हेमंत सोरेन अब झारखंड के मुख्यमंत्री नहीं रहे. रांची के कथित जमीन घोटाले में घिरे हेमंत सोरेन ने बुधवार को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देने के बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया.
अब चंपई सोरेन झारखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे. ये चौंकाने वाला नाम है. वो इसलिए क्योंकि अभी तक हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना का नाम मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे चल रहा था. लेकिन बुधवार को विधायक दल की जब बैठक हुई, तो चंपई सोरेन को नेता चुन लिया गया.
कल्पना सोरेन का मुख्यमंत्री न बनना इसलिए भी थोड़ा चौंकाता है, क्योंकि मंगलवार को विधायक दल की बैठक में वो भी मौजूद थीं. सियासी परिवार से आने वालीं कल्पना सोरेन राजनीति से दूर ही रहीं हैं, लेकिन कुछ दिनों से उनकी चर्चा बहुत हो रही थी.
क्या परिवार में टूट के कारण नहीं बन सकीं सीएम?
सोरेन परिवार झारखंड का सबसे बड़ा सियासी परिवार माना जाता है. हेमंत सोरेन से पहले उनके पिता और झामुमो के प्रमुख शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं. ऐसे में जब कल्पना सोरेन का नाम मुख्यमंत्री की रेस में शामिल हुआ, तो पार्टी में टूट का खतरा भी बढ़ गया.
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए दावा किया कि झामुमो के 29 में से 18 विधायक कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री चुने जाने के लिए राजी नहीं थे. निशिकांत दुबे ने ये भी दावा किया कि 18 विधायक कल्पना सोरेन की बजाय हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन को सीएम बनाने की मांग कर रहे थे.
इतना ही नहीं, बताया ये भी जा रहा है कि मुख्यमंत्री की रेस में सीता सोरेन का नाम भी सामने आया था. सीता सोरेन हेमंत सोरेन के बड़े भाई दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं. दुर्गा सोरेन का 2009 में निधन हो गया था.
माना जा रहा है कि ऐसे में अगर परिवार के बड़ों को दरकिनार कर कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया जाता तो परिवार में टूट हो सकती थी.
परिवार में हो सकती थी कलह!
कल्पना सोरेन को अगर मुख्यमंत्री बनाया जाता, तो परिवार में कलह भी हो सकती है. मंगलवार को जब गठबंधन सरकार के विधायकों की बैठक हुई, तो उसमें कई विधायक नहीं पहुंची थे. गठबंधन सरकार में कुल 49 विधायक हैं, लेकिन इनमें से 35 ही बैठक में शामिल हुए थे.
बताया जा रहा है कि जो विधायक इस बैठक में नहीं पहुंचे थे, वो कल्पना सोरेन की बजाय सीता सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे थे.
मुख्यमंत्री पद पर कल्पना सोरेन को बैठाने की चर्चाओं पर कुछ समय पहले सीता सोरेन ने कहा था, 'मैं सोरेन परिवार की बड़ी बहू हूं. मेरे पति ने झारखंड के निर्माण के लिए बहुत लंबे समय तक आंदोलन किया है. मैंने हेमंत सोरेन को उत्तराधिकारी माना था, और किसी को नहीं.'
हेमंत के खिलाफ भी जा चुकीं हैं सीता सोरेन
अप्रैल 2022 में सीता सोरेन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार के खिलाफ खुलकर बगावत कर दी थी. सीता सोरेन ने हेमंत पर निशाना साधते हुए कहा था कि सरकार खनिज समृद्ध राज्य में जमीन की लूट को रोकने में नाकाम रही है.
सीता सोरेन ने आरोप लगाया था कि गुरुजी (शिबू सोरेन) और मेरे पति के जल-जंगल-जमीन के विजन को नष्ट किया जा रहा है. भ्रष्ट अधिकारियों को बचाया जा रहा है. लोगों को हमारी सरकार से उम्मीदें थीं, लेकिन अब वो निराश हैं.
उन्होंने झारखंड के चतरा में एक खननन कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर राज्यपाल से मुलाकात भी की थी. उन्होंने दावा किया था कि झारखंड में जंगलों को अवैध तरीके से हड़पा जा रहा है.
इतना ही नहीं, सीता सोरेन की दो बेटियां- राजश्री और जयश्री भी झामुमो सरकार से मुकाबला करने में अपनी मां के साथ रहीं हैं. साल 2021 में उन्होंने 'दुर्गा सोरेन सेना' की स्थापना की थी, जिसका मकसद झारखंड में भ्रष्टाचार और लूट से लड़ना था.
कल्पना का विधायक न होना भी एक वजह!
कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री न चुने जाने के पीछे की एक वजह उनका विधायक न होना भी माना जा रहा है. कल्पना सोरेन भले ही सियासी परिवार से हों, लेकिन राजनीति से वो अब तक दूर ही रहीं हैं.
कल्पना सोरेन को अगर मुख्यमंत्री बनाया जाता तो संविधान के तहत उन्हें 6 महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना पड़ता. यानी कि किसी सीट पर उपचुनाव करवाया जाता.
लेकिन माना जा रहा है कि चुनाव आयोग शायद उपचुनाव के लिए राजी न होता. वो इसलिए क्योंकि इसी साल नवंबर-दिसंबर में झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में अगर उपचुनाव नहीं होते, तो कल्पना को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ता.
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