राष्ट्रगान पर नीतीश कुमार का व्यवहार क्या इतना असामान्य है कि उन्हें सीएम पद छोड़ देना चाहिए?

यह सच है कि नीतीश कुमार को राष्ट्रगान के दौरान सतर्कना बरतनी चाहिए थी. पर इस छोटी सी बात को लेकर एक सम्मानित , उम्रदराज नेता को बीमार बताने की कोशिश की जा रही है. कहा जा रहा है कि उन्होंने राष्ट्रगान का अपमान किया है. करीब चार दशक से बिहार और देश की उनकी एकनिष्ठ सेवा को देखते हुए उनसे माफी की मांग करने वाले क्या खुद अपना अपमान कर रहे हैं?

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एक समारोह में राष्ट्रगान के दौरान बिहार के CM नीतीश कुमार एक समारोह में राष्ट्रगान के दौरान बिहार के CM नीतीश कुमार

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 21 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 8:19 PM IST

बिहार विधानसभा में शुक्रवार को राष्ट्रगान के अपमान के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया है. विधानसभा परिसर और सदन में इसे लेकर प्रदर्शन हुआ और विपक्ष ने सरकार विरोधी नारे लगाए. विपक्ष की मांग थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 140 करोड़ जनता से माफी मांगनी चाहिए. भाजपा के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई.  नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तो मख्यमंत्री से तत्काल मुख्यमंत्री का पद छोड़ देने की मांग की .

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आरजेडी मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और राबड़ी देवी ने भी इस मुद्दे पर नीतीश कुमार और बीजेपी को घेरने की कोशिश की.  दरअसल  नीतीश कुमार ने गुरुवार को पटना के एक कार्यक्रम में राष्ट्रगान को शुरू होने से पहले रुकवा दिया. उन्होंने मंच से इशारों में कहा, 'पहले स्टेडियम का चक्कर लगाकर आते हैं, फिर शुरू कीजिएगा. नीतीश के आने के बाद राष्ट्रगान शुरू हुआ पर इस दौरान नीतीश हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन करते रहे. प्रधान सचिव दीपक कुमार ने यह देखा तो उन्होंने हाथ देकर रोकना चाहा और उन्हें सावधान मुद्रा में रहने का इशारा किया, लेकिन वह तब भी नहीं माने और पत्रकारों की तरफ देखकर प्रणाम करने लगे. यह सच है कि नीतीश कुमार को राष्ट्रगान के दौरान सतर्कना बरतनी चाहिए थी. पर इस छोटी सी बात को लेकर एक सम्मानित , उम्रदराज नेता को बीमार बताने की कोशिश की जा रही है. कहा जा रहा है कि उन्होंने राष्ट्रगान का अपमान किया है. करीब चार दशक से बिहार और देश की उनकी एकनिष्ठ सेवा को देखते हुए उनसे माफी की मांग करने वाले खुद अपना अपमान कर रहे हैं.  

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लिविंग लीजेंड बन चुके नीतीश कुमार से इस्तीफा मांगना  

बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार उस स्थान को प्राप्त कर चुके हैं जहां पहुंचने का नसीब विरलों को ही मिलता है. फिलहाल देश की समकालीन राजनीति में देखें तो अजातशत्रु कहलाने का दावा केवल नीतीश कुमार ही कर सकते हैं. खुद लालू परिवार आज चौतरफा नीतीश कुमार पर हमले कर रहा है. पर नीतीश कुमार का साथ पाने के लिए परिवार के लोग अलग विचार रखते हैं. नीतीश कुमार तमाम विरोध के बावजूद अपने विरोध के स्तर को कम से कम लालू परिवार के लिए बहुत निचले स्तर पर नहीं ले जाते हैं. जबकि आरजेडी के साथ गठबंधन खत्म होने के बाद एक दौर ऐसा था तेजस्वी कितने दिनों तक एक्स पर लगतार नीतीश के लिए बहुत ही अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते रहे.

नीतीश कुमार देश के एक मात्र ऐसे नेता हैं जिनके पक्ष और विपक्ष दोनों में बराबर शुभचिंतक हैं. एनडीए के खिलाफ इंडिया गठबंधन को धरातल पर लाने का श्रेय उन्हें ही जाता है. जब से नीतीश कुमार ने इंडिया गुट को छोड़ा तब से लगातार यह गठबंधन कमजोर होता गया.यह नीतीश के व्यक्तित्व का ही कमाल है कि सिर्फ 2 परसेंट सजातीय वोट के साथ वे बिहार की राजनीति में 3 दशकों से सेंटर ऑफ अट्रेक्शन बने हुए हैं. एक ऐसे शख्स से केवल इसलिए इस्तीफ मांगना हास्यास्पद लगता है कि वे राष्ट्रगान के दौरान गलती से कुछ लोगों के अभिवादन का जवाब दे रहे थे. अगर उन्हें राष्ट्रगान की चिंता न होती या उसके प्रति सम्मान नहीं होता तो स्टेडियम का निरीक्षण करने जाने के पहले राष्ट्रगान करवाने के लिए थोड़ी देर और इंतजार करने के लिए क्यों कहते?

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क्या नीतीश कुमार का कोई विकल्प है इस समय

वैसे तो बिहार की सत्ता राबड़ी देवी जिन्हें सार्वजनिक जीवन का कोई भी अनुभव नहीं था वो भी संभाल चुकी हैं. पर यह भी सचाई है कि बिहार में आज की तारीख में कम सीटों के साथ सरकार चलाने की ताकत किसी में नहीं है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के पास बीजेपी से कम विधायक हैं. इसी तरह आरजेडी से भी जेडीयू के विधायक कम हैं. पर बीजेपी हो या आरजेडी मुख्यमंत्री बनाने के लिए सभी नीतीश कुमार की ओर ही देखते हैं. यह नीतीश कुमार का जादू ही है कि अगर वो एक बार आरजेडी के साथ जाने की बात कर दें तो उनकी सभी गलतियों को परिवार माफ कर देगा.

आश्चर्य की बात यह है कि बीजेपी हो या जेडीयू-आरजेडी किसी के पास ऐसा कोई नेता नहीं है जिसके चलते नीतीश कुमार को इग्नोर किया जा सके. नीतीश अगर बीमार हैं तो भी अन्य नेताओं के मुकाबले उनकी स्थिति बेहतर है. इसलिए उनके रिजाइन करने की बात बेमानी हो जाती है.आरजेडी भले ही मांग कर रही है कि नीतीश कुमार रिजाइन कर दें. पर आरजेडी नेताओं को पता है कि नीतीश कुमार की जगह कोई दूसरा लेता है तो वो उनके लिए और मुश्किल होनी तय है.

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ईमानदारी उनकी सबसे बड़ी पूंजी

नीतीश कुमार केंद्र के सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों को संभाल चुके हैं. लगातार चौथी बार सीएम बनकर अपने राज्य को चला रहे हैं. काजल की कोठऱी में रहने के बाद भी नीतीश कुमार के कपड़ों पर भ्रष्टाचार के दाग नहीं है. शायद यही उनका सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है. नीतीश कुमार के समकालीन जितने भी नेता रहे हैं उनके बेटे बेटी ही नहीं राजनीति बल्कि भाई भतीजा, नाते रिश्तेदारों तक को कोई न कोई पद दिलाया गया है. लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान,जीतनराम मांझी ही नहीं बहुत से नाम इसमें शामिल हैं.पर नीतीश कुमार ने दूर दूर तक के रिश्तेदारों को राजनीति में आने से मना कर दिया. नीतीश कुमार के पुत्र निशांत को राजनीति में लाने की बातें बहुत दिनों से हो रही हैं.  पर लगता है कि अभी तक निशांत कुमार को ग्रीन सिगनल नहीं मिल सका है. 

