झारखंडः अधर में लटका कनहर नदी पर पुल का निर्माण, कम हो जाएगी छत्तीसगढ़ से दूरी

झारखंड के गढ़वा और छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के लोग इस नदी को पार करने के लिए नाव का सहारा लेते हैं. लोग अपनी जान हथेली पर रखकर नौका से आवागमन करने को मजबूर हैं.

Advertisement
जान जोखिम में डालकर आवागमन को मजबूर हैं लोग जान जोखिम में डालकर आवागमन को मजबूर हैं लोग

सत्यजीत कुमार / चंदन कश्यप

  • गढ़वा,
  • 03 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 12:36 AM IST
  • वन विभाग की आपत्ति पर रुका निर्माण कार्य
  • डीएफओ बोले- दे दी है पेड़ काटने की अनुमति

झारखंड और छत्तीसगढ़ को कनहर नदी अलग करती है. झारखंड के नक्सल प्रभावित गढ़वा जिले के धुरकी थाना क्षेत्र के बालचौरा गांव में झारखंड सरकार ने पुल का निर्माण कराने का आदेश दिया था जिससे दोनों राज्यों के बीच की दूरी कम हो और सीमावर्ती लोगों को आवागमन में सुविधा हो. झारखंड सरकार के इस महत्वाकांक्षी पुल के निर्माण पर वन विभाग की आपत्ति ने ब्रेक लगा दिया है.

Advertisement

वन विभाग की आपत्ति के बाद पुल का निर्माण कार्य अधर में लटका है. झारखंड और छत्तीसगढ़ के बीच कनहर नदी पर पुल बनाने के लिए विधायक भानु प्रताप शाही ने काफी प्रयास किया था जिसके बाद राज्य सरकार ने पुल के निर्माण की स्वीकृति दी थी. पुल निर्माण के लिए टेंडर भी हुआ लेकिन टेंडर अलॉट होने के बाद जब निर्माण कार्य शुरू हुआ, वन विभाग ने इस पर आपत्ति जता दिया.

वन विभाग की आपत्ति के बाद काम बंद कर दिया गया. अब यह योजना अधर में लटक गई है. झारखंड के गढ़वा और छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के लोग इस नदी को पार करने के लिए नाव का सहारा लेते हैं. लोग अपनी जान हथेली पर रखकर नौका से आवागमन करने को मजबूर हैं. बालचौरा गांव के सामने कनहर नदी में कई दफा हादसे भी हो चुके हैं.

Advertisement
आवागमन में होती है परेशानी

स्थानीय नागरिकों की मानें तो नदी के दोनों तरफ रहने वाले दोनों राज्यों के लोगों में बेटी-रोटी का रिश्ता है. नदी के पार किसी की ससुराल है तो किसी की कोई और रिश्तेदारी. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाके के लोग बाजार करने के लिए भी गढ़वा आते हैं क्योंकि उनका जिला मुख्यालय वहां से काफी दूर पड़ता है.

क्या कहते हैं पीडब्ल्यूडी के अधिकारी

पुल का निर्माण कार्य करा रहे लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के कार्यपालक अभियंता ने इस संबंध में कहा कि पुल का टेंडर जिसे दिया गया था उसपर वन विभाग ने केस कर दिया और उसका सामान सीज कर दिया. ठेकेदार को वहां से भगा दिया गया. उन्होंने कहा कि वन विभाग से क्लियरेंस मिलने के बाद ही पुल का निर्माण कार्य फिर से शुरू होगा. 

वन विभाग ने दी पेड़ काटने की अनुमति

पीडब्ल्यूडी के अधिकारी ने कहा कि वन विभाग की ओर से पहले चरण के काम के लिए स्वीकृति मिल गई है. ठेकेदार को भी कोरोना हो गया था. वहीं, इस मामले पर वन विभाग के डीएफओ ने बताया कि धुरकी में पुल निर्माण हो रहा था. पुल तक सड़क के निर्माण में विभाग की तीन हेक्टेयर जमीन जा रही थी. जमीन का मुद्दा है. उन्होंने कहा कि नियमों के तहत जमीन के लिए अप्लाई करना होता है. विभाग से पेड़ काटने की अनुमति मांगी गई थी जिसे स्वीकृति दे दी गई है. अब काम पीडब्ल्यूडी को करना है.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement