एसएस राजामौली की 'बाहुबली' को 10 साल पूरे हो चुके हैं. मगर एक दशक में इस शाहकार का रंग शायद ही किसी दर्शक के जेहन में फीका हुआ हो. इंडियन सिनेमा की सबसे शानदार फिल्मों में से एक 'बाहुबली' अब नए कलेवर में आ रही है. इसके दोनों पार्ट्स को मिलाकर बनी, 3 घंटे 44 मिनट की सिंगल फिल्म 'बाहुबली- द एपिक' ,31 अक्टूबर को रिलीज होने जा रही है.
इसकी रिलीज से पहले 'बाहुबली' के पक्के फैन्स, उस वक्त को याद कर रहे हैं जब पहली बार ये शाहकार बड़े पर्दे पर आया था. इसका स्केल, इमोशनल स्टोरीटेलिंग, दमदार किरदार और अद्भुत एक्शन सीन्स तो जनता को याद ही हैं. मगर अपने प्रोडक्शन के वक्त भारत की सबसे बड़ी फिल्म रही 'बाहुबली' के साथ विवाद भी कम नहीं जुड़े थे.
'मेकिंग वीडियो' टेम्पलेट चुराने का आरोप
'बाहुबली' 2015 में रिलीज हुई थी. मगर एक शार्प मार्केटिंग ब्रेन वाले राजामौली ने 2013 से ही फिल्म का माहौल बनाना शुरू कर दिया था. प्रभास के जन्मदिन के मौके पर 'बाहुबली' का पहला 'मेकिंग वीडियो' शेयर किया गया था, जिसे तेलुगू इंडस्ट्री के लोगों ने फिल्म का 'ट्रेलर' भी कहा था. मगर अपने तरह के इस पहले मार्केटिंग एक्स्परिमेंट पर सवाल उठने शुरू हो गए.
मेकर्स पर आरोप लगा कि उन्होंने इंटरनेट मार्केटिंग के टेम्पलेट तैयार करने वाली एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी का आईडिया चुराकर ये 'मेकिंग वीडियो' बनाया है. इस कंपनी ने 'द अमेजिंग वीडियोहाइवर्स' नाम से एक 2 मिनट का वीडियोक्लिप शेयर किया था, जिसमें इस 'मेकिंग वीडियो' का टेम्पलेट था. इस विवाद के बादल, बड़े बजट की फिल्म 'बाहुबली' पर मंडराने लगे. ये बादल तब छंटे जब प्रोड्यूसर शोभू येरलागडा ने बताया कि ऑस्ट्रेलियाई कंपनी ने जो वीडियो शेयर किया था, वो एक ऐसा टेम्पलेट है जिसे कोई भी लाइसेंस लेकर इस्तेमाल कर सकता है. और उन्होंने बाकायदा इस टेम्पलेट का लाइसेंस खरीदा है.
जैन मठ ने जताई थी फिल्म पर आपत्ति
जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभ देव के बेटे बाहुबली को, जैन अनुयायियों में बहुत आस्था की नजर से देखा जाता है. उनका एक और नाम गोमतेश्वर भी है. जैन धर्म के एक और महापुरुष, चक्रवर्ती भरत उनके भाई थे. कहानी का सार कुछ ऐसा है कि बाहुबली ने एकछत्र राज करने की लालसा लिए युद्ध करने आए अपने भाई, भरत को हरा दिया था. मगर इसके बाद संसार से उनका मोहभंग हो गया और उन्होंने पूरा राज्य भाई को सौंपकर, ज्ञान प्राप्ति के लिए तप शुरू कर दिया.
'बाहुबली' जब अनाउंस हुई तो मेकर्स ने फिल्म की कहानी का हिंट देने वाली कोई बात नहीं रिवील की थी. जनवरी 2014 में खबर आई कि कर्नाटक के एक जैन मठ ने फिल्म के टाइटल को लेकर लेकर मेकर्स को नोटिस भेजा है. मठ की चिंता ये थी कि राजामौली की फिल्म उनके धार्मिक आइकॉन, बाहुबली की कहानी को हिंसक तरीके से पर्दे पर दिखा सकती है. प्रोड्यूसर शोभू येरलागडा को एक बार फिर मीडिया में सफाई देनी पड़ी कि उनकी फिल्म जैन धर्म के महापुरुष बाहुबली पर आधारित नहीं है. ये पूरी तरह फिक्शनल कहानी है और 'बाहुबली' टाइटल उनके हीरो की शक्ति या बाहुबल को दिखाता है.
