चाचा कहते-कहते कहने लगे 'भ्रष्टाचार का भीष्म पितामह'... अचानक नीतीश कुमार पर हमलावर क्यों हो गए तेजस्वी?

तेजस्वी यादव वोटर अधिकार यात्रा के दौरान सीएम और सरकार को घेरते हुए भी चाचा ही कहते नजर आए. लेकिन अंतिम दिन भ्रष्टाचार का भीष्म पितामह बता दिया. सीएम पर तेजस्वी अचानक इतने हमलावर क्यों हो गए?

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तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार की यूएसपी पर किया वार (Photo: ITG) तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार की यूएसपी पर किया वार (Photo: ITG)

बिकेश तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:55 PM IST

"हमारे चाचा की हालत देखिए क्या हो गई है. इतनी बार पलटी मारे हैं, कि उनका दिमाग चकरिया गया है. उनके साथ हमारी पूरी संवेदना है, लेकिन चाचा तो हाईजैक हो गए." तेजस्वी यादव ने वोटर अधिकार यात्रा के दौरान 28 अगस्त को मोतिहारी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह बातें कही थीं.

तेजस्वी ने इसी यात्रा के दौरान 20 साल वाली सरकार को खटारा बताते हुए उखाड़ फेंकने का आह्वान करते हुए यह भी कहा था कि हमारे चाचा नीतीश जी अचेत अवस्था में हैं. अब इनसे बिहार संभल नहीं रहा है. वोटर अधिकार यात्रा के दौरान बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव सीएम को घेरते हुए भी चाचा ही कहते रहे.

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यात्रा पटना पहुंची, तब तेजस्वी के तेवर भी अलग थे. तेजस्वी ने सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए उन्हें भ्रष्टाचार का भीष्म पितामह बता दिया. तेजस्वी ने यात्रा के पटना पहुंचने पर सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा कि बिहार में भ्रष्टाचार चरम पर है. इंजीनियर्स के पास सौ करोड़ रुपये बरामद हुए, लेकिन मुख्यमंत्री इस पर कुछ नहीं बोले.

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उन्होंने कहा कि जिन्हें घोटालों पर बोलना चाहिए, वह (सीएम नीतीश कुमार) भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह बन चुके हैं. तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को चाचा कहते-कहते भ्रष्टाचार का भीष्म पितामह कहने लगे. सवाल उठ रहे हैं कि सीएम नीतीश कुमार पर तेजस्वी अचानक इतने हमलावर क्यों हो गए?

नीतीश की यूएसपी पर वार

भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस सीएम नीतीश कुमार की यूएसपी रही है. 20 साल से सीएम नीतीश कई बार केंद्रीय मंत्री भी रहे, लेकिन उन पर भ्रष्टाचार के आरोप कभी नहीं लगे. क्राइम और करप्शन नीतीश कुमार की यूएसपी रहे हैं. सीएम खुद कई बार यह कह चुके हैं कि क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म से कोई समझौता नहीं करेंगे.

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अब तेजस्वी ने परोक्ष तरीके से ही सही, सीएम नीतीश को भ्रष्टाचार की पिच पर घेरा है. नीतीश कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तेजस्वी यादव के आक्रामक तेवर को लेकर राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि यह उनकी यूएसपी पर वार है. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को वोटर अधिकार यात्रा के दौरान शायद यह एहसास हो गया कि बिहार चुनाव में एसआईआर का खास असर होनेवाला नहीं है. भ्रष्टाचार एक मुद्दा है, और जमीनी फीडबैक के आधार पर ही तेजस्वी ने स्ट्रैटेजी शिफ्ट का मन बनाया होगा.

उन्होंने कहा कि तेजस्वी का नीतीश को भ्रष्टाचार का भीष्म पितामह बताना यह संदेश देने की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है कि सुशासन बाबू के मुकाबले महागठबंधन में वही चेहरा हैं. दूसरा, एनडीए लंबे समय से आरजेडी को भ्रष्टाचार की पिच पर ही घेरता आया है. इस बार तेजस्वी ने यह संकेत दे दिया है कि वह सूबे की सरकार के सबसे बड़े चेहरे को टार्गेट कर पलटवार के लिए तैयार हैं.

अपने कोर पर लौटे तेजस्वी

बिहार के वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क ने कहा कि वोट चोरी राष्ट्रीय मुद्दा हो सकता है, लेकिन बिहार में नहीं. बिहार के लिए तेजस्वी ने जो मुद्दे उठाने शुरू किए थे, यात्रा के अंतिम चरण में शायद वह ये समझ पाए कि चुनावी जंग में वही प्रभावी हथियार साबित हो सकते हैं. तेजस्वी डीके टैक्स की बात करते हैं, हालांकि इसे उजागर नहीं किया है. यह भ्रष्टाचार का प्रतीक है. वह क्राइम पर डेली बुलेटिन जारी कर रहे थे. क्राइम और करप्शन, दोनों ही नीतीश कुमार के कोर एजेंडे में रहे हैं और इन दोनों ही मुद्दों पर नीतीश कुमार फेल रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि करप्शन का आलम यह है कि ब्लॉक और थाना स्तर पर निचले स्तर के जो अधिकारी-कर्मचारी हैं, उनसे जनता त्रस्त है. राहुल गांधी के चक्कर में 17 दिन बर्बाद हो गए. इंजीनियर और अधिकारियों-कर्मचारियों के यहां से बरामद हुई नकदी के मुद्दे पर सरकार को घेरने का गोल्डन पीरियड साबित हो सकता था, जिसे तेजस्वी ने गंवा दिया. अब तेजस्वी का अधिक आक्रामकता के साथ अपने कोर पर लौटना नुकसान की भरपाई का प्रयास भी हो सकता है.

स्ट्रैटेजी शिफ्ट कितना फायदेमंद?

तेजस्वी यादव ने 2020 के चुनाव में महागठबंधन के प्रचार की बागडोर संभाली और व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप से ज्यादा मुद्दों पर फोकस किया. नतीजा ये रहा कि आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और महागठबंधन सरकार बनाने से भले ही चूक गया, लेकिन एनडीए को कड़ी टक्कर दी.

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तेजस्वी इस बार भी उसी ट्रैक पर चल रहे थे. तेजस्वी यादव ने महागठबंधन के सत्ता में आने पर सरकार नौकरी के लिए भर्ती प्रक्रिया में डोमिसाइल पॉलिसी लागू करने, महिलाओं को 2500 रुपये प्रति माह देने और फ्री बिजली जैसे वादे कर दिए. नीतीश कुमार फ्रीबिज का मुखर विरोध करने वाले नेताओं में रहे हैं. लेकिन इस बार चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने भी 125 यूनिट बिजली फ्री देने का ऐलान कर दिया.

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नीतीश सरकार ने हर परिवार की एक महिला को 10 हजार रुपये देने का ऐलान भी कर दिया है. शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल पॉलिसी लागू करने का ऐलान भी पहले ही हो चुका है. तेजस्वी के हर वादे को नीतीश सरकार ने काउंटर करने का दांव चल दिया है. तेजस्वी ने वोटर अधिकार यात्रा के समापन के मौके पर नीतीश सरकार को नकलची सरकार बता दिया था.

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तेजस्वी की इस बदली रणनीति के पीछे इन सबको भी एक वजह बताया जा रहा है. तेजस्वी ने नीतीश कुमार को भ्रष्टाचार की पिच पर घेरकर रणनीतिक बदलाव के संकेत दे दिए हैं. यह आरजेडी और महागठबंधन के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा? यह देखने वाली बात होगी.

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