पैन इंडिया सुपरस्टार प्रभास का जलवा फिर से थिएटर्स में भौकाल मचाने को तैयार है. 22 दिसंबर को उनकी फिल्म 'सलार' रिलीज हो रही है. फिल्म की अनाउंसमेंट के बाद से ही जनता इसका इंतजार टकटकी लगाए कर रही है. भारतीय सिनेमा फैन्स को KGF चैप्टर 1 और KGF चैप्टर 2 जैसी शानदार एक्शन एंटरटेनर दे चुके डायरेक्टर प्रशांत नील और होम्बले फिल्म्स, इस बार 'सलार' लेकर आ रहे हैं. इसके साथ ही फिल्म से जुड़ी जितनी भी खबरें सामने आई हैं, वो बताती हैं कि ये बड़े पर्दे पर धमाका करने वाली फिल्म है.
एक्शन के मामले में 'सलार' को बहुत दमदार बताया जा रहा है ऊपर से प्रभास भी बहुत लंबे समय बाद इस तरह के विस्फोटक एक्शन अवतार में दिखेंगे. एक आम सिनेमा फैन के पास वो सारी वजहें हैं जो 'सलार' देखने के लिए उसे थिएटर्स तक खींच सकती है. लेकिन इसकी टक्कर एक बहुत बड़ी फिल्म से है.
'सलार' से एक दिन पहले ही शाहरुख खान की 'डंकी' भी थिएटर्स में रिलीज हो रही है. जहां प्रभास की फिल्म, पांच भाषाओं में बनी पैन इंडिया फिल्म है. वहीं 'डंकी' सिर्फ हिंदी में ही रिलीज हो रही है. हिंदी में दोनों फिल्मों की कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है. 'सलार' की टीम के पास एक बहुत बड़ा बेनिफिट ये है कि उन्होंने KGF फिल्मों से हिंदी को एक बहुत बड़ी फ्रैंचाइजी दी है और प्रभास की फिल्म से वो अपना ये रिकॉर्ड मेंटेन रखना चाहेंगे. लेकिन 'सलार' में एक बात थोड़ी खटकती हुई नजर आ रही है, जो 'डंकी' के मुकाबले इसे थोड़ा सा कमजोर कर सकती है.
भाषा के खेल में 'KGF' से कमजोर लग रही 'सलार'
यश की 'KGF' 2018 में, शाहरुख खान की बड़ी हाइप वाली फिल्म 'जीरो' के साथ रिलीज हो रही थी. जाहिर सी बात है कि कन्नड़ सिनेमा की पहली पैन इंडिया फिल्म को लेकर, शाहरुख की फिल्म जैसा माहौल तो नहीं ही रहा होगा. लेकिन जैसे ही 'KGF चैप्टर 1' का ट्रेलर आया, इस फिल्म में जनता की दिलचस्पी बहुत ज्यादा बढ़ गई.
एकदम अलग एक्शन, एक नया एक्शन स्टार और बिल्कुल नई कहानी तो जनता को इम्प्रेस कर ही रही थी, लेकिन इसमें एक बहुत दिलचस्प बात थी. 'KGF' का ट्रेलर देखकर ये लग ही नहीं रहा था कि ये हिंदी फिल्म नहीं है. फिल्म की डबिंग, इसके डायलॉग, किरदारों की बातचीत के शब्द ऐसे नहीं थे, जो कन्नड़ से हिंदी में डबिंग के लिए डिक्शनरी की मदद से ट्रांसलेट किए हुए लगें.
