सीमांत इलाकों की आबादी में हो रहे वो बदलाव, जिसके लिए पीएम मोदी को लाल किले से करना पड़ा 'डेमोग्राफी मिशन' का ऐलान

पीएम मोदी ने लाल किले से देश की डेमोग्राफी बदलने में जुटे अवैध घुसपैठियों पर चिंता जाहिर की. पीएम मोदी ने साफ-साफ शब्दों में कहा, 'मैं आज एक चिंता और चुनौती के संबंध में आगाह करना चाहता हूं. सोची-समझी साजिश के तहत देश की डेमोग्राफी को बदला जा रहा है, एक नए संकट के बीज बोए जा रहे हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को किया संबोधित (Photo: PTI) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को किया संबोधित (Photo: PTI)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 3:07 PM IST

झारखंड के बदलते 'डेमोग्राफी' को लेकर आजतक ने ग्राउंड रिपोर्ट की थी, जिसके बाद 2024 विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा 'आबादी के असंतुलन' का बन गया था. बीजेपी ने मुसलमानों की आबादी से आदिवासी समुदाय की आबादी को खतरा बताते हुए झारखंड का पूरा चुनाव 'बांग्लादेशी घुसपैठ' के मुद्दे पर लड़ा था.

बीजेपी घुसपैठ के मुद्दे पर भले ही झारखंड का विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी, लेकिन उसने देश की बिगड़ती 'डेमोग्राफी' को राष्ट्रीय स्तर पर सियासी चर्चा के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया.

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बीजेपी से लेकर आरएसएस तक 'अवैध घुसपैठ' के चलते देश के सीमावर्ती इलाकों में मुस्लिम और हिंदू समुदाय की आबादी में हो रहे बदलाव पर चिंता जाहिर कर रही थी. यह मामला सिर्फ झारखंड तक नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों में बन गया है. यही वजह है कि अब पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए आबादी असंतुलन पर चिंता जताते हुए 'डेमोग्राफी मिशन' शुरू करने का ऐलान किया है.

पीएम मोदी का 'हाई पावर डेमोग्राफी मिशन'

पीएम मोदी ने लाल किले से देश की डेमोग्राफी बदलने में जुटे अवैध घुसपैठियों पर चिंता जाहिर की. पीएम मोदी ने साफ-साफ शब्दों में कहा, 'मैं आज एक चिंता और चुनौती के संबंध में आगाह करना चाहता हूं. सोची-समझी साजिश के तहत देश की डेमोग्राफी को बदला जा रहा है, एक नए संकट के बीज बोए जा रहे हैं. ये घुसपैठिए मेरे देश के नौजवानों की रोजी-रोटी छीन रहे हैं. ये घुसपैठिए मेरे देश की बहन-बेटियों को निशाना बना रहे हैं, यह बर्दाश्त नहीं होगा.'

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये घुसपैठिए भोले-भाले आदिवासियों को भ्रमित करके उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं. यह देश सहन नहीं करेगा, इसलिए जब डेमोग्राफी में परिवर्तन होता है, सीमावर्ती क्षेत्र में यह होता है तो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी संकट पैदा होता है. सामाजिक तनाव के बीज बो देता है. कोई देश अपना देश घुसपैठियों के हवाले नहीं कर सकता है, तो हम भारत को कैसे कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने त्याग और बलिदान से आजादी पाई है. उन महापुरुषों के लिए सच्ची श्रद्धा यह है कि हम घुसपैठियों को स्वीकार नहीं करें, यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी. इसलिए मैं आज लाल किले की प्राचीर से कहना चाहता हूं कि हमने एक 'हाई पावर डेमोग्राफी मिशन' शुरू करने का फैसला किया है. इस मिशन के जरिए जो भीषण संकट नजर आ रहा है, उसको निपटाने के लिए तय समय में अपने कार्य को करेगा.