आज भी बिहार की स्थिति कई राज्यों से बेहतर

बिहार को लालू यादव-राबड़ी देवी के जंगल राज से बाहर लाने का श्रेय तो नीतीश कुमार को जाता ही है. इस पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है. पर इससे अलग नीतीश कुमार के पास ऐसी बहुत सी उपलब्धियां हैं जो देश के किसी भी नेता के लिए ईर्ष्या का विषय हो सकती हैं. महिलाओं को पंचायतों और स्थानीय निकाय के चुनावों में 50 फीसदी आरक्षण देने वाला पहला राज्य बिहार नीतीश के नेतृत्व में ही बना. सबसे ज्यादा महिला पुलिसकर्मियों के मामले में बिहार देशभर में आज नंबर वन पोजीशन पर है. यह उपलब्धि भी नीतीश कुमार के सरकार नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण देने के फैसले के चलते ही हुआ. बिहार पुलिस में महिलाओं की भागीदारी करीब 29 फीसदी है, जबकि देशभर के पुलिस-बल में महिलाओं का राष्ट्रीय औसत करीब 16 फीसदी ही है.

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बिहार उन गिने-चुने राज्यों में एक है, जहां कई सरकारी विभागों में महिला कर्मचारियों-अधिकारियों को हर महीने दो दिनों की अतिरिक्त छुट्टी दी जाती है  साल 2006 में नीतीष कुमार सरकार द्वारा शुरू की गई साइकिल योजना बाद में कई दूसरे राज्यों में भी शुरू हुई. 9वीं क्लास की छात्राओं को साइकिल खरीदने के पैसे दिए जाने लगे.आगे चलकर इसी तरह की स्कीम कर्नाटक, आंध्र समेत कुछ अन्य राज्यों में भी लागू हुई. बिहार में पूर्ण शराबबंदी योजना की आप आलोचना कर सकते हैं पर ये फैसला लागू करने की हिम्मत नीतीश कुमार ने ही दिखाई. साल 2016 बिहार में 'हर घर नल-जल' योजना की शुरुआत हुई.इसकी सफलता को देखते हुए आगे चलकर साल 2019 में केंद्र ने इसी तरह की योजना 'जल जीवन मिशन' नाम से शुरू की. 

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने एक्स पर लिखा, बिहार सहित देश का अपमान करने वाले लोग बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी पर सवाल उठा रहे हैं. वैसे लोगों को मैं बता दूं कि लालू जी एंड कंपनी ने हमारे बिहार राज्य के नाम को गाली बना दिया था पर नीतीश कुमार जी ही हैं जिन्होंने बिहार को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान दिलाया. एक तरफ जहां लालू जी के शासनकाल को याद कर बिहार के लोग थर्रा जाते हैं वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार जी कल भी बिहार के चहेते थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे. नीतीश कुमार बिहार के सम्मान हैं.

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एक दौर था  कि बिहार से बड़े डॉक्टर्स पलायन कर रहे थे. आज मेदान्ता और पारस जैसे बड़े हॉस्पिटल ग्रुप बिहार पहुंच रहे हैं.बिहार में विदेशी सैलानियों की बढ़ती संख्या भी बताती है कि बिहार में कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है.2023 की तुलना में 2024 में करीब 2 लाख विदेशी पर्यटक ज्यादा बिहार पहुंचे हैं. बिहार में विदेश निवेश में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. पावर सप्लाई भी पिछले कुछ सालों में बहुत बेहतर हुई है.

लालू यादव और राबड़ी ने भी राष्ट्रगान को लेकर की हैं गलतियां

तेजस्वी यादव और लालू यादव को नीतीश कुमार पर राष्ट्रगान का अपमान करने का आरोप लगाने से पहले याद करना चाहिए कि ऐसे आरोप उनपर भी लगते रहे हैं.राष्ट्रगान के अपमान का मुद्दा इतना बड़ा है ही नहीं.2002 में राबड़ी देवी सीएम थीं. 26 जनवरी को झंडा फहराने के बाद राष्ट्रगान हुआ तो लालू यादव और राबड़ी देवी दोनों कुर्सी पर बैठे थे. उस वक्त भी आज की तरह खूब हल्ला विपक्ष ने किया था. इसी तरह 2016 में तिरंगा यात्रा के दौरान लालू प्रसाद यादव पर गलत तिरंगा झंडा फहराने का आरोप लगा था.

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