बल्कि, उस समय ट्रेलर देखने वाले बहुत सारे लोगों ओ तो ये लगा था कि ये कोई हिंदी फिल्म ही है. किरदारों की बातचीत में कोई जबरदस्ती का भारी शब्द नहीं था. डबिंग की हुई फिल्मों में सबसे ज्यादा समस्या गानों के साथ हो जाती है. लेकिन 'KGF' के गाने खासकर- सुल्तान, कोख के रथ में और हो जाने दो आर-पार; लगते ही नहीं थे कि हिंदी में कम्पोज नहीं किए किए गए. यश के किरदार का लहजा और उनके डायलॉग भी एकदम ऑरिजिनल हिंदी फिल्म जैसे थे. डबिंग के लिए डायलॉग और गाने लिखना एक बिल्कुल अलग टास्क होता है. क्योंकि फिर शब्द इस तरह खोजे जाते हैं जो ऑरिजिनल लैंग्वेज में सेट हो चुके टोन को कम से कम डिस्टर्ब करें और अटपटे न लगें.
प्रभास की 'सलार' का ट्रेलर सामने आ चुका है और इसका एक गाना 'सूरज ही छांव बनके' भी शेयर कर दिया गया है. इन वीडियोज के कन्नड़ और तेलुगू वर्जन तो दमदार लग रहे हैं, लेकिन जैसे ही आप हिंदी वर्जन सुनेंगे तो कुछ खटकता हुआ सा लगेगा. जैसे 'सलार' का ट्रेलर शुरू होते ही एक लाइन आती है- 'दूर कहीं एक प्रांत में'. हिंदी बोलने वाले एक आम दर्शक के तौर पर भी 'प्रांत' एक ऐसा शब्द है जो बोलचाल में बहुत रेगुलर इस्तेमाल नहीं होता. इसकी जगह 'इलाका' इस्तेमाल किया जाता तो वो ज्यादा नेचुरल लगता. इसकी जगह 'दूर कहीं एक इलाके में' हिंदी भाषी दर्शक को ज्यादा जल्दी पचेगा और असरदार लगेगा.
इसी तरह 'सलार' के गाने 'सूरज ही छांव बनके' में कई लाइनें धुन और गाने के मूड के हिसाब से अनफिट लगती हैं. इन्हें सुनकर लगता है कि गाना पहले दूसरे लिरिक्स के साथ तैयार हुआ है और फिर हिंदी शब्दों को ऑरिजिनल भाषा के अर्थ के हिसाब से ट्रांसलेट किया गया है. न कि उनकी फीलिंग को पकड़ते हुए, आम बोलचाल की भाषा से.
हिंदी फिल्म जैसी ही लगती थीं KGF फिल्में
KGF चैप्टर 2 ने भी हिंदी में जो कमाई के रिकॉर्ड बनाए उसकी वजह यही थी कि थिएटर्स में बैठी भीड़ को, ये लगा ही नहीं कि वो कन्नड़ इंडस्ट्री में बनी डबिंग वाली फिल्म देख रहे हैं. यश की फिल्म की जुबान, किसी भी हिंदी फिल्म जैसी ही थी. सीधी सी बात है मुंबई का गैंगस्टर रॉकी जब KGF में डायलॉग बोलता है- 'अपुन का खून भी तो लाल ही है' तो बात मजेदार लगती है. लेकिन अगर वो कहता- 'मेरा रक्त भी तो लाल ही है' तो फील शायद उतना नहीं आता. डबिंग के लिए लिखी गई हिंदी की ये दिक्कत 'सलार' में नजर आ रही है.
इसके सामने रिलीज हो रही शाहरुख खान की 'डंकी' प्योर हिंदी रिलीज है और एक ही भाषा में रिलीज हो रही है. ऐसे में प्रभास की फिल्म को इस कड़े मुकाबले के लिए सभी हथियार पैने रखने जरूरी हैं. फिल्म के डायलॉग, गानों के बोल और बातचीत में सही से लिखी हिंदी 'सलार' को और मजबूत बनाती. हालांकि, हो सकता है कि फिल्म देखने पर ये मामला उतना अनफिट न लगे जितना प्रोमोज में लग रहा है. ऐसा हुआ तो हिंदी ऑडियंस के लिए फिल्म देखने का मजा ही अलग होगा. देखते हैं भाषा का ये खेल 'सलार' के नैरेटिव और स्टोरी टेलिंग पर कैसा असर दिखाता है.
सुबोध मिश्रा