De De Pyaar De 2 Review: मजेदार कॉमेडी में दमदार मैसेज का तड़का, अजय की फिल्म में माधवन ने जीता दिल

अजय देवगन और रकुल प्रीत सिंह की 'दे दे प्यार दे' (2019) एक बड़ी हिट थी. उम्र की सीमा को तोड़ने वाली लव स्टोरी पर बनी इस मजेदार कॉमेडी का अब सीक्वल आया है. आर माधवन और मीजान जाफरी इस बार नई एंट्री बनकर आए हैं. क्या 'दे दे प्यार दे 2' पिछली फिल्म जितनी मजेदार है?

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'दे दे प्यार दे 2' रिव्यू: कॉमेडी और सोशल मैसेज का सॉलिड कॉम्बो (Photo: IMDB) 'दे दे प्यार दे 2' रिव्यू: कॉमेडी और सोशल मैसेज का सॉलिड कॉम्बो (Photo: IMDB)

सुबोध मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 14 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:20 PM IST
फिल्म:दे दे प्यार दे 2
3/5
  • कलाकार : अजय देवगन, आर माधवन, रकुल प्रीत सिंह, गौतमी कपूर, मीजान जाफरी, जावेद जाफरी
  • निर्देशक :अंशुल शर्मा

'हम पढ़े-लिखे, प्रोग्रेसिव लोग हैं. हम मॉडर्न लोग हैं, समझते हैं...' इस एक लाइन को बहुत इंडियन परिवारों ने जिस तरह ओढ़ा है. और इसकी आड़ में जिस तरह के मैनीपुलेशन पेरेंट्स करते हैं, 'दे दे प्यार 2' तगड़ी कॉमेडी के साथ इस लाइन पर करारा व्यंग्य करने वाली फिल्म है. 

लव रंजन का अपना एक ट्रेडमार्क फिल्मी स्टाइल है. इसमें ढेर सारी सेल्फ-अवेयर कॉमेडी, मजेदार ड्रामा और ट्विस्ट भरी लव स्टोरीज होती हैं. 'दे दे प्यार दे' लव रंजन के प्रोडक्शन से निकली ऐसी ही मजेदार फिल्म थी. मगर इसे लव ने सिर्फ प्रोड्यूस किया था. तरुण जैन के साथ मिलकर उन्होंने फिल्म की कहानी जरूर लिखी थी, लेकिन डायरेक्ट करने का जिम्मा आकिव अली को मिला था. 'दे दे प्यार दे 2' में राइटर फिर से लव और तरुण ही हैं, पर इस बार डायरेक्टर अंशुल शर्मा हैं. डायरेक्टर बदला है, कास्ट में नए एक्टर्स जुड़े हैं. मगर 'दे दे प्यार दे 2' न सिर्फ एक दमदार सीक्वल बनकर आई है. बल्कि ये पहली फिल्म से बेहतर भी है. 

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लव स्टोरी में उम्र के अंतर का तड़का
अजय देवगन की 'दे दे प्यार दे' एक लव स्टोरी लेकर आई थी जिसमें करीब 50 साल की उम्र के आदमी को, अपने से आधी उम्र की लड़की से प्यार हो जाता है. इस लड़की, आयशा का रोल रकुल प्रीत सिंह ने किया था. पहली फिल्म में अजय का किरदार आशीष, अपनी पत्नी मंजू (तब्बू) से अलग हो चुका था, मगर कागजों पर डाइवोर्स नहीं हुआ था. अपनी इस यंग गर्लफ्रेंड से शादी करने के इरादे लेकर जब वो मंजू और बच्चों के सामने पहुंचता है, तब सिचुएशन कॉमेडी और ड्रामा लेकर आती है. 

अब 'दे दे प्यार दे 2' में ये लव स्टोरी पहुंची है आयशा के घर. शादी के लिए आशीष (अजय देवगन) को आयशा के पेरेंट्स का अप्रूवल चाहिए. आर माधवन और गौतमी इन पेरेंट्स के रोल में हैं. उनका दावा है कि वो 'एजुकेटेड, प्रोग्रेसिव मॉडर्न लोग हैं' और अपनी बेटी के इस अफेयर से उन्हें कोई समस्या नहीं है. मगर क्या इंडियन सोशल सिस्टम और पेरेंटिंग ट्रेडिशन में धंसा ये कपल, इस शादी के लिए राजी होगा? यही 'दे दे प्यार दे 2' की कहानी है. 