पीएम मोदी ने क्यों जताई अपनी चिंता

पीएम मोदी ने देश की बिगड़ती डेमोग्राफी पर चिंता जताते हुए जिस तरह घुसपैठिए के द्वारा बहन-बेटियों को निशाना बनाने और आदिवासियों को भ्रमित करके उनकी जमीनों पर कब्जा करने की बात कही है, उससे साफ है कि उनका निशाना झारखंड पर था. झारखंड में यह बात सामने आई थी कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या अवैध तरीके से आकर बसे हैं और वो आदिवासी समाज की लड़कियों से शादी करके बस रहे हैं. मुसलमानों की आबादी से आदिवासी हिंदुओं की आबादी को खतरा है और अगर हिंदू एकजुट नहीं हुए तो उनका अस्तित्व खतरे में आ जाएगा.

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झारखंड में वर्ष 1951 में मुसलमानों की आबादी 8.9 फीसदी थी, जो बढ़कर वर्ष 2011 में 14.5 फीसदी हो गई. यही नहीं, संथाल-परगना के क्षेत्र में कुल 6 जिले आते हैं, जिनमें गोड्डा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज और पाकुड़ शामिल हैं. इन 6 जिलों में मुस्लिमों की संख्या 9 फीसदी से 23 फीसदी हो गई. कहा जाता है कि झारखंड के इस इलाके में मुस्लिमों की आबादी उन लोगों से बढ़ी है, जो बांग्लादेश से घुसपैठ करके भारत में आए हैं.

झारखंड चुनाव में रहा था बड़ा मुद्दा

झारखंड की बिगड़ती डेमोग्राफी को लेकर आजतक की टीम इस इलाके में गई तो देखा गया कि ऐसी कई मस्जिद और मदरसे देखे, जिनका निर्माण पिछले कुछ वर्षों में हुआ है. इससे यह सवाल उठता है कि जब आदिवासी इस इलाके में अपनी जमीनें नहीं बेच सकते हैं तो यहां इन जमीनों पर ये मस्जिदें कैसे बन रही हैं, तो इसके पीछे साजिश नजर आई.

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दरअसल, बहुत सारे मामलों में जब मुस्लिम पुरुषों की शादी आदिवासी समुदाय की महिलाओं से हो जाती है तो वो मुस्लिम पुरुष उस आदिवासी महिलाओं की जमीनों के केयर-टेकर बन जाते हैं. इस तरह ये जमीनें एक खास धर्म के लोगों द्वारा इस्तेमाल होने लगती हैं. इसके अलावा कहा जाता है कि इस क्षेत्र में बांग्लादेश से घुसपैठ करके आए मुसलमानों के लिए अपना आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड बनवाना बहुत आसान है और कुछ इलाके ऐसे भी हैं, जहां मुस्लिम पुरुषों ने गांवों की हिंदू महिला सरपंच से शादी की हुई है और अब गांवों की सत्ता इन्हीं मुसलमानों के पास है.

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20 सितंबर, 2024 को झारखंड में एक चुनावी रैली के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, "एक बार झारखंड की हेमंत सरकार बदल दीजिए, फिर रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को चुन-चुनकर झारखंड के बाहर भेजने का काम बीजेपी करेगी. ये हमारी सभ्यता को नष्ट कर रहे हैं. हमारी संपत्ति को हड़प रहे हैं." इसके बाद अमित शाह ने एक बार फिर तीन नवंबर को अवैध घुसपैठ का मुद्दा उठाते हुए राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर हमला बोला था. कहा था कि इस सरकार ने झारखंड के दरवाजे बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए खोल दिए हैं.

सीमांत इलाकों की बिगड़ी डेमोग्राफी

देश में अवैध घुसपैठ और हिंदू-मुस्लिम की आबादी में असंतुलन का मामला सिर्फ झारखंड तक ही सीमित नहीं, बल्कि आरएसएस असम, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों पर भी चिंता जाहिर कर चुका है. संघ के मुख्य पत्र 'पाञ्चजन्य' की रिपोर्ट में उन जिलों के उदाहरणों का हवाला दिया, जहां हिंदू कथित रूप से धार्मिक अल्पसंख्यक बन रहे हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि मुस्लिम अब असम में सबसे बड़ा समुदाय है. मुस्लिम जनसंख्या विस्फोट ने राज्य के कम से कम नौ जिलों की जनसांख्यिकी बदल दी है और हिंदू वहां अल्पसंख्यक हो गए हैं.

