अल फलाह ग्रुप के चेयरमैन और फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. जांच में एजेंसी को पता चला है कि यूनिवर्सिटी ने फंडिंग के जरिए 415 करोड़ रुपये जुटाए थे. एजेंसी ने इस रकम को प्रोसीड्स ऑफ क्राइम माना है. एजेंसी का कहना है कि जावेद के पास और भी दागी संपत्ति या रकम हो सकती हैं, जिसका पता लगाया जाना बाकी है.
ईडी ने लंबी जांच के बाद मंगलवार को जावेद को गिरफ्तार किया था. इसके बाद ईडी ने जावेद को मंगलवार देर रात दिल्ली की एक विशेष PMLA कोर्ट में पेश किया, जहां अदालत ने उन्हें एक दिसंबर तक 13 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया. कस्टडी में रखकर जावेद से पूछताछ की जाएगी. ED ने बताया कि उन्हें मंगलवार रात करीब 11 बजे स्पेशल जज के घर पर पेश किया था.
415 करोड़ की फंडिंग का खेल
ED का आरोप है कि 2018 से 2024 के बीच अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने छात्रों को ठगकर और फर्जी NAAC एक्रेडिटेशन दिखाकर करीब 415 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम जुटाई थी. ये रकम ‘प्रोसीड्स ऑफ क्राइम’ मानी जा रही है. एजेंसी का दावा है कि 415 करोड़ तो सिर्फ शुरुआती आंकड़ा है. जांच आगे बढ़ने पर और भी बड़ी रकम और संपत्तियों का खुलासा हो सकता है.
यूनिवर्सिटी की फीस की रकम का दुरुपयोग
ED ने कोर्ट को बताया कि जावेद अहमद सिद्दीकी यूनिवर्सिटी के सारे वित्तीय फैसलों के पूर्ण रूप से प्रभारी थे. छात्रों से ली गई फीस और अन्य शुल्क की भारी-भरकम रकम को उन्होंने यूनिवर्सिटी के अलावा अन्य कामों में डायवर्ट कर दिया. ये पैसा कहां-कहां गया, इसकी गहन जांच चल रही है.
फर्जी NAAC एक्रेडिटेशन का खेल
मामला सबसे पहले तब सामने आया जब पता चला कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने NAAC से फर्जी ग्रेडिंग हासिल की थी. विश्वविद्यालय ने जो दस्तावेज NAAC को दिए थे, वे फर्जी और मनगढ़ंत थे. इसी फर्जी एक्रेडिटेशन के दम पर यूनिवर्सिटी ने हजारों छात्रों से ऊंची फीस वसूली और दाखिला दिया.
छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़
ED ने कोर्ट में कहा कि इस फर्जीवाड़े से सैकड़ों-हजारों छात्रों का करियर खतरे में पड़ गया. कई छात्रों ने भारी-भरकम फीस देकर दाखिला लिया था, लेकिन डिग्री की वैधता पर सवाल उठने से उनका भविष्य अधर में लटक गया.
पहले से चल रहा था धोखाधड़ी का केस
फरीदाबाद पुलिस ने पहले ही इस मामले में FIR दर्ज की हुई है. FIR नंबर 337/2023 (धारा 420, 467, 468, 471, 120B आदि) के तहत अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश के आरोप हैं. ED ने इसी FIR के आधार पर PMLA के तहत केस दर्ज किया और छापेमारी की थी.
अनीषा माथुर / मुनीष पांडे