महाराष्ट्र: ओबीसी नाराज, मराठा आरक्षण देकर फंसी बीजेपी, डैमेज कंट्रोल में जुटे फडणवीस!

महाराष्ट्र में मराठा समाज को आरक्षण देने के फैसले पर आखिरकार रार छिड़ ही गया है. ओबीसी समुदाय के दिग्गज नेता छगन भुजबल ने फडणवीस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मराठा समाज को आरक्षण देने के फैसले को सड़क से लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने तक का ऐलान कर दिया है, जिसे लेकर सीएम फडणवीस डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं.

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मराठा आरक्षण को लेकर सीएम फडणवीस के खिलाफ छगन भुजबल ने खोला मोर्चा (Photo-PTI) मराठा आरक्षण को लेकर सीएम फडणवीस के खिलाफ छगन भुजबल ने खोला मोर्चा (Photo-PTI)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 04 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST

महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने मराठा समाज के आरक्षण की मांग को स्वीकार करके मनोज जरांगे को शांत कर दिया है, लेकिन अब ओबीसी समाज की नाराजगी बढ़ गई है. ओबीसी समुदाय के नेताओं ने सड़क पर उतरकर आंदोलन करने की धमकी दे दी है और कोर्ट में लड़ाई लड़ने का भी ऐलान कर दिया है. इस तरह मराठा समाज से बीजेपी पार पाई थी तो अब ओबीसी ने चिंता बढ़ा दी है.

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महाराष्ट्र में मनोज जरांगे की मांग को मानते हुए फडणवीस सरकार ने 'हैदराबाद गजट' जारी कर मराठा समाज के लोगों को 'कुनबी' जाति का दर्जा देकर बड़ा दांव चला है. कुनबी जाति पहले से ही ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणी में शामिल है. ऐसे में मराठा समाज मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे.

मराठा समाज की मांग को मानकर बीजेपी ने ओबीसी समाज की नाराजगी मोल ले ली है. महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने अब अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ओबीसी समाज की नाराजगी को देखते हुए फडणवीस सरकार अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है.

मराठा आरक्षण देने से नाराज ओबीसी

महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने 'हैदराबाद गजट' को लागू करने की बात को मान लिया है, जिससे मराठों को सीधे कुनबी दर्जा मिल सकेगा. मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र मिलेगा. इससे वे ओबीसी के तहत आरक्षण के हकदार हो जाएंगे. सरकार के इस फैसले के चलते ओबीसी समुदाय बीजेपी से नाराज हो गया है.

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ओबीसी के दिग्गज नेता और राज्य के मंत्री छगन भुजबल ने बुधवार को कैबिनेट बैठक में शिरकत नहीं की. इसके बाद उन्होंने खुलकर फडणवीस सरकार के इस फैसले का विरोध किया. बैठक से पहले वे उप-मुख्यमंत्री अजित पवार से मिले और साफ कर दिया कि मराठा समाज को ओबीसी में शामिल करने से आरक्षण का संतुलन बिगड़ जाएगा. भुजबल ने मराठा समाज को कुनबी प्रमाणपत्र देने के सरकारी आदेश के खिलाफ अदालत तक जाने का ऐलान कर दिया है.

मराठा आरक्षण के खिलाफ कानूनी लड़ाई

भुजबल ने कहा कि मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि सीएम फडणवीस मराठा समाज को लेकर ऐसा फैसला करेंगे. इस मामले को कोर्ट तक ले जाऊंगा और कानूनी लड़ाई लड़ूंगा. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और कैबिनेट उप-समिति ने मराठा आरक्षण के फैसले से पहले न तो मंत्रिमंडल को विश्वास में लिया और न ही ओबीसी समुदाय से चर्चा की. मैंने सोचा भी नहीं था कि उप-समिति और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ऐसा फैसला लेंगे.

राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ ने कहा कि फडणवीस सरकार ने मराठा समाज को आरक्षण देकर ओबीसी समाज के पीठ में छुरा घोंपा है. हम नहीं चाहते थे कि ओबीसी कोटे में से मराठों को आरक्षण दिया जाए. फडणवीस सरकार ने मराठों को ओबीसी का आरक्षण देने का दांव चला है, उसके खिलाफ वे अदालती लड़ाई से लेकर सड़कों तक पर उतरेंगे.

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डैमेज कंट्रोल में जुटे सीएम फडणवीस

मराठा समाज को आरक्षण दिए जाने से ओबीसी समुदाय बीजेपी और फडणवीस सरकार से नाराज हो गया है. अदालत से लेकर सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया है. ओबीसी के सियासी तेवर को देखते हुए फडणवीस सरकार ने आनन-फानन में मराठों की उप-समिति की तर्ज पर ओबीसी के लिए कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है, जिसे डैमेज कंट्रोल के तौर पर देखा जा रहा है.

