बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र में सड़कों के गड्ढों से होने वाली मौतों पर सख्त रुख लेते हुए बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जब भी गड्ढों की वजह से किसी की मौत हो, तो सभी नगर निगमों और सड़क एजेंसियों में कमेटियां बनानी होंगी.
कोर्ट ने कहा है कि मरने वालों के परिजनों को 50 हजार से लेकर 2.50 लाख रुपये तक का मुआवजा देना होगा. जो कमेटियां बनेंगी, वे कहीं से भी जानकारी मिलने पर - चाहे वो मीडिया रिपोर्ट से ही क्यों न हो - मामले का संज्ञान लेंगी.
कोर्ट ने बताया कि ये पैसे उन ठेकेदारों के फंड से दिए जाएंगे जिन्होंने सड़कें बनाई थीं. यानी अब ठेकेदारों को भी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी.
ठेकेदार और अफसरों पर सख्त कार्रवाई
कोर्ट ने कहा है कि जिम्मेदार ठेकेदारों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाए. जब भी किसी गड्ढे के बारे में पता चले, तो उसे 48 घंटों के अंदर भर देना होगा. नहीं तो कार्रवाई होगी.
कितने दिन में मिलेगा मुआवजा
जब कोई मुआवजे के लिए आवेदन करेगा, तो 6 से 8 हफ्ते के अंदर उसे पैसे मिल जाने चाहिए.
अगली सुनवाई कब
कोर्ट ने ये केस 15 नवंबर के लिए रखा है. तब देखा जाएगा कि कितने नगर निगमों ने कमेटी बनाई और कितने आवेदन आए.
डोंबिवली में नाबालिग की मौत का मामला
डोंबिवली में एक छोटा लड़का खुले मैनहोल में गिरकर मर गया था. याचिकाकर्ता रुजू ठक्कर ने कहा कि नगर निगम ने प्रोटेक्टिव ग्रिल लगाई ही नहीं थी.
मैनहोल की जानकारी मांगी
बेंच ने सभी नगर निगमों को निर्देश दिया है कि वे बताएं कि उनके इलाके में कुल कितने मैनहोल हैं और कितनों पर सुरक्षात्मक ग्रिल लगी है.
विद्या