रोहिणी आचार्य ने दी थी पिता लालू यादव को किडनी, एक किडनी निकलवाने के बाद शरीर पर क्या असर पड़ता है?

लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने 2022 में पिता को किडनी डोनेट की थी. इस बात को ध्यान में रखते हुए ये सवाल मन में जरूर उठता है कि आखिर एक किडनी में जिंदगी कैसी होती है, क्या लंबे समय के जोखिम होते हैं, और किडनी दान करने के बाद महिलाओं की प्रेग्नेंसी पर कैसा असर पड़ता है.

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एक किडनी देने पर क्या पड़ता है असर? (PHOTO: ITG) एक किडनी देने पर क्या पड़ता है असर? (PHOTO: ITG)

आजतक हेल्थ डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:14 PM IST

लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने 2022 में अपने पिता की जान बचाने के लिए अपनी एक किडनी डोनेट की थी. उस वक्त उन्हें  बेटी धर्म निभाने के लिए सराहा गया था. लेकिन समय बीतते-बीतते वही रोहिणी आज विवादों के बीच घिरी नजर आ रही हैं. उन्होंने अपने परिवार से सारे रिश्ते नाते तोड़ लिए हैं, भाई तेजस्वी यादव को खूब खरी-खोटी सुनाई है और सोशल मीडिया पर भी बहुत से बयान दिए हैं. 

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परिवारिक विवादों में रोहिणी  
किडनी डोनेट करने के दो साल बाद रोहिणी ने अब सोशल मीडिया पर खुलकर लिखा कि उनके परिवार ने अब उनकी बात सुनना तो दूर, उनकी भावनाओं को भी नहीं समझा. रोहिणी का आरोप है कि पिता को किडनी दान करने के बाद उन्हें सम्मान के बजाय तिरस्कार झेलना पड़ा. उनका कहना है कि परिवार में कुछ लोगों ने उनकी दी हुई किडनी को 'गंदी किडनी' तक कहा और उन पर ये तक आरोप लगा दिया गया कि उन्होंने किडनी डोनेशन पैसों या राजनीतिक फायदे के लिए किया है.

अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए रोहिणी ने एक अपील भी की. उन्होंने कहा कि शादीशुदा बेटियों और बहनों को मायके की तरफ से ऐसे हालात में आगे नहीं आना चाहिए. उनकी सलाह है कि अगर पिता जैसे किसी प्रियजन को किडनी की जरूरत पड़े, तो यह जिम्मेदारी बेटों या परिवार के पुरुष सदस्यों को निभानी चाहिए, न कि बेटियों को.

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लेकिन इस पूरे पारिवारिक विवाद से अलग हम यह जानेंगे कि क्या कोई भी इंसान एक किडनी के साथ पूरी तरह नॉर्मल जिंदगी जी सकता है? किडनी डोनेट करने वालों की जिंदगी में क्या कोई परेशानी आती है?

क्या एक किडनी के साथ नॉर्मल जीवन जिया जा सकता है?
यूं तो सभी की दो किडनी होती हैं, लेकिन अगर किसी इंसान के जन्म से ही एक किडनी हो या फिर रोहिणी की तरह उसने किसी को अपनी एक किडनी डोनेट की हो तो ये उनके जीवन पर कोई असर नहीं डालता है. ज्यादातर लोग बिल्कुल नॉर्मल और लंबी उम्र जीते हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक, उनकी बची हुई किडनी धीरे-धीरे खुद को एडजस्ट कर लेती है और दोनों किडनी का काम अकेले संभालने लगती है. इसलिए एक किडनी में भी शरीर आराम से अपना काम कर पाता है.

इसका मतलब ये है कि आप अपनी डेली लाइफ की सारी चीजें चलना, फिरना, ऑफिस जाना, ट्रैवल करना, हल्का-फुल्का एक्सरसाइज सब कुछ पहले की तरह कर सकते हैं. बस एक बात याद रखने की जरूरत है. वो ये है कि अगर आपके पास एक ही किडनी है, तो हेल्थ का थोड़ा ज्यादा ध्यान रखना चाहिए. आपको हेल्दी डाइट लेनी चाहिए, पानी ठीक मात्रा में पीना चाहिए, हाई BP या शुगर को कंट्रोल में रखना चाहिए और साल में एक बार किडनी चेकअप करवाना चाहिए.

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सही लाइफस्टाइल के साथ, एक किडनी आपकी पूरी जिंदगी के लिए काफी होती है.

क्या एक किडनी होने से कोई लॉन्ग टर्म रिस्क भी होते हैं?
यूं तो ज्यादातर लोग एक किडनी में भी बिल्कुल ठीक रहते हैं, फिर भी कुछ छोटे-मोटे लंबे समय वाले जोखिम हो सकते हैं. ये जरूरी है कि लोग इनको समझें, लेकिन डरें नहीं क्योंकि ये बहुत ही कम मामलों में देखे जाते हैं.

कुछ लोगों को कई सालों बाद हल्की थकान या कमजोरी जैसा एहसास हो सकता है और कभी-कभी हल्का सा दर्द भी महसूस हो सकता है. लेकिन ये प्रतिशत इतना कम होता है कि हजारों किडनी डोनर्स में भी सिर्फ गिनती के लोग ही ऐसा अनुभव करते हैं.

कभी-कभी ब्लड प्रेशर थोड़ा बढ़ सकता है या यूरिन में प्रोटीन दिखाई दे सकता है. मगर अच्छी बात ये है कि ये बातें आमतौर पर रेगुलर मेडिकल चेकअप में पकड़ में आ जाती हैं और आसानी से कंट्रोल में भी लाई जा सकती हैं.

सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि किडनी डोनेट करने वालों में किडनी की गंभीर बीमारी का खतरा आम लोगों की तुलना में और भी कम होता है. इसकी वजह यह है कि डोनेट करने से पहले डोनर की पूरी बॉडी की गहराई से जांच होती है. सिर्फ पूरी तरह हेल्दी लोग ही किडनी डोनेट कर पाते हैं.

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यानी, अगर आप हेल्दी हैं और एक किडनी के साथ जी रहे हैं, तो सही लाइफस्टाइल और रेगुलर चेकअप के साथ आप लंबी, नॉर्मल और एक्टिव जिंदगी आराम से जी सकते हैं.

प्रेग्नेंसी पर क्या असर पड़ता है?
एक किडनी होने का मतलब ये नहीं है कि महिला मां नहीं बन सकती. जिन महिलाओं ने किडनी डोनेट की है, वे आमतौर पर बिल्कुल नॉर्मल और हेल्दी प्रेग्नेंसी कर सकती हैं. हां, प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर या प्री-एक्लेम्प्सिया की संभावना ज्यादा होती है. लेकिन अच्छी मेडिकल देखभाल और समय-समय पर चेकअप से इन कंडीशंस को आसानी से संभाला जा सकता है. डॉक्टर पूरी प्रेग्नेंसी पीरियड में ब्लड प्रेशर, किडनी फंक्शन और बच्चे की ग्रोथ पर थोड़ा ज्यादा ध्यान रखते हैं, ताकि मां और बच्चा दोनों सुरक्षित रहें.

इसका मतलब ये है कि जिन्होंने अपनी एक किडनी डोनेट कर दी है, उनके लिए मां बनना या भविष्य की फैमिली प्लानिंग बिल्कुल संभव है. सही मॉनिटरिंग, हेल्दी डाइट और डॉक्टर की सलाह के साथ वे अन्य महिलाओं की तरह एक हेल्दी और खुशहाल प्रेग्नेंसी का अनुभव कर सकती हैं.

क्या किडनी डोनेट करने से कम हो जाती है जिंदगी?
बहुत से लोग सोचते हैं कि एक किडनी देने से उम्र कम हो जाती है, लेकिन यह बिल्कुल गलत साबित हुआ है. रिसर्च बताती है कि किडनी डोनर्स उतनी ही लंबी और स्वस्थ जिंदगी जीते हैं, जितनी कोई नॉर्मल इंसान. कई बार उससे भी बेहतर, क्योंकि वे शुरू से ही बेहद हेल्दी होते हैं और अपना ध्यान ज्यादा रखते हैं.

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हां, कुछ विशेष मामलों में थोड़ा खतरा बढ़ जाता है, जैसे बहुत कम उम्र में किडनी डोनेट करने वाले लोग, ब्लैक/अफ्रीकन मूल के डोनर्स या वे लोग जिनके परिवार में किडनी फेलियर का जेनेटिक इतिहास रहा हो. लेकिन इसके बावजूद, इन ग्रुप्स में भी खतरा आम लोगों की तुलना में बहुत ज्यादा नहीं होता.

सच ये है कि किडनी डोनर्स का लाइफस्टाइल और हेल्थ मॉनिटरिंग शुरू से ही अच्छी रहती है, इसलिए उनकी जिंदगी नॉर्मल लोगों से कम नहीं होती बल्कि अक्सर ज्यादा हेल्दी रहता है.

क्या खान-पान में बदलाव जरूरी हैं?
आम तौर पर, जिन लोगों की एक ही किडनी हेल्दी है, उन्हें कोई खास डाइट फॉलो करने की जरूरत नहीं होती. फिर भी कुछ बातों का ध्यान रखना अच्छा रहता है. जैसे बैलेंस्ड और हेल्दी डाइट लें और नमक का सेवन कम करें.

जिन्हें किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है, उनके लिए भी आम तौर पर कोई सख्त डाइट जरूरी नहीं होती. लेकिन फिर भी सही खाने और नमक कम करने की सलाह दी जाती है. ध्यान दें कि फ्रेश ग्रेपफ्रूट या उसका जूस न लें, क्योंकि यह कुछ दवाओं के असर को बदल सकता है. अगर आपका किडनी डॉक्टर आपको किसी खास डाइट की सलाह दें, तो रेनल डायटिशियन से मिलकर उनकी सलाह जरूर फॉलो करें.

किस तरह के खेलों से रहें दूर?
जिन लोगों ने किडनी ट्रांसप्लांट करवाई है, उन्हें उन खेलों और एक्टिविटीज से बचना चाहिए जिनमें पेट पर जोर पड़ने का या चोट लगने का ज्यादा खतरा हो. क्योंकि ट्रांसप्लांट की गई किडनी नीचे पेट में लगाई जाती है, इसलिए ये नॉर्मल किडनी की तुलना में ज्यादा सेंसिटिव होती है.

कुछ ऐसे खेल और एक्टिविटीज जिन्हें बचने या बहुत सावधानी से करने की सलाह दी जाती है:

  • रग्बी (यूनियन और लीग) / अमेरिकन फुटबॉल
  • मार्शल आर्ट्स जैसे बॉक्सिंग, जूडो, कराटे, किकबॉक्सिंग
  • आइस हॉकी
  • कुश्ती (रैसलिंग)
  • कॉन्टैक्ट टीम स्पोर्ट्स जैसे बास्केटबॉल और फुटबॉल (हालांकि कुछ ट्रांसप्लांट सेंटर इन्हें खेलने पर पाबंदी नहीं लगाते)
  • घुड़सवारी और क्रॉस-कंट्री बाइकिंग, क्योंकि इनमें पेट पर बार-बार जोर पड़ता है या गंभीर चोट का खतरा होता है.
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