बहस को तेजस्वी के मां-बाप तक क्यों ले जाते हैं नीतीश? सियासी तंज या चुनावी रणनीति का हिस्सा

बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश बढ़ने के साथ ही नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. तेजस्वी की मां राबड़ी देवी और पिता लालू यादव पर निशाना साधकर नीतीश कुमार बिहार चुनाव के नैरेटिव सेट करने में जुटे हैं.

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नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव में सियासी टकराव (Photo-ITG) नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव में सियासी टकराव (Photo-ITG)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 24 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:22 PM IST

'तुम बैठो पहले, तुम बच्चे हो अभी कुछ नहीं जानते, हमने तुम्हारे माता-पिता का समय भी देखा है. तुम्हारे माता-पिता के राज में क्या होता था? तुम्हारे माता-पिता के मुख्यमंत्री रहते बिहार की क्या स्थिति थी? पहले लोग शाम होते ही नहीं निकलते थे. कितना बुरा हाल था. 2005 के बाद की स्थिति देख लो. हम लोगों ने कितना काम किया लोग देख रहे.' ये बातें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हैं, जो विधानमंडल के मॉनसून सत्र में तेजस्वी यादव से मुखातिब होकर कह रहे थे.

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बिहार विधानसभा चुनाव की बढ़ती सियासी तपिश के बीच आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच राजनीतिक टकराव भी बढ़ते जा रहे हैं. मॉनसून सत्र के तीसरे दिन नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच जमकर बहस हुई. तेजस्वी नेसदन के अंदर एसआईआर पर चर्चा की मांग करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा तो सीएम नीतीश भड़क गए. तेजस्वी के माता-पिता के कार्यकाल की याद दिलाने में जुट गए.

नीतीश कुमार ने तेजस्वी की मां राबड़ी देवी और पिता लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल की बात पहली बार नहीं कही है. वो पहले भी कई बार तेजस्वी पर तंज नहीं कसा बल्कि कई बार हमले कर चुके हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि तेजस्वी के माता-पिता पर बार-बार हमला कर नीतीश कुमार क्या सियासी संदेश देना चाहते हैं?

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नीतीश बनाम तेजस्वी की सियासी जंग

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बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी जंग पूरी तरह से नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव के बीच होता दिख रहा है. एनडीए का चेहरा नीतीश कुमार हैं तो महागठबंधन की अगुवाई तेजस्वी यादव कर रहे हैं. इस बार एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है, जिसके चलते तेजस्वी और नीतीश एक दूसरे के खिलाफ सियासी नैरेटिव सेट करने में जुटे हैं. इसके चलते दोनों ही नेताओं के बीच सियासी टकराव भी होता रहता है.

तेजस्वी यादव ने बिहार स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि जो प्रक्रिया चुनाव आयोग अपना रहा है वो सही नहीं है. इसी के आधार पर 2003 से चुनाव हो रहा है. क्या इसके आधार पर जो चुनाव हुआ वो फर्जी था? क्या नीतीश कुमार फर्जी तरीके से मुख्यमंत्री बने हैं? तेजस्वी यादव ने कहा कि लालू यादव जी कहते हैं, वोट की चोट लोकतंत्र का अधिकार है. चुनाव आयोग को निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए.

वहीं, नीतीश कुमार विधानसभा में तेजस्वी यादव पर भड़क गए और कहा कि तुम्हारे माता-पिता के राज में क्या होता था? तुम्हारे माता-पिता के मुख्यमंत्री रहते पहले क्या स्थिति थी बिहार की? 2005 के बाद क्या स्थिति है देख लो. तुम्हारे माता-पिता के राज में कुछ काम नहीं हुआ. हम लोगों ने कितना काम किया लोग देख रहे. हमलोगों ने मुस्लिमों और महिलाओं के लिए कितना ज्यादा कि ये तुम भी जानते हो, तुम्हारी मां महिला होते हुए महिलाओं के लिए कुछ नहीं किया. नीतीश ने इससे पहले कई बार तेजस्वी के माता-पिता के कार्यकाल को लेकर हमला कर चुके हैं.

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तेजस्वी के मां-बाप पर नीतीश का हमला

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव पर लालू यादव-राबड़ी के शासनकाल से तुलना करते हुए अपने शासन की उपलब्धियां गिनाते हुए हमला किया. तेजस्वी की मां और बाप पर बार-बार हमला करके सियासी नैरेटिव सेट करने की है. लालू-राबड़ी के कार्यकाल को आधार बनाकर लगातार 20 सालों से नीतीश कुमार बिहार की सत्ता पर काबिज हैं. इस तरह नीतीश का अपना बार-बार आजमाया हुआ विनिंग फॉर्मूला है, जिसके सहारे एक बार फिर से बिहार की चुनावी जंग फतह करना चाहते हैं.

नीतीश अपनी सुशाशन वाली छवि गढ़ रहे

नीतीश कुमार बिहार चुाव की तपिश के बीच लालू-राबड़ी पर निशाना साधकर अपनी सुशासन वाली छवि को मजबूत करने की रणनीति है और तेजस्वी यादव को बैकफुट पर रखने का दांव माना जा रहा है. 1990 से 2005 तक बिहार की सत्ता पर लाल के परिवार का कब्जा था. लालू यादव खुद मुख्यमंत्री थी और चारा घोटाला में फंसने के बाद राबड़ी देवी सीएम रहीं. इस तरह 15 साल तक लालू-राबड़ी का राज बिहार में रहा, जिसे नीतीश कुमार 'जंगलराज' कह कर सवाल खड़े करते रहे. इससे आरजेडी को काफी नुकसान पहुंचा है और सत्ता से भी बाहर होना पड़ा.

लालू-राबड़ी राज के जवाब में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपनी सुशासन बाबू वाली छवि बनाया. नीतीश हमेंशा से अपने शासन की तुलना लालू-राबड़ी के दौर से करते हैं, ताकि मतदाताओं को याद रहे कि उनके आने से पहले बिहार की स्थिति क्या थी. नीतीश को इससे सियासी फायदा भी बिहार में मिलता रहा है और पिछले 20 सालों से सत्ता के धुरी बने हुए हैं.

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तेजस्वी और नीतीश में शह-मात का खेल

बिहार में दो दशक से नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द सत्ता सिमटी हुई है. बिहार में इन दिनों लूट और हत्या के तमाम मामले सामने आ रहे हैं. इस तरह प्रदेश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर तेजस्वी यादव सियासी नैरेटिव गढ़ने में जुट गए हैं. तेजस्वी इन दिनों कानून व्यवस्था मुद्दे को लेकर हमलावर रह रहे हैं और नीतीश कुमार की सुशासन वाली छवि को तोड़ने की कवायद कर रहे हैं, जिसके जवाब में नीतीश कुमार लालू-राबड़ी के शासनकाल की याद दिलाकर तेजस्वी यादव को बैकफुट पर रखने की कवायद में है.

नीतीश कुमार बिहार विधानसभा चुनाव में अपने सामने खड़े हो रहे तेजस्वी यादव को बच्चा कहकर उनकी सियासी परिपक्वता पर सवाल उठाते हैं और लालू-राबड़ी के शासन की नाकामियों से जोड़कर उनकी विश्वसनीयता कम करने की कोशिश करते हैं. यह दांव तेजस्वी को उनके माता-पिता की विवादित विरासत से बांधकर उनकी नई छवि को धूमिल करने का प्रयास है. इस तरह से बिहार चुनाव की बाजी जीतने के लिए तेजस्वी और नीतीश कुमार के बीच जुबानी जंग जारी है.

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