मानसून की बारिश से राजधानी दिल्ली और गुरुग्राम के कई इलाके दरिया में तब्दील हो जाते हैं. सड़कों पर कमर तक पानी भर जाता है. पिछले महीने की 27 जुलाई को ओल्ड राजेंद्र नगर की घटना में UPSC की तैयारी कर रहे तीन स्टूडेंट्स की मौत हो गई थी. ऐसे में सवाल ये है कि दिल्ली थोड़ी से बारिश से भी जलमग्न क्यों हो जाती है. इसे लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि बरसाती नाले महानगरों और आधुनिक शहरों की रीढ़ होते हैं, जो पूरे दिन बारिश के पानी को बाहर निकालते हैं, लेकिन दिल्ली की बात करें तो शहर से बारिश के पानी को बाहर निकालने के लिए अलग से बरसाती नालों का कोई नेटवर्क नहीं है.
आर्किटेक्ट और टाउन प्लानर अर्चित प्रताप सिंह ने बताया कि बरसाती नालों का एक आदर्श उदाहरण नोएडा में देखा जा सकता है, जहां करीब 89 किलोमीटर में बरसाती नाले का जाल बिछा हुआ है. बरसाती नाले का यह नेटवर्क शहर में जमा पानी को बाहर निकालता है और उसे पास की नदी या नहर में बहा देता है. ये खास तौर पर बरसाती पानी के लिए तैयार किए जाते हैं, इसलिए इन्हें भूमिगत सीवेज नालों से कहीं भी नहीं जोड़ा जाता. नतीजतन नालों में बेतहाशा कूड़ा-कचरा डालने और बहाने के कारण ये कभी जाम नहीं होते. शहर की नींव के दौरान स्टॉर्म ड्रेन बिछाए जाते हैं.
'शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए स्टॉर्म ड्रेन जरूरी'
अर्चित प्रताप सिंह के अनुसार स्टॉर्म ड्रेन शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बेहद जरूरी है. जिन्हें सड़कों, फुटपाथों और इमारतों से अतिरिक्त बारिश के पानी को मैनेज करने और दूर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. स्टॉर्म ड्रेन बाढ़ को रोकने के साथ ही जलभराव को कम करते हैं. स्टॉर्म ड्रेन शहर की कार्यक्षमता और सुरक्षा को भी बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि ओल्ड राजेंद्र नगर की घटना बारिश के पानी की निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण हुई. अर्चित ने कहा कि दिल्ली और गुरुग्राम में ऐसा कोई ड्रेन नेटवर्क नहीं है, जिससे बारिश का पानी निकाला जा सके. जब भी भारी बारिश होती है, तो इन दोनों शहरों और नोएडा के बीच स्पष्ट अंतर देखा जा सकता है.
लोगों की सेफ्टी के लिए जरूरी है ड्रेन नेटवर्क
एक्सपर्ट ने बताया कि दिल्ली में स्टॉर्म ड्रेन न होने की वजह से अक्सर मानसून में गंभीर जलभराव होने लगता है. एक बेहतर स्टॉर्म वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम के बिना शहर की सड़कें जल्दी ही बारिश के पानी से भर जाती हैं, जिससे यातायात में बाधा आती है और संपत्ति को नुकसान होता है. स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी होते हैं. अर्चित ने कहा कि दिल्ली के शहरी पर्यावरण और लोगों की सुरक्षा के लिए प्रभावी स्टॉर्म ड्रेन महत्वपूर्ण हैं. इसके जरिए बारिश के पानी को आसानी से निकाला जा सकता है. इसके विपरीत, नोएडा में नालियों का एक सुस्थापित नेटवर्क है, जो नोएडा को जलभराव की समस्याओं से सुरक्षित रखता है.
नोएडा में बेहतर है पानी निकासी की व्यवस्था
नोएडा के आर्किटेक्ट अखिल शर्मा ने कहा कि सड़क, सीवेज, स्टॉर्म ड्रेन, बिजली और पानी की आपूर्ति ये प्रमुख बुनियादी सुविधाएं हैं, जो किसी भी नए शहर की नींव रखने से पहले बनाए जाते हैं. नोएडा और अन्य बड़े शहरों में जहां ऐसी ड्रेन बनाई गई हैं, वहां जलभराव बहुत कम देखने को मिलता है, क्योंकि नालियां कचरा और गाद से मुक्त होती हैं, इसकी वजह ये है कि इन्हें कहीं भी सीवेज नालियों से कनेक्ट नहीं किया जाता. पुराने शहरों के मामले में बारिश के पानी को बाहर निकालना एक चुनौती बन जाता है.
बरसाती नाले बनाने के अलग-अलग तरीके
अर्चित प्रताप सिंह ने कहा कि मौजूदा शहर में अलग-अलग बरसाती नाले बनाने के तरीके हैं, लेकिन सीवेज को बारिश के नालों से अलग करना बहुत महत्वपूर्ण है. अगर दोनों नाले जुड़े हुए हैं या कोई बारिश का नाला नहीं है तो बारिश के पानी की निर्भरता नियमित नालियों पर होगी, नियमित नाले या सीवेज नाले इतने पानी को बहाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, क्योंकि सीवेज की मात्रा हर दिन लगभग एक जैसी ही रहती है. साथ ही खराब रखरखाव और नालियों में सिल्ट और कचरा बहाने के कारण सीवेज ड्रेन की क्षमता काफी कम हो जाती है.
अभिषेक आनंद