हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में लगातार बढ़ते आतंकी हमले को लेकर इंडिया टुडे ने जब खुफिया जानकारी की समीक्षा की तब कुछ चौंकाने वाली जानकारी निकलकर सामने आई. खुफिया रिपोर्ट से मालूम पड़ता है कि जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर हाल ही में हुए आतंकवादी हमलों के पीछे पाकिस्तान की सेना का हाथ होने की संभावना है. दरअसल पाक की सेना ने कई गैरकानूनी संगठनों के बीच मध्यस्थता करके उनके बीच काम को बांटने का एक नया सिंडिकेट तैयार किया है.
इसके पीछे की पूरी प्लानिंग की बात करें तो बीते ठंड की शुरुआत में पाकिस्तान के बहावलपुर में कई कुख्यात आतंकवादी संगठनो का जमावड़ा लगा था. इसमें जैश-ए-मोहम्मद (JeM) प्रमुख मसूद अजहर, अल बद्र कमांडर बख्त ज़मीन, हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन और कई अन्य आतंकी शामिल थे. खुफिया रिपोर्टों के अनुसार आतंकियों के बीच यहां एक गठबंधन तैयार हुआ.
इसके बाद विभिन्न आतंकी इकाइयों के बीच भर्ती, प्रशिक्षण, हथियार और गोला-बारूद, फंडिंग, राशन-पानी और प्रचार-प्रसार जैसे कार्यों को विभाजन हुआ और सबको अपना-अपना काम आवंटित कर दिया गया. चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर में जो खून बह रहा है उसके पीछे जो पाक का जो नया आतंकी मंत्रिमंडल जिम्मेदार है उसके बारे में आप यहां जान सकेंगे.
1. बख्त जमीन खान
अफगानिस्तान में आतंक से जुड़े काम को अंजाम देने का अनुभव रखने वाला बख्त जमीन खान एक अनुभवी आतंकवादी है. ऐसा कहा जाता है कि इसने कथित तौर पर अपने भाड़े के सैनिकों के साथ पाकिस्तान की ओर से कारगिल युद्ध में हिस्सा लिया था. अब इसके पास नए आतंकी अभियान के समन्वय की जिम्मेदारी है. उसने स्कूलों और कॉलेजों सहित शैक्षणिक संस्थानों का एक सफल व्यावसायिक नेटवर्क भी तैयार किया है.
बख्त जमीन खान अपने काम-काज के नेटवर्क से आतंक के लिए फंड जुटाता है. इसे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में आतंकी शिविरों में भी जाते देखा गया है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान में कट्टरपंथियों के साथ उसके संबंध बख्त जमीन खान को पाकिस्तानी सेना और मसूद अजहर एवं सैयद सलाहुद्दीन जैसे अन्य आतंकियों के साथ प्रभावी ढंग से समन्वय के लिए एक फिट कैंडिडेट बनाता है.
2. मसूद अजहर
सार्वजनिक जीवन से लगभग पांच साल गायब रहने के बाद अजहर एक बार फिर बिल से बाहर आया है. उसका सार्वजनिक रूप से दिखाई देना इस बात का सबूत है कि उसे पाक इस्टैब्लिशमेंट की ओर से ग्रीन सिंग्लन मिला हुआ है. अजहर के नेतृत्व वाला जैश-ए-मोहम्मद (JeM) पाकिस्तान भर में कई मस्जिदों और ट्रेनिंग कैंप को नियंत्रित करता है.
यहां नए भर्ती होने वाले लोगों को हथियारों का प्रशिक्षण दिया जाता है. पिछले कई दशकों में JeM ने संसाधनों का बड़ा नेटवर्क तैयार कर लिया है. नए भर्ती आतंकियों को इसकी मदद से ठंड के दिनों में कठिन इलाकों में घुसपैठ कराने में मदद मिलती है. अजहर को संयुक्त राष्ट्र सहित कई देशों ने वैश्विक आतंकवादी घोषित किया है.
3. सैयद सलाहुद्दीन
हिज्बुल मुजाहिदीन का संस्थापक सैयद सलाहुद्दीन कई दशकों से कश्मीर में उग्रवाद का चेहरा बना हुआ हैं. हालांकि, समय के साथ बड़े पैमाने पर हमला करने की उनकी क्षमता में कमी आई है. नई व्यवस्था के तहत उनकी भूमिका अब 'कश्मीर स्वतंत्रता संघर्ष' के तहत किशोरों की भर्ती करना है. सलाहुद्दीन भारी सुरक्षा के बीच रावलपिंडी के पास रहता हैं और पाकिस्तान के अलग-अलग जगहों के अलावा वो POK की लगातार यात्राएं करता है. इन यात्राओं के मकसद युवाओं की भर्ती करना है. जिसे बाद में भारत में आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए ट्रेन किया जाता है. अजहर और खान के साथ मिलकर सलाहुद्दीन आतंकी सिंडिकेट को नेतृत्व करने वाले समूह का हिस्सा हैं.
