महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में फिर एक बार भूकंप आने की आशंका जताई जा रही है. क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अजित पवार की एनसीपी के कुछ लोगों के संपर्क में होने का दावा शरद पवार गुट ने किया था. उस पर आज शरद पवार ने अपनी चुप्पी तोड़ दी है. उन्होने कहा, “जिन नेताओं से पार्टी की मदद होगी, पार्टी में काम करने वाले कार्यकर्तातों का हौसला बढ़ेगा, ऐसे लोगों की वापसी का स्वागत करने मे कोई समस्या नहीं है. लेकिन जिन-जिन लोगों ने पार्टी में रहने के बाद, पार्टी से लाभ लेने के बाद पार्टी का नुकसान करने का कदम उठाया, उन लोगों के बारे मे पार्टी में के नेताओं की राय ली जाएगी.”
शरद पवार की इस प्रतिक्रिया के बाद महाराष्ट्र में अजित पवार गुट में खलबली मची हुई है. अजित पवार गुट के प्रवक्ता और विधायक अमोल मिटकरी ने इस बारे मे खुलासा करते हुए कहा की “शरद पवार साहब का यह स्टेटमेंट खाली लोगों में और हमारे कार्यकर्ताओं मे भ्रम फैलाने के लिए किया गया है, इसमे कोई तथ्य नहीं है. हमारे विधायक मजबूती से हमारे साथ खडे़ हैं. किसी के कहीं जाने की कोई संभावना नहीं है.”
आम चुनाव में शरद पवार को कामयाबी
लोकसभा चुनाव के नतीजों मे शरद पवार को बड़ी कामयाबी मिली. 10 सीटें लड़कर एनसीपी (शरद पवार) ने 8 सीटें जीती. वहीं, दूसरी ओर अजित पवार ने 4 सीटे लड़ी थी लेकिन सुनील तटकरे की रायगढ़ सीट छोड़कर कोई सफलता नहीं मिली. हालांकि, अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार भी बारामती चुनाव क्षेत्र से अपनी ननंद सुप्रिया सुले से चुनाव हार गईं. लेकिन अजित पवार ने उन्हें राजनीति में फिर से स्थापित करने के लिए राज्यसभा भेज दिया है.
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शरद पवार की पार्टी में कौन से विधायक आ सकते हैं?
लोकसभा चुनाव के नतीजे देखें तो जनता ने इस बार राष्ट्रवादी कांग्रेस और बीजेपी की साझेदारी को पसंद नहीं किया. दोनो पार्टियां एक दूसरे को वोट ट्रान्सफर नहीं कर पाईं. अजित पवार की पार्टी को कुल 3 से 3.5 फीसदी वोट ही मिल सके. इसका जिक्र बीजेपी के अंदरूनी मीटिंग मे भी हुवआ है. अपने-अपने विधानसभा चुनाव क्षेत्र में जो विधायक राष्ट्रवादी या फिर बीजेपी को लीड नही दे पाए, वह अपने राजनीतीक भविष्य को लेकर चिंतित हैं. उन्हें लगता है कि अगर हम विधानसभा चुनावों में भी अजित पवार के साथ रहे और बीजेपी के साथ चुनाव लडे़ तो हमें जनता स्वीकार नहीं करेगी.
दूसरी तरफ पार्टियां तोड़ने का आरोप, गद्दार जैसे नैरेटिव से हो रहा नुकसान भी रोक पाना उन्हें मुश्किल लग रहा है. जीएसटी की मार, किसान के उत्पाद को भाव ना मिल पाना और मराठा-ओबीसी के बीच चल रहा विवाद को देखते हुए मौजूदा सरकार मुश्किल में है. इसलिए अजित पवार के साथ जो अभी 40 विधायक हैं, उनमे से कुछ विधायक जो मराठवाडा और पश्चिम महाराष्ट्र से आते हैं, वह अलग फैसला ले सकते हैं, ऐसा दावा शरद पवार के पार्टी के नेता और विधायक रोहित पवार ने किया है.
शरद पवार के दरवाजे किसके लिए बंद हैं?
एनसीपी में टूट के बाद कई बडे़ नेताओं ने शरद पवार पर निजी हमला बोल दिया था. उनकी राजनीतिक नीतीयां, तत्व और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा पर बडे़ सवाल खडे़ किए थे. इसमे खुद उनके भतीजे अजित पवार, पार्टी के वर्किंग प्रेसिडेंट प्रफुल्ल पटेल, पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष सुनील तटकरे, सीनियर नेता छगन भुजबल और अजित पवार के करीबी और बीजेपी से अच्छे ताल्लुख रखने वाले धनंजय मुंडे का भी नाम है.
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इन नेताओं पर शरद पवार की खासी नाराजगी होने की चर्चा है. इसके अलावा जिन लोगों ने मंत्री पद की शपथ ली थी, उन पर भी शरद पवार के पार्टी के नेताओं ने दो टूक हमला बोला था. अब उन्हें साथ लेना अपने ही हाथ अपने ही मुंह मे डालने जैसा है, ऐसा कुछ विधायक मानते है. तीसरी बात, जिन पर बीजेपी ने ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे और फिर उन्हें साथ लिया, जिस पर शरद पवार की एनसीपी ने हमला बोला उन्हें वापस लेना भी मुश्किल है. क्योंकि पार्टी को फिर से उन पर लगे आरोपों का जिम्मा लेना पड़ सकता है.
अजित पवार के सामने क्या है बड़ा चैलेंज?
विधानसभा चुनाव दो-ढाई महीने की दूरी पर है. अभी विधानसभा का सत्र बाकी है, और बजट भी आना है. इन दो महीनों में अपने चुनाव क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा विकास का बजट मंजूर करवाना विधायकों की प्राथमिकता है. अजित पवार खुद महाराष्ट्र के अर्थ मंत्री है.
फिलहाल, विधायकों को अजित पवार की जरुरत है लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे और सीटों के बंटवारे की बातचीत शुरु हो जाएगी. वैसे-वैसे लोगों को अपने साथ जोड़कर रखने के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है. फिलहाल अजित पवार के साथ राष्ट्रवादी के 40 विधायक है और तीन सांसद हैं. तो शरद पवार के साथ 13 विधायक और 8 सांसद हैं.
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अभिजीत करंडे