बारामती में ननद vs भाभी... क्या BJP और शिंदे के सहारे चाचा पवार का किला भेद पाएंगे अजित? क्या रहा है वोटों का गणित

महाराष्ट्र की बारामती लोकसभा सीट पर इस बार परिवार में दिलचस्प सियासी जंग देखने को मिल रही है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए इस सीट से अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा को उम्मीदवार बनाया है, तो एनसीपी (पवार) ने सुनेत्रा ने शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को उतारा है.

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बारामती में इस बार सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार के बीच होगा मुकाबला बारामती में इस बार सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार के बीच होगा मुकाबला

किशोर जोशी

  • नई दिल्ली,
  • 01 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 2:14 PM IST

महाराष्ट्र की बारामती लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प सियासी मुकाबला देखने को मिल सकता है. पवार परिवार के दो सदस्य आमने-सामने हैं. शरद पवार गुट ने इस सीट पर सुप्रिया सुले को टिकट दिया है तो दूसरी तरफ एनसीपी ने अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा को उम्मीदवार बनाया है. पवार परिवार में हो रही सियासी जंग में अब भाभी और देवरानी आमने-सामने हैं.

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पुणे जिले की बारामती लोकसभा सीट को शरद पवार का गढ़ माना जाता है जहां बीते 5 दशक से शरद पवार या उनके परिवार का कब्जा रहा है. पवार परिवार का दबदबे को आप इस बात से समझ सकते हैं कि बारामती सीट से शरद पवार 6 बार लोकसभा सांसद रहे हैं जबकि उनकी बेटी सुप्रिया सुले तीन बार और भतीजे अजीत पवार एक बार सांसद रह चुके हैं. ऐसे में इस बात की संभावना प्रबल है कि यह सीट एक बार फिर से पवार परिवार के खाते में जा सकती है.

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कैसा है विधानसभा का गणित
बारामती संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें - इंदापुर, बारामती, पुरंदर, भोर, खड़कवासला और दौंड शामिल हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में जहां बारामती और इंदापुर सीट पर एनसीपी ने जीत हासिल की थी तो वहीं पुरंदर और भोर पर कांग्रेस विजयी रही थी. इसके अलावा बीजेपी ने खड़कवासला और दौंड़ सीट अपने नाम की थी. यानि कुल मिलाकर एनसीपी, कांग्रेस और बीजेपी सभी ने 2-2 सीटें अपने नाम की थी.

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55 साल से भी अधिक समय से बारामती पवार परिवार का गढ़ रहा है. शरद पवार ने 1967 में पहली बार बारामती से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जीता. उन्होंने 1972, 1978, 1980, 1985 और 1990 के विधानसभा चुनावों में इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा. बाद में 1991 से अजित पवार लगातार इस सीट से जीतते रहे हैं.

लोकसभा सीट का इतिहास
साल 1984 में बतौर कांग्रेस उम्मीदवार शरद पवार पहली बार यहां से सांसद चुने गए थे. 1991 में अजित पवार यहां से सांसद चुने गए थे, लेकिन उसी साल यहां उपचुनाव हुआ और शरद पवार ने जीत दर्ज की. इसके बाद 1996, 1998, 1999 और 2004 में भी शरद पवार लगातार यहां से सांसद बनते रहे.2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने ये सीट बेटी सुप्रिया को दे दी. तब से लेकर अब तक यहां से सुप्रिया सुले सांसद हैं. सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कारों की विजेता सुप्रिया एक बार फिर यहां से चुनावी मैदान में हैं.

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2019 के चुनावों में बीजेपी यहां अपनी पैठ बनाने में कामयाब रही. 2019 के लोकसभा चुनाव में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को यहां 6,86,714 वोट मिले. जबकि भाजपा उम्मीदवार कंचन राहुल कुल 5,30,940 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही. मत प्रतिशत की बात करें तो बीजेपी को मिले वोट दर्शाते हैं कि यहां पार्टी तेजी से बढ़ी है.  2019 में जहां एनसीपी की सुप्रिया सुले को 52.95 फीसदी वोट मिले थे तो वहीं बीजेपी के कंचन राहुल को 40.94 फीसदी वोट मिले थे. इसके अलावा वीबीए के पदलकर नवनाथ को 3.4 फीसदी मत (44,134) मिले थे.

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वहीं 2014 के चुनाव में सुप्रिया सुले यहां से दूसरी बार सांसद बनी थी. सुप्रिया सुले को 5,21,562 वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर रहे राष्ट्रीय समाज पक्ष के महादेव जानकर 4,51,843 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे.

बारामती में हैं 20 लाख से ज्यादा वोटर
बारामती खेती-किसानी के लिए मशहूर है. यहां ज्यादातर गन्ने की खेती होती है और यहां चीनी मिले भी हैं. इस लोकसभा क्षेत्र की साक्षरता दर 76.06% है. निर्वाचन आयोग के 2019 के डेटा के मुताबिक, बारामती सीट पर तब 2112408 मतदाता थे जिसमें इस बार निश्चित तौर पर बढ़ोतरी हुई है. मराठी वोटरों के दबदबे वाली इस बारामती सीट पर ग्रामीण मतदाताओं की संख्या करीब 70 फीसदी और शहरी वोटरों की तादाद करीब 30 फीसदी है. 

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एक तरफ जहां सुप्रिया सुले अपने पिता और खुद के द्वारा किए गए विकास कार्यों का हवाला देकर जनता से वोट मांग रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ एनसीपी उम्मीदवार सुनेत्रा अपने पति और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार के विकास के एजेंडे को लोगों को सामने रख रही हैं.  ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बारामती के मतदाता किसे अपना प्रतिनिधि चुनते हैं.

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