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प्रोग्रेसिव पेरेंट्स का ईगो और मॉडर्न लव स्टोरी का टकराव 
तरुण जैन और लव रंजन ने 'दे दे प्यार दे 2' की राइटिंग को जिस तरह सॉलिड बनाया है, वो अलग से तारीफ करने लायक है. माधवन और गौतमी के किरदारों का असली नाम भी आपको पता नहीं चलता. दोनों एक दूसरे को बड़े प्रेम और सम्मान के साथ राज जी और राज जी बुलाते हैं. दोनों ने लव मैरिज ही की थी, मगर बेटी के लव में उम्र का अंतर देखकर दोनों शॉक में हैं. इस शॉक को वो अपनी मीठी बोली और सालोंसाल प्रैक्टिस की गई आधुनिकता में जिस तरह छुपाते हैं, वो फिल्म में देखना बहुत मजेदार है. 

माधवन के किरदार ने ये जो आधुनिकता ओढ़ी है, वो उनकी बहू के साथ उनके बर्ताव में बेहतर दिखता है. वो अपने घर का अगला चिराग देने जा रही प्रेग्नेंट बहू को ऐसे ट्रीट कर रहे हैं कि बेटी को इग्नोर कर दे रहे हैं. मगर अपनी बेटी के, 50 साल के लवर को देखकर उनका सारा प्रोग्रेसिव बर्ताव कपूर की तरह उड़ जाता है. एक बार तो ऐसा लगता है कि माधवन में 90s की हीरोइन का, अमरीश पुरी जैसा बाप दिख रहा है. मगर वो तो मॉडर्न हैं न! इसलिए अपनी बेटी को सही रास्ते पर लाने के लिए उन्होंने जो मैनिपुलेटिव तरीके लगाए हैं, उन्हें लव रंजन स्टाइल सिनेमा ही बेहतर तरीके से कैप्चर कर सकता है, सीरियस आर्ट सिनेमा नहीं.

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कॉमेडी का तगड़ा डोज
'दे दे प्यार दे 2' शुरू होते ही क्रेडिट्स के साथ जावेद जाफरी (जो पहली फिल्म से अजय के दोस्त बने हैं) मजेदार स्टाइल में पिछली फिल्म का रीकैप देते हैं. इस कॉमिक रीकैप से ही फिल्म का टोन सेट हो जाता है. इसमें सेल्फ-अवेयर कॉमेडी और पंच का तगड़ा तड़का है. पंच के मामले में तो 'दे दे प्यार दे 2' कॉमेडी लिखने वालों के लिए एक किताब की तरह है. 

अजय देवगन की ही 'सिंघम' और 'हम आपके हैं कौन' जैसी फिल्मों को मजेदार तरीके से कॉमेडी के लिए यूज किया गया है. अजय की रियल लाइफ पत्नी काजोल, कॉमेडी का हिस्सा हैं. जावेद जाफरी के बेटे मीजान जाफरी 'दे दे प्यार दे 2' में ऐसा लड़के के रोल में है, जिसे आयशा को पटाने के लिए उसके पापा ने काम पर लगाया है. जावेद और मीजान का रियल लाइफ रिश्ता भी फिल्म की मजेदार कॉमेडी के काम आता है. पूरी फिल्म में पंच और चटपटे डायलॉग जमकर हैं जो कहीं भी माहौल फीका नहीं पड़ने देते. 

अजय देवगन की नहीं, माधवन की फिल्म
'दे दे प्यार दे 2' के हीरो अजय देवगन हैं, मगर माहौल बनाया है माधवन ने. उनकी बेटी का बॉयफ्रेंड, उनसे सिर्फ डेढ़ साल छोटा है. पूरे ड्रामा का भार उनके ऊपर है. उनकी दमदार एक्टिंग ने इस रोल को इतना मजेदार बना दिया है कि फिल्म में आप उन्हें ही देखते रहते हैं. आयशा की मां बनी गौतमी कपूर की भी इस मामले में तारीफ बनती है. 

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अजय देवगन फिल्म में एक लवर तो हैं मगर मैच्योर आदमी भी हैं. इसलिए जब उनकी गर्लफ्रेंड के बाप को दिक्कतें होनी शुरू होती हैं तो वो 'समझदार' होने का परिचय देने लगता है. वो कोई कनफ्लिक्ट नहीं चाहता. इसलिए शांति से सबकुछ होते देखता है. इसलिए कई बार तो आपको ऐसा लगेगा कि फिल्म में अजय देवगन हैं ही नहीं. मगर असल में ऐसा होना ही फिल्म को जरूरी माहौल भी देता है. क्योंकि फिल्म सिर्फ आयशा के पेरेंट्स का ही टेस्ट नहीं है, उसके 'मैच्योर' लवर का भी टेस्ट है. 

एक लव मैरिज में फेल हो चुका ये आदमी, दूसरी बार प्यार में तो पड़ चुका है. लेकिन क्या उसमें फिर से अपने प्यार के लिए लड़ने की ताकत बची है? है तो वह भी उसी जेनरेशन का, जिसमें आयशा के पेरेंट्स आते हैं! इस जेनरेशन में एक तरफ तो अपने हर पर्सनल फैसले के लिए समाज से अप्रूवल की भूख है, दूसरी तरफ इन्हें पर्याप्त मॉडर्न भी दिखना है. यहां अजय का सधा हुआ काम उनके किरदार के पूरी तरह काम आता है. अगर आपको फिल्म देखते हुए कुछ जगहों पर लगे कि अजय तो जैसे हैं ही नहीं, तो धैर्य बनाए रखिएगा क्योंकि यही उनका किरदार है. 

छोटी छोटी दिक्कतें भी हैं साथ 
'दे दे प्यार 2' वैसे तो कॉमेडी से लगातार माहौल बनाए रखती है. मगर फिर भी कई जगहों पर ड्रामा को जगह देने के लिए जब कॉमेडी साइड होती है तो फिल्म स्लो लगने लगती है. हालांकि, तबतक कॉमेडी फिर ओवरटेक कर लेती है. इंटरवल के बाद सेकंड हाफ में फिल्म का एंटी क्लाइमेक्स थोड़ा स्लो लगता है. आपको ऐसा लगता है कि फिल्म फिर से वही गलतियां करने जा रही है, जो अक्सर लव रंजन ब्रांड ऑफ सिनेमा में होती हैं.

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किरदार कन्फ्यूज लगने लगते हैं और स्टीरियोटाइप बन जाते हैं. मगर इसका क्लाइमेक्स एक बहुत बड़ा सरप्राइज है. इसके बारे में किसी से कुछ ना सुनें, सीधा फिल्म देखें. पूरी फिल्म में कोई भी दिक्कत लगे, मगर इसका क्लाइमेक्स ही अपने आप में फिल्म का टिकट खरीदने की पर्याप्त वजह है. 

'दे दे प्यार दे 2' एक पिता के ईगो, और आदर्शवादी लवर के बीच फंसी लड़की की कहानी है. ये लड़की खुद क्या चाहती है इसकी परवाह ना पिता को है, ना लवर को. दोनों को बस अपने-अपने आदर्शों पर खरा उतरना है. मगर ये लड़की जिस तरह इस बीमारी का ट्रीटमेंट करती है, वो कम से कम एक बार तो जरूर देखने लायक है. रकुल प्रीत सिंह को उनकी खूबसूरती के लिए तो लोग बहुत देखते हैं मगर इस बार उन्हें एक दमदार रोल मिला है, जिसे राइटर ने बहुत मजेदार तरीके से लिखा है. इस लिखे हुए को स्क्रीन पर दमदार तरीके से उतारने के लिए रकुल की तारीफ बनती है. 

कुल मिलाकर 'दे दे प्यार दे 2' एक मजेदार कॉमेडी फिल्म है जिसके सेंटर में दमदार सोशल मैसेज और फैमिली ड्रामा है. एक-एक एक्टर का काम दमदार है. गाने फिल्म को थोड़ा स्लो जरूर करते हैं मगर सुनने में अच्छे हैं. डायलॉग बहुत कर्रे हैं और पंच जोरदार. पेस इधर-उधर थोड़ी स्लो पड़ती है, कुछ सीन लम्बे और गैर जरूरी भी लगते हैं. मगर ओवरऑल अंशुल शर्मा की फिल्म सॉलिड एंटरटेनमेंट डिलीवर करती है, जिसके लिए कम से कम एक बार तो टिकट खरीदा जा सकता है. 

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