पोस्टर का डिजाईन चोरी करने का आरोप
'बाहुबली' का पहला पोस्टर मई 2015 में आया था. इस पोस्टर में वो इमेज थी जिसे देखते ही लोगों में जिज्ञासा जागने लगती थी. पोस्टर में एक नदी थी, नदी से एक हाथ बाहर निकल रहा था और उस हाथ ने एक नवजात बच्चे को थामा हुआ था. पोस्टर आने के बाद कईयों ने कयास लगाए कि ये महाभारत के भीष्म पितामह पर बेस्ड कहानी है, तो कईयों को लगा कि ये एक माइथोलॉजिकल फिल्म है.
पोस्टर आते ही फिल्म का माहौल तेजी से बनने लगा. मगर तभी लोगों को एक हॉलीवुड फिल्म 'साइमन बर्क' का पोस्टर मिल गया, जो बिल्कुल 'बाहुबली' के पोस्टर जैसा था. बस दिक्कत ये थी कि 'साइमन बर्क', राजामौली की फिल्म से करीब 17 साल पहले, 1998 में आ चुकी थी. हालांकि, दोनों पोस्टर्स में एक छोटा सा अंतर था. जहां 'बाहुबली' के पोस्टर में नदी से निकले एक हाथ ने बच्चे को उठा रखा था. वहीं 'साइमन बर्क' के पोस्टर में नदी से दो हाथ बाहर निकल रहे थे. इस बारे में 'बाहुबली' मेकर्स ने कुछ नहीं कहा था.
क्रेडिट ना मिलने पर आर्ट डायरेक्टर का प्रोटेस्ट
साउथ के जानेमाने आर्ट डायरेक्टर मनु जगत ने 'बाहुबली' की रिलीज के बाद दावा किया कि वो इस फिल्म के पीरियड सेट्स तैयार करने वाले असली आर्ट डायरेक्टर हैं. उनका दावा था कि फिल्म में उनका क्रेडिट नहीं दिया गया. इससे पहले सोशल मीडिया पर मनु, 'बाहुबली' के शूट के दौरान हर फेज के कॉन्सेप्ट आर्ट स्केच शेयर किया करते थे.
बाद में इस विवाद पर बात करते हुए फिल्म के प्रोडक्शन डिज़ाइनर साबू सायरिल ने इसे एक 'एरर' बताया था. उन्होंने कहा कि फिल्म पर दो आर्ट डायरेक्टर्स ने काम किया था- मनु जगत और अनिल जाधव. फिल्म का प्री-प्रोडक्शन एक साल और शूट दो साल चला था. मगर मनु किन्हीं वजहों से 7 महीने तक ही काम कर पाए थे. इसलिए शायद उनका नाम क्रेडिट्स में रह गया हो, मगर उनका क्रेडिट फिल्म में जोड़ दिया जाएगा.
जाति से जुड़े विवादों में भी फंसी थी फिल्म
'बाहुबली' के पहले पार्ट के तमिल वर्जन में एक फ्रेज इस्तेमाल किया गया था जिसे दलित समुदाय में आने वाली, अरुंधतियार जाति ने अपने लिए अपमानजनक बताया था. इसे लेकर विरोध प्रदर्शन भी हुए थे और मदुरै के एक थिएटर पर पेट्रोल बॉम्ब से हमले भी हुए. तमिल वर्जन के डायलॉग राइटर मदन कार्की ने इसे लेकर माफी भी मांगी थी. बाद में हाई कोर्ट ने मेकर्स को ये विवादित फ्रेज फिल्म से हटाने के लिए कहा था.
इसी तरह 'बाहुबली 2' में कट्टप्पा का किरदार एक शब्द इस्तेमाल करता नजर आया था. इसपर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पिछड़ी जाति माने जाने वाले, आरे कटिका समुदाय ने आपत्ति दर्ज करवाई थी. उनका कहना था कि 'कटिका' उनके समुदाय से जुड़ा शब्द है और फिल्म में इसे नेगेटिव तरीके से इस्तेमाल किया जाना, उनके समुदाय की गलत छवि बनाता है.
'बाहुबली' इन विवादों की छाया से किसी तरह बचकर निकली थी. मगर जब ये थिएटर्स में पहुंची तो विवादित रेफरेंस लोगों की नजरों से अपने आप गायब होते चले गए, आखिरकार फिल्म को ऐसी पॉपुलैरिटी मिली कि आने वाले वालों में लोग इससे जुड़े विवाद भी भूलते चले गए.
सुबोध मिश्रा