बिहार में महागठबंधन के लिए 14 नवंबर का दिन बेहद खराब साबित हुआ. उसे बुरी तरह से विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. हालांकि पड़ोस का राज्य झारखंड उनके लिए थोड़ी राहत लेकर आया. कारण, झारखंड में महागठबंधन में शामिल JMM ने घाटशिला उपचुनाव में शानदार जीत दर्ज की. यहां बीजेपी के उम्मीदवार की करारी हार हुई.
हालांकि आरजेडी, जिसको सबसे ज्यादा नुकसान बिहार में उठाना पड़ा, उसे झारखंड में भी नुकसान हो सकता है. कारण, JMM बिहार में चुनाव लड़ने के लिए एक भी सीट नहीं दिए जाने से नाराज है और उसके एक मात्र मंत्री को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि आरजेडी को झारखंड में भी झटका लग सकता है.
दरअसल, हेमंत सोरेन की JMM का मनोबल सातवें आसमान पर है. 2019 में जब से हेमंत सरकार सत्ता में आई है, तब से लेकर अबतक एक भी उपचुनाव में उसे हार का सामना नहीं करना पड़ा. उसी जीत का सिलसिला घाटशिला में भी बरकरार रहा. घाटशिला सीट अगस्त में तत्कालीन शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के असामयिक निधन से खाली हुई थी.
चंपई सोरेन के बेटे को दी शिकस्त
यहां सीधी टक्कर JMM उम्मीदवार सोमेश चंद्र सोरेन जो स्वर्गीय रामदास सोरेन के पुत्र हैं और चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन के बीच थी. सोमेश सोरेन ने बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ शानदार और बड़ी जीत दर्ज की. सोमेश ने बाबूलाल सोरेन को 38601 मतों के अंतर से करारी शिकस्त दी. सोमेश सोरेन को कुल 104936 वोट मिले जबकि बीजेपी उम्मीदवार बाबूलाल सोरेन को 66335 मत प्राप्त हुए थे. उपचुनाव में सीट पर 74.72% वोटिंग हुई थी.
लोगों का भरोसा हेमंत सोरेन सरकार पर बरकरार
चुनाव के परिणाम से एक बार फिर से साबित हुआ है कि झारखंड में जेएमएम का जलवा बरकरार है. साथ ही लोगों का विश्वास हेमंत सरकार पर कायम है. हेमंत सरकार की योजनाओं पर यहां के ट्राइबल्स भरोसा करते है. घाटशिला में ट्राइबल्स की आबादी 45% है. मैया सम्मान योजना, जिसके तहत 2500 रुपए महिलाओं को प्रति माह दिया जाता है, उससे वोटर्स संतुष्ट हैं. लिहाजा महिलाओं ने यहां जमकर वोटिंग की.
आरजेडी के मंत्री की जाएगी कुर्सी?
बता दें कि झारखंड कैबिनेट में 12 बर्थ हैं और एक बर्थ अभी भी खाली है. उम्मीद है कि पिता के स्थान पर अब वो बर्थ सोमेश सोरेन को ही अलॉट होगी. वहीं बिहार चुनाव का साइड इफेक्ट अब झारखंड में भी दिख सकता है. चर्चा है कि बिहार में चुनाव लड़ने के लिए सीट नहीं दिए जाने से नाराज JMM आरजेडी कोटे से एकमात्र मंत्री संजय यादव को बाहर का रास्ता दिखा सकती है.
सत्यजीत कुमार