'गड्ढों से हुए हादसों के पीड़ितों को मुआवज़ा देने के लिए कोई नीति बन रही?', बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या गड्ढों के कारण हुए घायलों और जान गंवाने वालों के परिजनों को मुआवजा देने के लिए कोई नीति बनाई जाएगी. कोर्ट ने नगर निगमों और ठेकेदारों को जवाबदेह ठहराने पर जोर दिया. वहीं, BMC ने 688 गड्ढों की मरम्मत बाकी होने की जानकारी दी, लेकिन कोर्ट ने आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए और ठेकेदारों पर मामूली जुर्माने को पर्याप्त नहीं माना.

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कोर्ट ने निगमों और ठेकेदारों को जिम्मेदार ठहराने पर जोर दिया (Photo: Representational) कोर्ट ने निगमों और ठेकेदारों को जिम्मेदार ठहराने पर जोर दिया (Photo: Representational)

विद्या

  • मुंबई,
  • 18 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:59 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या राज्य में सभी नगर निगमों को जिम्मेदार ठहराकर गड्ढों के कारण हुए हादसों में घायल या मरे हुए लोगों के परिजनों को मुआवजा देने के लिए कोई नीति बनाई जाएगी.

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस संदेश बी पाटिल की बेंच ने सरकारी वकील ओएस चंदुरकर  से पूछा कि क्या सरकार पीड़ितों और उनके परिजनों को मुआवजा देने के लिए नीति बनाने के लिए तैयार है. बेंच ने कहा कि क्या सरकार गड्ढों के कारण लगने वाली चोटों और मौतों के लिए नीति बना सकती है? साथ ही कहा कि निगमों को उनके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए और उनके कर्मचारियों के वेतन से भी राशि वसूली जाए. ये मामूली जुर्माना नहीं होना चाहिए. उन्हें इसका एहसास होना चाहिए.

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इस बीच मुंबई महानगर पालिका (BMC) ने कहा कि 2025 में कुल 27334 शिकायतों में से 688 गड्ढे अभी भी मरम्मत के लिए बाकी हैं. बीएमसी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सखारे ने कहा कि हमारे पास एक ऐप है, जिससे नागरिक सड़क पर गड्ढों की सूचना दे सकते हैं, एक हॉटलाइन नंबर और एक ट्विटर हैंडल भी है, हमें नागरिकों से 15526 गड्ढों के बारे में शिकायतें मिली हैं और हमारे जूनियर इंजीनियरों ने शहर और उपनगरों में 11808 गड्ढों का पता लगाया है. उन्होंने कहा कि 688 गड्ढे बकाया हैं, जो 48 घंटों के भीतर भर दिए जाएंगे.

हालांकि कोर्ट ने बीएमसी और मुंबई महानगर क्षेत्र के अन्य नगर निगम अधिकारियों को सड़कों की खराब स्थिति के लिए सभी ठेकेदारों को जिम्मेदार ठहराने का निर्देश दिया. ये मामला गड्ढों से होने वाली मौतों पर स्वतः संज्ञान जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आया. बेंच ने पाया कि बीएमसी द्वारा प्रस्तुत आंकड़े वास्तविक स्थिति और मुंबईवासियों की अनुभवों से मेल नहीं खाते.

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पीठ ने सवाल किया कि अगर गड्ढों की संख्या कम हो रही है, तो फिर गड्ढे क्यों बने हुए हैं? गड्ढों की मरम्मत के अलावा आप और क्या कर रहे हैं? कुछ सड़कें बहुत अच्छी बनी हैं, जैसे मरीन ड्राइव, जहां बिल्कुल भी गड्ढे नहीं हैं, लेकिन उपनगरों की स्थिति क्या है? वहां क्या समस्या है? 

हालांकि सखारे ने जवाब दिया कि बीएमसी क्षेत्र के भीतर एमएमआरडीए, पीडब्ल्यूडी, एमएसआरडीसी, पोर्ट ट्रस्ट, म्हाडा जैसी कई अन्य एजेंसियां भी सड़कों का प्रबंधन करती हैं. सभी अधिकारियों को सड़कों के रखरखाव का जिम्मा बीएमसी को सौंपने का आदेश दिया गया था, लेकिन पीडब्ल्यूडी के अलावा किसी भी एजेंसी ने अभी तक ऐसा नहीं किया है. मुंबई में हर काम का श्रेय बीएमसी को दिया जाता है, लेकिन हम अन्य प्राधिकरण की सड़कों की मरम्मत नहीं कर सकते.

कोर्ट ने पूछा कि निर्माण के ठेके कौन देता है और क्या निगमों ने ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है. इस पर सखारे ने कहा कि हमने ठेकेदारों पर 1 लाख से 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. लेकिन कोर्ट ने कहा कि यह रकम करोड़ों के ठेकों के मुकाबले बहुत कम है.

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