बिहार में अक्टूबर-नवंबर तक विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावों से कुछ महीने पहले विपक्षी महागठबंधन की अगुवाई कर रहे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में सियासी हंगामा मचा हुआ है. तेज प्रताप यादव के सोशल मीडिया हैंडल से अनुष्का यादव के साथ तस्वीर पोस्ट कर 12 वर्षों से रिलेशनशिप में होने का खुलासा किया गया. इस खुलासे के बाद लालू यादव ने तेज प्रताप को परिवार से बेदखल कर छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने का ऐलान कर दिया. आरजेडी से निष्कासित किए जाने के बाद सवाल विधायकी पर भी उठ रहे हैं.
बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार की अगुवाई कर रहे जनता दल (यूनाइटेड) के विधान परिषद सदस्य नीरज कुमार ने आरजेडी को तेज प्रताप की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने के लिए अर्जी लगाने की चुनौती दी है. नीरज कुमार ने कहा है कि गेंद तेजस्वी यादव के पाले में है.
तेजस्वी आरजेडी विधायक दल के नेता हैं और ईमानदारी से मानते हैं कि तेज प्रताप का आचरण सामाजिक कुकृत्य है, तो विधानसभा स्पीकर को उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए आवेदन दीजिए. आरजेडी से निष्कासन के बाद तेज प्रताप की विधायकी पर खतरा मंडरा रहा है, वहीं बात भविष्य को लेकर भी होने लगी है. तेज प्रताप का क्या होगा?
ऐश्वर्या और अनुष्का, दोनों ही यादव समाज से
बिहार चुनाव की विस्तृत कवरेज के लिए यहां क्लिक करें
बिहार विधानसभा की हर सीट का हर पहलू, हर विवरण यहां पढ़ें
तेज प्रताप यादव को आरजेडी से निष्कासित किए जाने के बाद अब एक तरह से यह साफ है कि कम से कम बिहार चुनाव तक पार्टी के दरवाजे उनके लिए बंद ही रह सकते हैं. जेडीयू और बीजेपी ने जिस तरह से तेज प्रताप के मुद्दे पर लालू यादव के एक्शन को राजनीतिक स्टंट बताया है, परवरिश पर सवाल उठाए हैं, उसे देखते हुए लगता नहीं है कि आरजेडी कुछ ऐसा कदम उठाएगी, जिससे विरोधी दलों का नैरेटिव सच साबित हो.
आरजेडी के सामने मुश्किल यह भी है कि ऐश्वर्या और अनुष्का, दोनों ही यादव हैं जो आरजे़डी का कोर वोटबैंक माना जाता है. तेजस्वी यादव के अंतरजातीय विवाह को लेकर यादव समाज की एक लॉबी पहले से ही लालू परिवार से नाराज चल रही है. आरजेडी की कोशिश महिला मतदाताओं को अपने पाले में लाने की है. तेज प्रताप के ताजा चैप्टर से पार्टी की कोशिशों को नुकसान पहुंच सकता है.
क्या होगी तेज प्रताप यादव की सियासी राह?
आरजेडी से निष्कासित तेज प्रताप का क्या होगा? इस पर बिहार के वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क ने कहा कि ऐसा नहीं लगता कि यह सारा घटनाक्रम अचानक हुआ है. तेज प्रताप यादव अपनी पार्टी बना सकते हैं. अनुष्का के भाई आकाश आनंद को छात्र राजद के अध्यक्ष पद से हटाए जाने पर भड़के तेज प्रताप ने इसके संकेत दे भी दिए थे. तब उन्होंने जगदानंद सिंह के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की धमकी दी थी और लालू-राबड़ी मोर्चा नाम से अपना नया संगठन भी बनाया था. हालांकि, बाद में लालू यादव के हस्तक्षेप से मामला तब शांत हो गया था.
यह भी पढ़ें: 'लालू बताएं ऐश्वर्या को न्याय कब मिलेगा?' तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से निकालने पर JDU का निशाना
उन्होंने आगे कहा कि तेज प्रताप यादव निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर जाएं, यह भी संभव है. हो सकता है कि आरजेडी उनके खिलाफ महज खानापूर्ति करने के लिए कोई कमजोर उम्मीदवार दे, जिससे वॉकओवर देने या मदद करने का संदेश भी न जाए और उनके विधानसभा पहुंचने की राह भी आसान रहे. जहां तक परिवार से बेदखल करने की बात है, तेज प्रताप यादव ने उसी दिन अपना अलग संसार बसा लिया था, जिस दिन वह अपने लिए आवंटित विधायक निवास में शिफ्ट हो गए थे. तेजस्वी यादव परिवार के साथ ही रहे. तेज प्रताप को परिवार से बेदखल करने का मतलब होगा नामी-बेनामी संपत्ति को लेकर विवाद और लालू यादव ऐसा बिलकुल भी नहीं चाहेंगे. तेज प्रताप पर एक्शन लीपापोती का प्रयास है, जिससे तेजस्वी की चुनावी संभावनाओं को नुकसान न पहुंचे.
यह भी पढ़ें: अनुष्का यादव कौन हैं? उनके भाई आकाश यादव की कहानी, जिनके लिए अपनी फैमिली और जगदानंद सिंह से लड़ गए थे तेज प्रताप
तेज प्रताप पर एक्शन के पीछे ये फैक्टर्स भी
तेज प्रताप पर लालू यादव के एक्शन के पीछे पार्टी और तेजस्वी यादव की सियासी संभावनाओं को नुकसान पहुंचने की आशंका है ही, कुछ और फैक्टर्स भी बताए जा रहे हैं. तेज प्रताप यादव के पोस्ट की टाइमिंग भी ऐसी है कि लालू यादव और उनकी पार्टी के पास डैमेज कंट्रोल और लीपापोती के दूसरे विकल्प आजमाने के लिए उतना समय नहीं है. लालू यादव को लग रहा है कि चुनावी साल में माहौल तेजस्वी यादव के पक्ष में है और तेज प्रताप यादव की ऐसी पोस्ट्स आरजेडी की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं.
यह भी पढ़ें: अचानक तेज प्रताप को फैमिली से निकालने के पीछे चुनाव करीब होना तो नहीं? विरोधी दलों के आरोप और RJD के जवाब
एक अहम फैक्टर क्रेडिबिलिटी भी है. सिपाही से ठुमका लगाने के लिए कहना हो या सीएम नीतीश के आवास के बाहर पहुंचकर हंगामा करना, तेज प्रताप यादव की हरकतों से लालू परिवार की क्रेडिबिलिटी पर सवाल और गहरे होते चले गए. लालू परिवार हमेशा तेज प्रताप की हरकतों पर लीपापोती करता आया. शायद अब नेतृत्व को लगा हो कि एक्शन नहीं हुआ तो तेज प्रताप की हरकतों का नुकसान चुनाव में आरजेडी और उसके सीएम फेस तेजस्वी यादव को उठाना पड़ सकता है.
बिकेश तिवारी