'हाउडी मोदी और नमस्ते ट्रंप से क्या हासिल हुआ?', ट्रंप के H-1B वीजा फैसले को लेकर ओवैसी ने केंद्र को घेरा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की सालाना फीस 1 लाख डॉलर यानी 88 लाख रुपए कर दी है. इसे लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने भारत सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि यह भारतीय टेक सेक्टर, रेमिटेंस और विदेश में काम करने वाले लोगों के लिए नुकसानदेह है और सरकार की रणनीतिक विफलता को दर्शाता है.

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ओवैसी ने भारत सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए (Photo: PTI) ओवैसी ने भारत सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए (Photo: PTI)

aajtak.in

  • हैदराबाद,
  • 20 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:39 PM IST

अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने H-1B वीजा आवेदन पर 1 लाख डॉलर सालाना फीस लगा दी है. इसका सबसे ज्यादा असर भारतीयों पर पड़ेगा. अमेरिका के इस फैसले के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारत सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं.  ओवैसी ने कहा कि ट्रंप ने H-1B वीज़ा व्यवस्था को लगभग खत्म कर दिया है. भारत के लोग (खासकर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के) इसका सबसे ज्यादा लाभ उठाते थे, वो सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.

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ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया कि H1B वीजा का लगभग 71-72% हिस्सा भारतीयों को दिया जाता है. भारत में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश इसका सबसे ज्यादा लाभ उठाते हैं, भारतीय H1B धारकों का औसत सालाना वेतन लगभग 120,000 डॉलर है, इसमें ज्यादातर लोग टेक सेक्टर में काम करते हैं. ये वेतन उनके परिवारों के लिए भारत में आय का सोर्स बनता है, जो भारत के 125 बिलियन डॉलर के रेमिटेंस (विदेश से पैसे भेजने) में बड़ा योगदान देता है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भारतीय NRI जमा का 37% हिस्सा है.

ओवैसी ने कहा कि मेरी शिकायत ट्रंप से नहीं है, उन्होंने वही किया जो वे चाहते थे. मेरी नाराजगी इस सरकार से है. हाउडी मोदी और नमस्ते ट्रंप से आपको क्या मिला? मैडिसन स्क्वायर गार्डन में जितने भी प्रवासी भारतीय इकट्ठा हुए, उससे क्या फायदा हुआ? जन्मदिन की शुभकामनाएं विदेश नीति की सफलता का पर्याय नहीं हैं. एच1बी वीज़ा हटाने का मकसद सीधे भारतीयों को निशाना बनाना था. अमेरिका द्वारा भारत के साथ अपने संबंधों को खतरे में डालना दिखाता है कि उन्हें हमारे सामरिक महत्व की कोई परवाह नहीं है.  हम अमेरिका के रणनीतिक साझेदार हैं, और अगर वे हमें सहयोगी नहीं मानते, तो यह इस सरकार की विफलता है. 

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'वैश्विक मंच पर हम लगातार अलग-थलग पड़ रहे'

AIMIM प्रमुख ने कहा कि हमें इसे उन हाल की घटनाओं के संदर्भ में देखना चाहिए, जो अमेरिका ने भारत के साथ की हैं.  भारी टैरिफ, पाकिस्तान-अमेरिका व्यापार समझौता, पाकिस्तान-सऊदी अरब समझौता (जो अमेरिका की अनुमति के बिना संभव नहीं हो सकता था) और दुनिया में भारत की कमजोर स्थिति. हमारा पड़ोसी देश हमारा दुश्मन है और वैश्विक मंच पर हम लगातार अलग-थलग पड़ रहे हैं.

'भारत को डॉलर की बजाय रुपये में व्यापार बढ़ाने की जरूरत'

ओवैसी ने कहा कि भारत ने कतर और कई आसियान देशों समेत 18 से अधिक देशों के साथ डॉलर की बजाय रुपये में भुगतान करने के समझौते किए हैं. इन देशों के साथ व्यापार अब रुपये में हो रहा है. हमें इसे सभी बड़े व्यापारिक साझेदारों तक बढ़ाना चाहिए और ट्रंप के दबाव के आगे एक इंच भी नहीं झुकना चाहिए.

'विदेश नीति में भारत मुश्किलों का सामना क्यों कर रहा'

उन्होंने कहा कि मुझे ये देखकर कोई खुशी नहीं हो रही. यह मेरे लिए बड़ाई करने का मौका नहीं है, लेकिन सरकार को सोचना चाहिए कि भारत विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा में इतनी मुश्किलों का सामना क्यों कर रहा है. क्या यह इसलिए है कि आपने इन मुद्दों को केवल दिखावा बना दिया? आखिरकार, नुकसान पीएम मोदी का नहीं, बल्कि आम भारतीयों का हो रहा है.

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