हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने मंगलवार को कहा कि चंडीगढ़ को लेकर पंजाब सरकार द्वारा राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया गया है. उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार जानती है कि वह रियायतों का वादा कर सत्ता में आई है लेकिन उन वादों को पूरा नहीं कर सकती. पंजाब में श्रीलंका जैसे हालात होने जा रहे हैं, इसलिए यहां के लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इस मुद्दे को तूल देने की कोशिश की जा रही है. हरियाणा विधानसभा द्वारा बुलाए गए विशेष सत्र के दौरान उन्होंने ये बातें कहीं.
पंजाब के प्रस्ताव के खिलाफ संकल्प पत्र पास
हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में सीएम द्वारा पेश संकल्प प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है. विशेष सत्र में राजधानी चंडीगढ़ को लेकर पंजाब विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव के विरोध और SYL (सतलुज यमुना लिंक) निर्माण, हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को देने सहित हरियाणा के हितों से जुड़े मुद्दों के समर्थन में संकल्प प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुआ. इसके बाद हरियाणा विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है.
नई राजधानी के लिए वित्तीय सहायता मिलने तक अड़े रहेंगे
विज ने कहा कि जब तक हमें SYL (सतलुज यमुना लिंक) का पानी, हिंदी भाषी क्षेत्र और नई राजधानी के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता नहीं मिलती, तब तक चंडीगढ़ पर हमारा अधिकार रहेगा.
हरियाणा को कभी न्याय नहीं मिला
गृह मंत्री ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि चार दिन की पार्टी अभी शैशवावस्था में है और यह चंडीगढ़ के बारे में बात कर रही है. उन्होंने कहा कि चाहे शाह आयोग हो या एराडी ट्रिब्यूनल, राजीव-लोगानवाल पुरस्कार हो फिर चाहे इंदिरा गांधी पुरस्कार हो, ऐसे जितने भी कमीशन बनाए गए, इसमें कभी हरियाणा को न्याय नहीं मिला.
1966 से शुरू हुआ SYL पर विवाद
1966 में पंजाब से जब अलग हरियाणा राज्य बना तभी से यह विवाद है. 1976 में दोनों राज्यों में जल बंटवारे को अंतिम रूप दिया गया और इसी के साथ सतलुज यमुना नहर बनाने की बात कही गई. 24 मार्च 1976 को केंद्र ने पंजाब के 7.2 एमएएफ यानी मिलियन एकड़ फीट पानी में से 3.5 एमएएफ हिस्सा हरियाणा को देने की अधिसूचना जारी की थी. हालांकि आज तक पानी के बंटवारे को लेकर विवाद जारी है. नहर के 7.2 एमएएफ पानी में हरियाणा 4.8 एमएएफ पानी मांगता है और पंजाब पूरे 7.2 एमएएफ पानी पर अपना हक जताता है.
सतेंदर चौहान