4. सैफुल्ला साजिद जट्ट
सैफुल्ला साजिद जट्ट का असली नाम हबीबुल्लाह मलिक है. इसे लंगड़ा भी कहा जाता है. पाकिस्तान के कसूर का रहने वाला 42 वर्षीय जट्ट लंबे समय से लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़ा हुआ है. सरकारी से संरक्षण प्राप्त जट्ट पाकिस्तान में एक ड्रग स्मगलिंग नेटवर्क चलाता हैं. इसके अलावा यह मनी लॉन्ड्रिंग के काम में भी शामिल है. इसके अलावा इसका नाम ड्रोन के माध्यम से हथियारों की तस्करी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में भी सामने आ चुका है. वह इस अवैध नेटवर्क का उपयोग जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों के लिए आतंकियों की भर्ती करने के लिए करता है. पुंछ और हैदरपोरा में सुरक्षा कर्मियों पर हुए हमलों में इसका हाथ होने की आशंका है.
5. शेख जमील-उर-रहमान
शेख जमील-उर-रहमान वैसे तो जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का निवासी है लेकिन अब पाकिस्तानी नागरिक के रूप में पाक में रह रहा है. भारतीय एजेंसियों द्वारा रिपोर्ट किए गए उसके पाकिस्तानी कंप्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र (CNIC) का नंबर 61101-9814381-9 है. रहमान अपना खुद का संगठन तेहरिक-उल-मुजाहिदीन (TuM) चलाता है. लेकिन, अधिकांश समय वह लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अन्य आतंकवादी ऑपरेटिवों के लिए एक मददगार का काम करता हैं. उसने विस्फोटक की तस्करी और पाकिस्तान नियंत्रित क्षेत्रों के जरिए भारत में आतंकवादियों की एंट्री को आसान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पहले सोशल मीडिया और कुछ मीडिया सेक्शन ने उनकी मौत की गलत खबरें फैलाई थी लेकिन रहमान सिंडिकेट के साथ अब भी सक्रिय हैं.
6. फरहतुल्लाह घोरी
58 साल का फरहतुल्लाह घोरी हैदराबाद का रहने वाला है. वह गुजरात से लेकर आंध्र प्रदेश तक कई आतंकवादी मामलों में नामित हैं. घोरी पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी सिंडिकेट के ऑनलाइन आतंकवादी प्रचार अभियानों के प्रमुख बनाया गया हैं. वह पाकिस्तान स्थित उन कुछ आतंकवादियों में से एक हैं जिनका जम्मू-कश्मीर के बाहर स्लीपर सेल्स पर नियंत्रण है. साथ ही दक्षिण भारत में आतंकवादी मॉड्यूल्स में उनकी संलिप्तता की भी आशंका है. उनकी आवाज नियमित रूप से पाकिस्तान से प्रसारित ऑनलाइन प्रचार में सुनी जा सकती है.
7. सज्जाद गुल
50 वर्षीय सज्जाद गुल श्रीनगर से हैं और फिलहाल में पाकिस्तान में रियल एस्टेट का कारोबार चलाता है. इसे वरिष्ठ कश्मीरी पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या का मास्टरमाइंड माना जाता है. स्थानीय संपर्कों और रियल एस्टेट व्यवसाय का लाभ उठाते हुए वह इस क्षेत्र में आतंकवादी अभियानों के लिए हथियारों की तस्करी में सक्रिय रूप से शामिल हैं.
8. फारूक कुरैशी
फारूक कुरैशी आतंकवादी संगठन अल बरक का नेता है. फारूक PoK में अपने नेटवर्क के कारण एक महत्वपूर्ण ऑपरेटर माना जाता है. उसके पास स्थानीय संसाधनों और लॉजिस्टिक्स की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी है.
9. शहीद फैसल
फरहतुल्लाह घोरी के दामाद शहीद फैसल बेंगलुरू का मूल निवासी है. वह बीते कुछ समय से सिंडिकेट में सक्रिय हुआ है. इंजीनियरिंग ग्रेजुएट फैसल को फरहतुल्लाह घोरी के भारत में ऑनलाइन भर्ती नेटवर्क का मास्टरमाइंड माना जाता है. वह इंटरसेप्ट की गई सूचना में 'कर्नल' के रूप में नकली पहचान वाले ऑपरेटिव्स का हैंडलर भी है.
10. हमजा बुरहान
अल बदर से जुड़ा हुआ हमजा बुरहान को आधुनिक हथियारों और विस्फोटकों की गहरी समझ के साथ एक मास्टर प्लॉटर माना जाता है. उसे सिंडिकेट में नए प्रमुख हैंडलर्स में से एक माना जाता है.
अरविंद ओझा / अंकित कुमार