क्या कैथल से जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे कांग्रेस के संकटमोचक रणदीप सिंह सुरजेवाला?

एक उम्मीदवार बाइक पर चल पड़ा है तो दूसरा उम्मीदवार लड्डू से तोला जा रहा है. कुछ इस तरह की तस्वीर आपको कैथल की विधानसभा में नजर आ जाएंगी. 'कैथल बोलती भी और तोलती भी है' के नारे के साथ  कांग्रेस के दिग्गज नेता रणदीप सुरजेवाला खुद को तराजू में तुलवा रहे हैं.

Advertisement
जनसभा को संबोधित करते रणदीप सिंह सुरजेवाला जनसभा को संबोधित करते रणदीप सिंह सुरजेवाला

मौसमी सिंह

  • कैथल,
  • 19 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 10:03 AM IST

  • सुरजेवाला को बाहरी बता खेल बिगाड़ रहे विरोधी
  • दिल्ली की राजनीति में व्यस्तता से समय नहीं दे पाए

एक उम्मीदवार बाइक पर चल पड़ा है तो दूसरा उम्मीदवार लड्डू से तोला जा रहा है. कुछ इस तरह की तस्वीर आपको कैथल की विधानसभा में नजर आ जाएंगी. 'कैथल बोलती भी और तोलती भी है' के नारे के साथ  कांग्रेस के दिग्गज नेता रणदीप सुरजेवाला खुद को तराजू में तुलवा रहे हैं.

Advertisement

दरअसल, कांग्रेस के मीडिया प्रभारी होने के नाते दिल्ली में उनकी तूती बोलती है. भाजपा सरकार पर हमला बोलने में उन्होंने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, मगर आज उनकी चुनौती एकदम विपरीत है. आज चुनौती है खुद को राष्ट्रीय नेता नहीं बल्कि स्थानीय नेता साबित करने की.

दूसरी तरफ सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार लीलाराम सुरजेवाला को बाहरी बताकर उनका खेल बिगाड़ने में लगे हैं. उन्होंने 'बाहरी भगाओ अपना बनाओ' का नारा दिया है. दरअसल निरवाना रणदीप सुरजेवाला की पारंपरिक सीट है पर पिछले  दो बार से रणदीप कैथल से विधानसभा का चुनाव जीतते आए हैं.

जींद के चुनावी रण में रणदीप के तरकश से निकले हुए तीर उनको उल्टे पड़ गए थे. तब रणदीप ने जींद चुनाव जीतने पर कैथल की सीट छोड़ने की बात कही थी, अब उनके विरोधी भी इसको मुद्दा बना रहे हैं. हकीकत यह भी है कि 2014 से 2019 तक रणदीप ने दिल्ली की राजनीति में व्यस्त होने के चलते प्रदेश की सियासत को कम तवज्जो दी मगर गिनाने के लिए उनके पास कैथल के विकास के काम भी हैं. उनके समर्थकों को लगता है कि उनकी साफ-सुथरी छवि और उनकी कर्मठता उनकी सबसे बड़ी ताकत है.

Advertisement

वही 2000 में आईएनएलडी से विधायक रहे लीलाराम अपने साधारण परिवार का हवाला देते हैं. उनकी गुर्जर समुदाय में पैठ काफी मजबूत है. अगर मुकाबला जाट बनाम गैर जाट होता है, तो भाजपा को सीधा फायदा हो सकता है. देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस पार्टी को अक्सर मुसीबतों से निकालते रहे संकटमोचक रणदीप सुरजेवाला कैथल से जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे या नहीं?

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement