महाराष्ट्र में होने वाले निकाय चुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. विभिन्न राजनीतिक दल लगातार जनसभाएं कर रहे हैं और मतदाताओं को साधने की कोशिश में जुटे हैं. इसी बीच एक नया विवाद तब पैदा हुआ जब उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मालेगांव में एक सभा के दौरान कहा कि यदि मालेगांव नगर पंचायत में महायुति के 18-18 उम्मीदवारों को जीत दिलाई जाती है, तो वे जनता से किए हर वादे और मांग को पूरा करेंगे.
अजित पवार ने कहा, “आपके पास वोट है… मेरे पास निधि है… अगर आप कट मारेंगे तो मैं भी कट मारूंगा. अब आपको तय करना है कि क्या करना है.”
यह टिप्पणी मालेगांव नगर पंचायत चुनाव के प्रचार के दौरान आई, जहां पवार एनसीपी उम्मीदवारों के समर्थन में पहुंचे थे. मंच से कहा गया यह बयान तुरंत राजनीतिक बहस का मुद्दा बन गया. विपक्ष ने इसे “खुली धमकी” और “सरकारी धन को निजी संपत्ति की तरह पेश करना” बताया.
महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में महाराष्ट्र विधान परिषद के पूर्व विपक्षी नेता अंबादास दानवे ने अजीत पवार के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. दानवे ने कहा कि यह एक तरह की धमकी है, क्योंकि वोट देना हर नागरिक का अधिकार है और विकास निधि देना भी सरकार का काम है. उन्होंने बताया कि विकास निधि जनता के टैक्स के पैसे से होती है, न कि किसी एक नेता के घर से आती है। ऐसे बयान इलेक्शन कमीशन को गंभीरता से देखने चाहिए.
दानवे ने महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में किसानों की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने बताया कि पिछले दस महीनों में 899 किसान आत्महत्या कर चुके हैं और यह संख्या अभी बढ़ने की संभावना है. मूसलाधार बारिश ने किसानों की फसल को बहुत नुकसान पहुंचाया, लेकिन सरकार की मदद उनमें से ज्यादातर तक नहीं पहुंची. वहीं, सरकार द्वारा जो राहत पैकेज घोषित किया गया था, वह भी पूरी तरह लागू नहीं हुआ है, इसी वजह से किसान आत्महत्या कर रहे हैं.
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दानवे ने सामना में प्रकाशित खबर पर भी बात की जिसमें कहा गया है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना से कई विधायक अब पार्टी छोड़ सकते हैं. उन्होंने माना कि बीजेपी पहले भी ऐसे कई नेताओं से बात कर चुकी है और अब भी कुछ नेता एकनाथ शिंदे की तरफ से बीजेपी में जा सकते हैं.
मालेगांव में एनसीपी और बीजेपी समर्थित दूसरे गुट ने स्थानीय स्तर पर गठबंधन भी बनाया है, इसलिए यहां चुनावी मुकाबला और दिलचस्प हो गया है. पवार की यह टिप्पणी आगामी 2 दिसंबर को होने वाले चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल को और गर्म कर रही है.
विवाद के बाद अजीत पवार ने दी सफ़ाई
अजित पवार ने अपने बयान में कहा कि विरोधी पार्टियों की टिप्पणियां उनका अधिकार हैं, लेकिन वे खुद जो चीजें होते हैं, उन्हीं पर बात करते हैं. उन्होंने बताया कि वे नेताओं की बातों पर ध्यान नहीं देते, बल्कि विकास के कामों को महत्व देते हैं. उन्होंने कहा कि विकास के लिए चाहे केंद्र की निधि हो या राज्य की, उसे सही जगह पर खर्च करना चाहिए और सभी को साथ लेकर चलना चाहिए.
डिप्टी सीएम अजित ने बिहार की स्थिति पर भी कहा कि हर कोई कहता है कि उनकी सरकार आने दो, लेकिन असली फैसला जनता करती है. उन्होंने तेजस्वी यादव की उस बात का जिक्र किया जिसमें तेजस्वी ने कहा था कि उनकी सरकार बने तो हर घर में एक सरकारी नौकरी मिलेगी. डिप्टी सीएम का मानना है कि बोलने का अधिकार सबको है, पर अंत में जनता का विश्वास ही मायने रखता है.
उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग निर्विरोध चुने जाते हैं, वहां कोई फॉर्म नहीं भरता होगा और कोई धमकाने की बात नहीं हुई है. उदाहरण के तौर पर, बारामती में उनके आठ उम्मीदवार बिना किसी विरोध के जीत गए हैं.
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डिप्टी सीएम ने बताया कि जहां संभव होगा, वहां वे मिलकर लड़ेंगे. पुराने और नए दोनों को मौका मिलेगा, इसलिए उम्मीदवारी मांगने वालों की संख्या ज्यादा है. तीनों पार्टियों ने मिलकर समझदारी से फैसले लिए हैं.
विपक्ष का आरोप है कि यह बयान मतदाताओं को दबाव में लाने की कोशिश है, जबकि पवार के समर्थक इसे चुनावी रणनीति बताते हैं. अब मतदाता क्या फैसला लेते हैं, यह आने वाले दिन तय करेंगे, लेकिन पवार की इस टिप्पणी ने चुनावी चर्चा को नए मोड़ पर ला दिया है.
इनपुट: इसरारुद्दीन चिश्ती
दीपेश त्रिपाठी