दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वी.के. सक्सेना और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच चल रही खींचतान एक बार फिर खुलकर सामने आई है. उपराज्यपाल ने केजरीवाल को 15 पन्नों का सख्त पत्र लिखकर उन पर दिल्ली को 'गैस चैंबर' बनाने और 11 वर्षों तक आपराधिक निष्क्रियता बरतने का आरोप लगाया है. LG ने केजरीवाल पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी सरकार की गलतियों के कारण आज राजधानी आपातकालीन प्रदूषण झेल रही है.
पत्र में उपराज्यपाल ने दावा किया है कि पिछले 11 वर्षों में AAP सरकार की उपेक्षा और गलत नीतियों के चलते ही आज दिल्ली आपातकालीन वायु प्रदूषण की स्थिति का सामना कर रही है. सक्सेना ने केजरीवाल से हुई एक बातचीत का हवाला देते हुए लिखा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रदूषण को लेकर इसे हर साल का 15-20 दिन का मीडिया शोर बताया था और कहा था कि इस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है.
पत्र में LG ने दावा करते हुए कहा कि जब उन्होंने प्रदूषण पर केजरीवाल से बात की थी, तो उनका जवाब था, "सर, यह हर साल होता है. 15-20 दिन मीडिया इसे उठाती है, फिर सब भूल जाते हैं. आप भी इस पर ज़्यादा ध्यान मत दीजिए."
LG ने इस बयान को दिल्ली की जनता के प्रति घोर संवेदनशीलता और उदासीनता का प्रतीक बताया.
'छोटी राजनीति के लिए नई सरकार को बाधित'
उपराज्यपाल ने लिखा कि वे पिछले साढ़े तीन वर्षों से दिल्ली के शासन को करीब से देख रहे हैं और उनके अनुसार केजरीवाल केवल छोटे राजनीतिक लाभ के लिए 10 महीने की नई सरकार को बेवजह बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि मौजूदा सरकार पिछली गलतियों को सुधारने में जुटी है.
मुलाकात से इनकार और फोन ब्लॉक करने का आरोप
एलजी सक्सेना ने यह भी कहा कि वे ये सारी बातें व्यक्तिगत रूप से या फोन पर कह सकते थे, लेकिन चुनाव में हार के बाद केजरीवाल ने उनसे मुलाकात नहीं की और उनका नंबर तक ब्लॉक कर दिया. एक अन्य शेर का उल्लेख करते हुए उन्होंने लिखा, “मिलना-जुलना जहां जरूरी हो, मिलने-जुलने का हौसला रखना.”
प्रदूषण, सड़कें और परियोजनाओं पर गंभीर आरोप
पत्र में कहा गया है कि वर्षों से जर्जर पड़ी सड़कों के कारण धूल प्रदूषण (PM10 और PM2.5) खतरनाक स्तर तक पहुंच गया. मेट्रो फेज-IV, RRTS जैसी अहम सार्वजनिक परिवहन परियोजनाओं को जानबूझकर रोका गया, जिससे प्रदूषण घटाने के प्रयास कमजोर पड़े. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित ई-बसों को भी सिर्फ इसलिए रोका गया क्योंकि AAP सरकार बसों पर अपनी तस्वीर चाहती थी.
यमुना, जलभराव और पानी की बर्बादी
वीके सक्सेना ने यमुना नदी और नालों की बदहाल स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि एक दशक से अधिक समय तक सीवर लाइनें और नाले साफ नहीं किए गए, जिससे 80-90% तक जाम की स्थिति बन गई और हर साल जलभराव होता रहा. दिल्ली पड़ोसी राज्यों पर पीने के पानी के लिए निर्भर है, फिर भी केजरीवाल के अपने स्वीकार के अनुसार 58% पानी ट्रांसमिशन में ही बर्बाद हो जाता है. वजीराबाद जलाशय के 96% तक गाद से भरने के बावजूद हरियाणा और यूपी को दोष दिया जाता रहा.
विकास कार्यों का ब्योरा
पत्र में उपराज्यपाल ने DDA द्वारा किए गए विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि AAP के विरोध के बावजूद असीता, बांसरेरा, वैष्णवी पार्क, महरौली आर्कियोलॉजिकल पार्क, संजय वन और शालीमार बाग जैसे स्थलों का विकास किया गया. एलजी ने झुग्गीवासियों और निम्न व मध्यम आय वर्ग के लिए आधुनिक फ्लैट, दर्जनों स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, दिल्ली का पहला TOD कॉम्प्लेक्स (कड़कड़डूमा) और नरेला-बवाना क्षेत्र में एजुकेशन हब, स्टेडियम, होटल और सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल की योजनाओं का भी जिक्र किया गया.
इसके साथ ही उन्होंने रिठाला-नरेला–कुंडली मेट्रो कॉरिडोर को केंद्र की मंजूरी मिलने के बावजूद AAP सरकार पर इसे टालने का आरोप लगाया गया.
प्रशासनिक और संवैधानिक मर्यादाओं पर सवाल
उपराज्यपाल ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार ने राजनीतिक मर्यादाओं, संविधान और लोकतांत्रिक परंपराओं को कमजोर किया. जवाबदेही से बचने के लिए फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं किए गए, साप्ताहिक कैबिनेट बैठकों की परंपरा खत्म कर दी गई और CAG रिपोर्टें विधानसभा में पेश नहीं की गईं.
उन्होंने यह भी कहा कि 500 नए स्कूल और नए अस्पताल खोलने जैसे वादे पूरे नहीं किए गए, जबकि विज्ञापनों पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए.
पत्र के अंत में उपराज्यपाल सक्सेना ने लिखा कि वे यह पत्र नहीं लिखना चाहते थे, लेकिन जनता के सामने बनाई गई झूठी छवि को उजागर करना जरूरी था. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता ही अंतिम निर्णायक होती है.
सुशांत मेहरा