कैबिनेट ओबीसी उप-समिति का अध्यक्ष बीजेपी नेता और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को बनाया गया है. मंत्री छगन भुजबल, मंत्री गणेश नाईक, मंत्री गुलाबराव पाटिल, मंत्री संजय राठौड़, मंत्री पंकजा मुंडे, मंत्री अतुल सावे और मंत्री दत्तात्रय भरणे को उप-समिति का सदस्य बनाया गया है. इस समिति में सभी ओबीसी समुदाय के लोग शामिल हैं.

क्या ओबीसी समिति से दूर होगी नाराजगी?

महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि उप-समिति के माध्यम से ओबीसी के लिए विकासात्मक निर्णय लिए जाएंगे. समिति ओबीसी के कल्याण के लिए राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं पर अध्ययन करने के बाद सुझाव देगी. ओबीसी समाज के लिए घोषित की गई योजनाओं तथा महाराष्ट्र राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास महामंडल के माध्यम से लागू की जा रही योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा करना और उसका नियंत्रण करेगी.

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साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग समाज की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति तथा अन्य संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श करेगी. यह समिति अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण संबंधी प्रशासनिक और वैधानिक कार्यों का समन्वय बनाए रखेगी. इस संदर्भ में न्यायालय में लंबित प्रकरणों में शासन की ओर से पक्ष रखने के लिए नियुक्त अधिवक्ताओं से समन्वय करेगी व विशेष अधिवक्ताओं को निर्देश देगी. साफ है कि सरकार इसे ओबीसी समाज की नाराजगी को दूर करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है.

मराठा और ओबीसी के बीच गहरी खाई

महाराष्ट्र सरकार ने साल 2023 में मराठा समाज को कुनबी जाति के तहत आरक्षण देने का रास्ता तलाशा था. इसके खिलाफ ओबीसी समाज नाराज होकर सड़क पर उतर गया था, जिसके बाद सरकार को यह बंद करना पड़ा था. इसके चलते ओबीसी और मराठा एक-दूसरे के विरोधी हो गए हैं. महाराष्ट्र के गांव-गांव में ओबीसी और मराठा के बीच गहरी खाई पैदा हो गई थी और दोनों समाज में तलवारें खिंच गई थीं.

फडणवीस सरकार ने मराठा आरक्षण का स्थायी समाधान तलाशने के लिए 'हैदराबाद गजट' को जारी किया है. इसके जरिए मराठा समाज को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र मिल सकेगा, जिसे लेकर ओबीसी समाज फिर से नाराज हो गया है. ओबीसी समाज की तरफ से जो तेवर दिखे हैं, वो बीजेपी के लिए चिंता का सबब बन सकती हैं. ओबीसी समाज को लग रहा है कि मराठा समाज को कुनबी जाति का दर्जा देने से ओबीसी की दूसरी जातियों को आरक्षण का बहुत नुकसान होगा.

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ओबीसी की नाराजगी महंगी न पड़ जाए?

महाराष्ट्र में करीब 42 फीसदी ओबीसी समाज के वोटर हैं जबकि मराठा समुदाय की आबादी 33 फीसदी है. महाराष्ट्र में ओबीसी वोटों के सहारे बीजेपी ने अपनी सियासी जमीन तैयार की है जबकि मराठा समाज उससे दूर रहा. मराठा समाज का विश्वास जीतने के लिए ही आरक्षण की बात को सरकार ने मान लिया है. सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अब सबूत के तौर पर 'हैदराबाद गजट' काम आएगा. मुझे लगता है कि मराठा समाज को इससे बहुत लाभ मिलेगा.

महाराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार नितिन भांगे कहते हैं कि महाराष्ट्र की सियासत में बीजेपी ओबीसी और मराठा दोनों को साधकर रखना चाहती है, लेकिन मराठा समाज को आरक्षण देकर ओबीसी को अपने साथ रख पाना आसान नहीं है. बीजेपी को ओबीसी समूहों का समर्थन मिलता रहा है, उसमें तेली, बंजारा, पवार, भोयर, कोमटी, सोनार, गोंड और दो दर्जन अन्य जातियां शामिल हैं. बीजेपी ने 'माधव' फॉर्मूला अपनाया था, जिसका इस्तेमाल माली, धनगर और वंजारी के लिए किया था, जो मराठा राजनीति के खिलाफ बीजेपी का प्रयोग था. ऐसे में मराठा समाज को आरक्षण देकर ओबीसी पर पकड़ बनाए रखना आसान नहीं होगा, जिसकी झलक छगन भुजबल ने दिखा दी है.

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