Exclusive: डॉक्टर उमर के ‘तालिबान-स्टाइल’ क्लासरूम की कहानी... स्टिंग में अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर बड़ा खुलासा

आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी का दौरा किया. यहां छात्रों और कर्मचारियों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए. छात्रों और कर्मचारियों की पहचान की सुरक्षा के लिए उनके नाम गुप्त रखे गए हैं और उनके चेहरे ब्लर किए गए हैं.

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दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े आरोपी डॉक्टर डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल अल-फलाह यूनिवर्सिटी में कभी पढ़ाते थे. (File Photo- ITG) दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े आरोपी डॉक्टर डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल अल-फलाह यूनिवर्सिटी में कभी पढ़ाते थे. (File Photo- ITG)

नितिन जैन / अनमोल नाथ

  • फरीदाबाद,
  • 13 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:46 PM IST

फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी लगातार सुर्खियों में है. यही वह यूनिवर्सिटी है, जहां रेड फोर्ट धमाके से जुड़े दो आरोपी डॉ. मोहम्मद उमर और डॉ. मुजम्मिल कभी पढ़ाते थे. आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने जब विश्वविद्यालय का दौरा किया तो छात्रों और कर्मचारियों ने ऐसे खुलासे किए जिन्होंने सबको चौंका दिया.

छात्रों और स्टाफ से बातचीत के दौरान पता चला कि डॉ. उमर मोहम्मद, जो 10 नवंबर को लाल किले के पास i20 कार ब्लास्ट में आत्मघाती हमलावर था, अपने क्लासरूम में बेहद सख्त नियम लागू करता था. छात्रों के मुताबिक, वह पढ़ाई के दौरान 'तालिबान मॉडल' अपनाता था, जिसमें लड़के-लड़कियों को एक साथ बैठने की इजाजत नहीं थी।

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सुरक्षा के मद्देनजर छात्रों और कर्मचारियों की पहचान और उनके नाम गुप्त रखे गए हैं.

लड़के-लड़कियों को साथ नहीं बैठने देता था उमर

आजतक के खुफिया कैमरे पर एक एमबीबीएस छात्र ने बताया, “हमने मुजम्मिल को कभी नहीं देखा. उमर हमारे बैच के टीचर थे. हमारे बैच में लड़के–लड़कियां साथ बैठते थे और हमें ऐसा अच्छा लगता था, लेकिन वह (उमर) आकर हमें अलग बैठा देते थे."

छात्र ने यह भी कहा, “हमने यहां कभी i20 कार नहीं देखी.”

यूनिवर्सिटी के एक अन्य कर्मचारी ने हॉस्टल बिल्डिंग की ओर इशारा करते हुए कहा, “उमर साहब यहीं रहते थे, इसी हॉस्टल में.”

कर्मचारी के मुताबिक, उमर बहुत कम बोलने वाला और अलग-थलग रहने वाला इंसान था.

एक अन्य फैकल्टी सदस्य ने कहा, “मैंने अभी एक हफ्ते पहले ही जॉइन किया है, सबसे जूनियर डॉक्टर हूं. मैंने उनमें से किसी से मुलाकात नहीं की.”

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यूनिवर्सिटी स्थित अस्पताल में मरीजों की संख्या घटी

छात्रों ने बताया कि दिल्ली ब्लास्ट के बाद यूनिवर्सिटी स्थित अस्पताल में मरीजों की संख्या काफी कम हो गई है. आजतक के खुफिया कैमरा पर बात करते हुए एक छात्र ने बताया कि ब्लास्ट के बाद से मरीजों की संख्या कम हो गई है.

कुछ छात्रों ने यूनिवर्सिटी की पढ़ाई और सुविधाओं की खराब गुणवत्ता पर भी नाराजगी जताई. एक छात्र ने कहा, “यहां टीचिंग कमजोर है, सुविधाएं अच्छी नहीं हैं और प्रैक्टिकल समय पर नहीं होते.”

हालांकि, छात्रों ने एक टीचर को याद करते हुए कहा, “हमें शाहीन मैम ने पढ़ाया था, वह बहुत अच्छी टीचर थीं.”

यह बात डॉ. शाहीन सईद के बारे में कही गई, जिन्हें कथित रूप से 'डॉक्टर्स टेरर मॉड्यूल' का अहम सदस्य बताया जा रहा है और जो अब पुलिस हिरासत में हैं.

मुजम्मिल सईद के किराए के कमरे में विस्फोटक मिले

यूनिवर्सिटी कैंपस के बाहर पास की एक कॉलोनी में डॉ. मुजम्मिल सईद गनई ने धमाके से पहले दो कमरे किराए पर लिए थे. स्थानीय लोगों ने बताया कि उसने झूठ बोलकर कमरे किराए पर लिए और बाद में उन्हें विस्फोटक रखने के लिए इस्तेमाल किया.

मकान मालिक मद्रासी ने बताया, “मुजम्मिल 13 सितंबर को मेरे पास कमरा लेने आया था. मैंने कहा अगर अकेले रहोगे तो 1200 रुपये, बच्चों के साथ रहोगे तो 1500 रुपये लगेंगे. उसने कहा मुझे कमरा पसंद है. रात नौ बजे आया, सामान रखा और कहा कि दो महीने का किराया लो और 2400 रुपये दे दिए. उसके बाद वह कभी वापस नहीं आया.”

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मद्रासी ने आगे बताया, “पिछले हफ्ते दो पुलिसवाले सिविल ड्रेस में आए और पूछने लगे कि कोई डॉक्टर यहां सामान छोड़कर गया है क्या. सुबह कुछ कश्मीरी लोग आए, उन्होंने पूछा कौन-सा कमरा है और फिर सारा सामान उठाकर ले गए.”

‘डॉक्टर्स टेरर मॉड्यूल’ की जांच में नए खुलासे

जांच एजेंसियों के मुताबिक, रेड फोर्ट ब्लास्ट की पूरी साजिश को जोड़ना बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा. अल-फलाह यूनिवर्सिटी अब जांच के घेरे में है. यह पता लगाया जा रहा है कि आखिर आतंकी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति कैसे एक शैक्षणिक संस्थान के भीतर रहकर काम कर पाए.

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