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संघ ने कहा था कि असम में चार दशकों में मुस्लिम आबादी 11 फीसदी बढ़कर 34.22 फीसदी हो गई, जबकि हिंदू आबादी 11 प्रतिशत घटकर 61.46 प्रतिशत रह गई है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया कि कैसे 34.22 प्रतिशत आबादी के साथ मुसलमान सबसे बड़ा समुदाय बन गया है.

वहीं, पश्चिम बंगाल के आठ जिलों में हिंदू आबादी तीन प्रतिशत तक कम हो गई है. मुर्शिदाबाद में मुसलमानों की आबादी 66 फीसदी है और इस इलाके में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और उनकी आबादी सिर्फ 33 फीसदी है. आरोप लगता है कि बांग्लादेश से जो मुसलमान घुसपैठ करके पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में आए, उससे वहां हिंदू अल्पसंख्यक हो गए. इसके अलावा पश्चिम बंगाल के कई जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ के आरोप लगते रहे हैं.

बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से सटा बिहार का सीमांचल इलाका है, जहां पर मुस्लिमों की आबादी 50 फीसदी के करीब है, जिसमें किशनगंज में 70 फीसदी के करीब मुस्लिम हैं. बीजेपी और संघ आरोप लगाते रहे हैं कि सीमांचल के इलाके में भी अवैध रूप से बांग्लादेशी मुस्लिम बस रहे हैं. इसके अलावा नेपाल से सटे उत्तर प्रदेश के बहराइच और उससे सटे हुए जिलों में मुस्लिमों की बढ़ती आबादी को लेकर चिंता जताई जाती रही है.

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उत्तराखंड के डेमोग्राफी बदलाव को लेकर बीजेपी और संघ चिंता जाहिर कर चुके हैं. 2000 में उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में मुस्लिम आबादी दो फीसदी थी, जो अब बढ़कर 14 फीसदी से ज्यादा हो गई है. बीजेपी इस बढ़ती आबादी को राज्य में जनसंख्या असंतुलन की समस्या मान रही है.

उत्तराखंड के मैदानी जिलों के सामाजिक और राजनीतिक समीकरण ऐसे हो गए हैं कि यहां मुस्लिम वोट निर्णायक हो गए हैं. उत्तराखंड के चार मैदानी जिलों में हरिद्वार में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी हो गई है. यहां कुल आबादी का करीब 34 प्रतिशत हिस्सा मुस्लिम है, इसी तरह उधम सिंह नगर जिले में भी 32 फीसदी, नैनीताल जिले और देहरादून जिले में तीस-तीस प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, और अब पौड़ी जिले के मैदानी क्षेत्रों में भी मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ने की बात संघ कहती रही है. उत्तराखंड की इस बढ़ती आबादी को राज्य में डेमोग्राफी चेंज की समस्या माना जा रहा है.

माना जाता है कि यही वजह है कि पीएम मोदी को लाल किले की प्राचीर से 'हाई पावर डेमोग्राफी मिशन' शुरू करने का फैसला किया ताकि हिंदू और मुस्लिम समुदाय की आबादी के बिगड़ते संतुलन का बैलेंस बना सके. ऐसे में देखना है कि सरकार अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए किस तरह की कवायद करती है.

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विधानसभा चुनाव का सेट किया एजेंडा

पीएम मोदी की नजरें आने वाले विधानसभा चुनावों पर भी हैं. उन्होंने घुसपैठ को देश की डेमोग्राफी बदलने का एक बड़ा षड्यंत्र बताते हुए इससे निपटने के लिए मिशन की शुरुआत करने की बात कही है. घुसपैठ का मुद्दा बीजेपी झारखंड जैसे राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी उठा चुकी है. अगले साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल, असम जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, जहां पर पहले से ही हिंदू-मुस्लिम आबादी के असंतुलन का मुद्दा बना हुआ है. ऐसे में पीएम मोदी ने लाल किले से डेमोग्राफी का मुद्दा उठाना काफी अहम माना जा रहा है, जिसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं.

 
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