अजित पवार ने जमकर की शरद पवार की तारीफ, महिला आरक्षण विधेयक में चाचा की भूमिका को बताया ऐतिहासिक

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने के लिए अपने चाचा एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार की शनिवार को प्रशंसा की, जिसमें स्थानीय निकायों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया था.

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अजित पवार ने शरद पवार की जमकर की तारीफ अजित पवार ने शरद पवार की जमकर की तारीफ

aajtak.in

  • मुंबई,
  • 18 मई 2025,
  • अपडेटेड 4:59 AM IST

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शनिवार को पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान अपने चाचा और एनसीपी (शरद पवार) प्रमुख शरद पवार की जमकर तारीफ़ की. उन्होंने खासतौर पर उस ऐतिहासिक पल को याद किया जब महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों में महिलाओं को 33% आरक्षण देने वाला विधेयक पारित हुआ था.

अजित पवार ने कहा, "साहेब (शरद पवार) उस वक्त मुख्यमंत्री थे और मैं पहली बार विधायक बना था. उन्होंने स्पष्ट कहा था कि जब तक यह बिल पारित नहीं होता, सदन स्थगित नहीं होगा. उस दिन रात 3:30 बजे तक बहस के बाद हमनें विधेयक पास किया."

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महिलाओं की तारीफ

उन्होंने कहा कि अगर महिलाएं घर और बच्चों को संभाल सकती हैं, तो वे गांव या नगरपालिका भी कुशलता से चला सकती हैं. अजित पवार ने कहा, 'महिलाओं में यह आत्मविश्वास है, और इसी सोच के चलते उन्हें आरक्षण दिया गया. जो देश महिलाओं का सम्मान करते हैं, वही आगे बढ़ते हैं.'

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उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आज की लड़कियां हर क्षेत्र में बिना भटके आगे बढ़ रही हैं. उन्होंने सावित्रीबाई फुले और महात्मा ज्योतिबा फुले को भी श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने पुणे में पहली बालिका विद्यालय की शुरुआत कर शिक्षा के नए द्वार खोले.

उन्होंने बताया कि सरकार ने उस ऐतिहासिक स्थान भिडे वाडा को अपने नियंत्रण में ले लिया है और वहां एक भव्य स्मारक का निर्माण कार्य चल रहा है, ताकि फुले दंपति के योगदान को यादगार बनाया जा सके.

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एनसीपी के दो गुटों में होगी सुलह?

अजित पवार की यह सराहना ऐसे समय में आई है जब उनके और शरद पवार के गुटों में सुलह की चर्चा जोरों पर है. हालांकि दोनों पक्षों ने इन अटकलों को सिर्फ "कयासबाज़ी" करार दिया है, लेकिन अजित पवार का यह बयान राजनीतिक हलकों में फिर से सुर्खियों में आ गया है.

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) जुलाई 2023 में विभाजित हो गई थी, जब अजित पवार तत्कालीन एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे. बाद में चुनाव आयोग ने बाएनसीपी का नाम और घड़ी का प्रतीक अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को दे दिया, जबकि शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट को एनसीपी (शरदचंद्र पवार) नाम दिया गया औऱ तुरही चुनाव आवंटित किया गया.

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