केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि अरुणाचल प्रदेश और असम के बीच अंतरराज्यीय सीमा विवाद 2023 से पहले सुलझने की संभावना है. उन्होंने दावा किया कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले आठ साल के शासन के दौरान पूर्वोत्तर को उग्रवाद मुक्त बनाने के प्रयास चल रहे हैं. उन्होंने ये भी दावा किया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के 9,000 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है.
अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले के नरोत्तम नगर में रामकृष्ण मिशन स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए, शाह ने कहा, "असम और मेघालय के बीच अंतर-राज्यीय सीमा विवाद का लगभग 60 फीसदी सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है. मुझे विश्वास है कि अरुणाचल प्रदेश और असम के बीच के विवाद को 2023 से पहले सुलझा लिया जाएगा.
क्या है असम-अरुणाचल प्रदेश के बीच सीमा विवाद
असम और अरुणाचल के बीच 804 किमी लंबी सीमा है. अरुणाचल दावा करता है कि जब उत्तर-पूर्वी राज्यों का पुनर्गठन किया गया था, तब कई वन क्षेत्र असम में शामिल हो गए थे. इस विवाद पर एक समिति का गठन हुआ था, जिसने असम के कुछ हिस्सों को अरुणाचल में मिलाने की सिफारिश की थी. इसके विरोध में असम सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई. ये मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है.
उधर, अमित शाह ने कहा, "मणिपुर, जो पहले साल में 200 से अधिक दिनों के लिए बंद और नाकाबंदी के लिए जाना जाता था, अब राज्य में पिछले पांच वर्षों के भाजपा शासन के दौरान बिना किसी बंद के सामान्य रूप से जीवन चल रहा है. शाह ने कहा कि असम के बोडोलैंड क्षेत्र में विद्रोह को बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर के माध्यम से सुलझाया गया था.
उन्होंने कहा, "त्रिपुरा में उग्रवादी समूहों का आत्मसमर्पण और ब्रू शरणार्थी मुद्दे का समाधान मोदी सरकार ने किया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम के कार्बी आंगलोंग में शांति लाने के लिए पहल की है.
पूर्वोत्तर के विकास के लिए त्रिस्तरीय एजेंडा तैयार
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर के विकास के लिए त्रिस्तरीय एजेंडा तैयार किया गया है. "सबसे पहले, हम क्षेत्र की स्वदेशी संस्कृतियों और भाषाओं को संरक्षित और बढ़ावा देंगे. दूसरा, हम पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सभी विवादों को समाप्त करना चाहते हैं और इसे उग्रवाद से मुक्त करना चाहते हैं और तीसरा, हम पूर्वोत्तर के राज्यों को सबसे विकसित बनाना चाहते हैं.
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