प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन (17 सितंबर, 2025) के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनके साथ अपने रिश्तों को लेकर आज तक से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने गुजरात के भुज में 26 जनवरी, 2001 को आए भयंकर भूकंप की यादें भी साझा कीं. अमित शाह ने इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना की.
अमित शाह ने इस प्राकृतिक आपदा को याद करते हुए कहा, 'नरेंद्र मोदी देश में पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं और अब प्रधानमंत्री हैं, उनका जब गुजरात सीएम के रूप में शपथ हुआ तब पंच-सरपंच का चुनाव भी नहीं लड़े थे. तब तक वह अपने जीवन में कोई चुनाव नहीं लड़े थे, एमएलए भी नहीं थे और सीधा मुख्यमंत्री बने. तो ऐसा व्यक्ति जिसने कभी चुनाव नहीं लड़ा हो, एडमिनिस्ट्रेशन के अंदर सर नहीं खपाया हो, उसके सामने गुजरात जैसे समृद्ध राज्य को चलाने की बहुत बड़ी चुनौती थी.'
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उन्होंने आगे कहा, 'मुझे बराबर याद है, नरेंद्र मोदी नवरात्रि के आसपास गुजरात के मुख्यमंत्री बने. नवरात्रि के पहले या दूसरे दिन ही बने. और दीपावली के पहले उन्होंने पूरी योजना बना दी भूकंप से हुई क्षति से निपटने के लिए. सबको भुज ही याद है, लेकिन अहमदाबाद तक भूकंप का प्रभाव पड़ा था. गुजरात के 18 जिले भूकंप की चपेट में आए थे. वह जब दिल्ली में संगठन का काम करते थे, तब भी भुज जाते थे. उन्होंने वहां सारे मंत्री, सारे एमएलए, सारे एमपी, सारे सचिव और मुख्यमंत्री स्वयं, दीपावली एक-एक भूकंपग्रस्त तहसील में मनाने का फैसला किया.'
केंद्रीय गृह मंत्री ने बताया, 'नरेंद्र मोदी ने एक विधायक और एक सचिव को एक तहसील की जिम्मेदारी दी कि आप इसे 26 जनवरी, 2002 से पहले क्लियर करिए. सितंबर में तय किया और 26 जनवरी से पहले इतनी बड़ी समस्या का समाधान करना एक बड़ी चुनौती थी. सचिव और विधायक अपने-अपने लिए निर्धारित तहसीलों में गए तो उन्हें समस्याओं का पता चला. उन्होंने रिव्यू किया, तो खुद उन्होंने ही बताया कि हमारे सर्कुलर में ये-ये गलतियां हैं, जिस कारण चीजें नीचे तक नहीं पहुंचती हैं.'
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उन्होंने आगे कहा, 'मुख्यमंत्री मोदी ने कहा कि भाई आपने ही बनाया है, सुधार लो इसको. इस तरह सारी समस्याओं का समाधान 15 दिन के अंदर हो गया और 26 जनवरी, 2002 तक पूरे देश के मुंह से यही निकला कि गुजरात भूकंप से उभर चुका है. पुनर्वासन का काम तीन वर्षों तक चला, लेकिन 2002 की जनवरी तक मलबे साफ कर दिए गए, नीतियां स्पष्ट हो गई थीं, पुनर्निर्माण शुरू हो चुका था, इंडस्ट्रियल इंवेस्टमेंट शुरू हो गए थे. ये सब काम इतने कम समय के अंदर हो गए थे.'
भुज भूकंप में हुई थीं करीब 20 हजार मौतें
भारत के गणतंत्र दिवस के दिन गुजरात के कच्छ जिले में 26 जनवरी, 2001 को भुज के पास आए विनाशकारी भूकंप ने पूरे देश को हिला दिया था. इस भूकंप को 'भुज भूकंप' या 'गुजरात भूकंप' के नाम से जाना जाता है. सुबह 8:46 बजे शुरू हुए इस भूकंप ने लगभग 2 मिनट तक धरती को हिला दिया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.7 मापी गई. इसका केंद्र भचाऊ तालुका के चबारी गांव से लगभग 9 किमी दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम में था. यह भूकंप इतना तीव्र था कि मर्सेली तीव्रता पैमाने पर इसकी अधिकतम तीव्रता XII (चरम) दर्ज की गई.
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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इसमें 13,805 से 20,023 लोगों की मौत हुई (जिसमें दक्षिण-पूर्वी पाकिस्तान में 18 मौतें शामिल हैं), जबकि 1,67,000 से अधिक लोग घायल हो गए. लगभग 4 लाख घर पूरी तरह नष्ट हो गए, और लाखों लोग बेघर हो गए. कच्छ, भुज, जामनगर, राजकोट और अहमदाबाद जैसे शहरों में भारी तबाही हुई. सड़कों में बड़ी बड़ी दरारें आ गईं, इमारतें ढह गईं, और ग्रामीण इलाकों में गांव उजड़ गए. गणतंत्र दिवस की धूमधाम वाली सुबह अचानक शोक सभा में बदल गई थी.
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