बिहार की राजधानी पटना में सोमवार को कांग्रेस की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का समापन होगा. इस यात्रा में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता और पूर्व भारतीय क्रिकेटर यूसुफ पठान और वरिष्ठ नेता ललितेश त्रिपाठी भी शामिल होंगे. दोनों नेता रविवार को कोलकाता से पटना पहुंचे.
टीएमसी नेता ललितेश त्रिपाठी ने यात्रा से पहले कहा कि यह देश का सबसे बड़ा मुद्दा है. “हम ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करेंगे. हमारी नेता ममता बनर्जी का संदेश जनता तक पहुंचाना हमारा दायित्व है. वोट चोरी आज देश की सबसे गंभीर समस्या है और इसे हर क्षेत्र में उठाना हमारी जिम्मेदारी है.”
पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान ने भी त्रिपाठी की बात का समर्थन किया और कहा कि इस यात्रा के जरिए जनता के अधिकार की आवाज बुलंद की जाएगी.
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस दोनों ही राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (INDIA bloc) का हिस्सा हैं. इस वजह से विपक्षी दल मिलकर इस आंदोलन को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.
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क्यों निकाली गई यह यात्रा?
‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 17 अगस्त को की थी. इस यात्रा का उद्देश्य बिहार में मतदाताओं के अधिकारों पर हो रहे कथित हमले को उजागर करना है. विपक्षी दलों का आरोप है कि बिहार में विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन (SIR) के दौरान करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए. विपक्ष का कहना है कि यह मताधिकार पर सीधा हमला है और लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश है.
चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
विपक्ष के आरोपों के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि हटाए गए मतदाताओं के नामों की सूची 19 अगस्त तक सार्वजनिक की जाए और 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की जाए. इसके बाद चुनाव आयोग ने 65 लाख नामों की सूची जारी की.
राजनीतिक गलियारों में चर्चा
इस पूरे मामले ने बिहार की राजनीति में गर्मी बढ़ा दी है. विपक्ष जहां इसे लोकतंत्र के खिलाफ हमला बता रहा है, वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि यह प्रक्रिया चुनाव आयोग की नियमित कार्रवाई है. अब ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के समापन के साथ विपक्ष ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि मताधिकार से किसी भी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
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