्होंने चेयर के लिए ऐसा नहीं कहा था.

दूसरी बार बीएसी की मीटिंग हुई

सदन की कार्यवाही के बाद 4.30 बजे बीएसी की दूसरी मीटिंग भी हुई और जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा का सभापति होने के नाते उसकी अध्यक्षता की. मीटिंग में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री एल मुरुगन मौजूद थे, जबकि नेता सदन नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू इस मीटिंग में मौजूद नहीं थे. इससे जगदीप धनखड़ नाराज बताए जा रहे थे.

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद नड्डा ने भी इस बारे में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह किसी जरूरी संसदीय कार्य की वजह से बीएसी की मीटिंग में शामिल नहीं हो पाए थे और इस बार में उपराष्ट्रपति कार्यालय को पहले ही जानकारी दी गई थी. हालांकि विपक्ष इस मीटिंग और जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से जोड़कर देख रहा है. 

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कांग्रेस सांसदों से की मुलाकात

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि नड्डा और रिजिजू के बीएसी मीटिंग में न आने से जगदीप धनखड़ नाराज थे. उन्होंने कहा कि जगदीप धनखड़ नियमों, प्रक्रियाओं और मर्यादाओं के पक्के थे. लेकिन उन्हें लगता था कि उनकी भूमिका में लगातार इन बातों की अनदेखी हो रही है.

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जयराम रमेश ने बताया कि शाम को करीब 5 बजे प्रमोद तिवारी और अखिलेश प्रसाद सिंह के साथ वह सभापति धनखड़ से मिले थे. जयराम ने कहा कि सब कुछ सामान्य लग रहा था क्योंकि धनखड़ ने कहा कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक मंगलवार सुबह 10 बजे होगी. उन्होंने इसके बाद शाम सात बजे के करीब धनखड़ को फोन भी किया था और तब धनखड़ अपने परिवार के साथ थे और उन्होंने कहा कि वह कल यानी मंगलवार को उनसे बात करेंगे. 

राष्ट्रपति को भेजा अपना इस्तीफा

इसके बाद रात 9 बजे के करीब उपराष्ट्रपति के ऑफिशियल एक्स हैंडल से उनके इस्तीफे की खबर आई. इसमें जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति को लिखे एक भावुक पत्र में तत्काल प्रभाव से अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. इस चिट्ठी में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया और सभी सांसदों से प्यार और सम्मान मिलने की बात कही है.

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