वैशाली जिले का महुआ विधानसभा क्षेत्र 2025 के बिहार चुनाव का कुरुक्षेत्र बनने जा रहा है. लालू परिवार और पार्टी से बेदखल हो चुके तेज प्रताप यादव ने बगावत का झंडा उठा लिया है और महुआ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, तो मौजूदा विधायक मुकेश रौशन ने भी ताल ठोक रखा है. तेज प्रताप की महुआ से चुनाव लड़ने की चुनौती को स्वीकार करते हुए मुकेश रौशन ने कहा कि कोई भी चुनाव लड़े, उन्हें कोई चिंता नहीं है, क्योंकि पार्टी और जनता उनके साथ है.
लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपनी सियासी पारी का आगाज 2015 में महुआ सीट से किया था. महुआ सीट से विधायक बनकर तेज प्रताप बिहार सरकार में मंत्री बने, लेकिन 2020 में महुआ सीट छोडकर हसनपुर क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया. हसनपुर सीट से भी विधायक बने, पर परिवार और पार्टी से अलग-थलग पड़ जाने के बाद तेज प्रताप यादव फिर से महुआ सीट से किस्मत आजमाने का फैसला किया है, चाहे आरजेडी टिकट दे या फिर नहीं.
तेज प्रताप यादव के महुआ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की चुनौती को आरजेडी के मौजूदा विधायक मुकेश रौशन ने भी स्वीकार कर लिया है. उन्होंने साफ-साथ शब्दों में कहा कि तेज प्रताप के चुनाव लड़ने से उन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. ऐसे में सवाल उठता है कि महुआ सीट पर तेज प्रताप यादव को मुकेश रौशन कितनी टक्कर दे पाएंगे?
तेज प्रताप ने महुआ से ठोकी ताल
तेज प्रताप यादव ने एक आउटरीच अभियान शुरू किया है, जिससे राज्य के चुनावों से पहले बिहार के लोगों से जुड़ सकें. तेज प्रताप यादव ने फिर वैशाली जिले की महुआ सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि महुआ के लोग चाहते हैं कि वे वहीं से चुनाव लड़ें. तेज प्रताप के मुताबिक लोगों का कहना है कि अगर आरजेडी से कोई और उम्मीदवार यहां उतरता है तो वो उसे वोट नहीं करेंगे. तेज प्रताप ने कहा कि 'हरहाल में महुआ से ही चुनाव लड़ूंगा, अगर टिकट मिला तो आरजेडी से, नहीं मिला तो निर्दलीय, लेकिन चुनाव लड़ूंगा.
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तेज प्रताप यादव ने महुआ को अपनी कर्मभूमि बताते हुए कहा कि वो महुआ विधानसभा सीट से निर्दलीय मैदान में उतारेंगे. महुआ विधानसभा क्षेत्र वही है, जहां से तेज प्रताप यादव ने 2015 के राज्य चुनावों में जीत हासिल की थी और 2017 तक नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे थे. हालांकि, साल 2020 में तेज प्रताप ने सीट बदल ली और हसनपुर से विधायक बने. तेज प्रताप के सीट छोड़ने के बजाय महुआ सीट से आरजेडी के टिकट पर मुकेश रौशन ने किस्मत आजमाया और विधायक बने.
तेज प्रताप बनाम मुकेश रौशन
महुआ विधानसभा सीट से राजनीति पारी का आगाज करने वाले तेज प्रताप यादव और आरजेडी के मौजूदा विधायक मुकेश रौशन आमने-सामने हैं. ऐसे में 2015 में आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले तेज प्रताप यादव को 66927 वोट मिला, जो 43.34 फीसदी था. HAM से चुनाव लड़ने वाले रविंदर राय को 38772 वोट, जो 25.11 फीसदी था. तेज प्रताप 28155 वोट से जीतकर विधायक बने थे. इस चुनाव में आरजेडी को कांग्रेस-जेडीयू का समर्थन था.
वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के टिकट पर मुकेश कुमार रौशन ने किस्मत आजमाया. मुकेश रौशन ने 36.48 फीसदी के साथ 62747 वोट हासिल किए थे. जेडीयू के टिकट पर आसमा परवीन 33.5 फीसदी के साथ 48,893 वोट हासिल हुए थे. मुकेश रौशन ने 13764 वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर विधायक बने. मुकेश रौशन जीतने में जरूर सफल रहे, लेकिन तेज प्रताप को जीत की मार्जिन दोगुना थी. हालांकि, 2015 में जेडीयू का समर्थन हासिल था तो 2020 में आरजेडी के मुकाबले में चुनाव लड़ रही थी.
तेज प्रताप कहीं बिगाड़ न दें गेम
महुआ विधानसभा सीट पर दस साल से आरजेडी का कब्जा है, लेकिन तेज प्रताप यादव के निर्दलीय चुनाव लड़ने से आरजेडी का सियासी गणित बिगड़ सकता है. तेज प्रताप के ऐलान से 2020 में महुआ से विधायक बने मुकेश रौशन परेशान जरूर हैं,लेकिन दिखा नहीं रहे. सियासी जानकारों का मानना है कि तेज प्रताप यादव का यह कदम आरजेडी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है, खासकर महुआ सीट पर, जहां उनका प्रभाव पहले से ही है.
तेज प्रताप के निर्दलीय चुनाव लड़ने से आरजेडी का वोटों में बिखराव होने की संभावना है. मुकेश रौशन को जीत सिर्फ 13 हजार वोटों से मिली थी, ऐसे में जेडीयू अगर 2025 में चुनाव लड़ती है तो उसे बीजेपी, एलजेपी, जीतनराम मांझी की पार्टी का समर्थन हासिल होगा. एनडीए का वोट एकजुट रहने की संभावना है तो महागठबंधन के वोट में बिखराव तेज प्रताप के उतरने से हो सकता है. तेज प्रताप आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे हैं, उनकी यह पहचान ही आरजेडी के वोटों में बिखराव का खतरा बनेगा.
महुआ सीट का सियासी समीकरण
महुआ विधानसभा सीट का जातीय समीकरण भी खासा प्रभाव डालते हैं. यादव, मुसलमान, सुनार, और कुशवाहा जैसी जातियां चुनावी नतीजों को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाती हैं. महुआ क्षेत्र की कुल आबादी में मुस्लिम और यादव समाज की अनुमानित हिस्सेदारी करीब 35 फीसदी से भी ज्यादा है. मुस्लिम और यादव आरजेडी के कोर वोटर माने जाते हैं. इसके अलावा अनुसूचित जाति की आबादी भी 21 फीसदी के आसपास है, जिसमें पासवान और रविदास समाज की बहुलता है.
तेज प्रताप को मुकेश दे पाएंगे टक्कर
तेज प्रताप यादव निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरते हैं, तो आरजेडी के कोर वोट बैंक में बंटवारे की स्थिति बन सकती है. हालांकि, मुकेश कुमार रौशन की अपनी सियासी पकड़ है. इसी का नतीजा है कि तेज प्रताप के सीट छोड़ने के बाद भी मुकेश कुमार रौशन 2020 में विधायक बनने में सफल रहे हैं. यही वजह है कि तेज प्रताप के चुनाव लड़ने के ऐलान की चुनौती को मुकेश रौशन ने स्वीकार करते हुए साफ कहा कि उन्हें कोई चिंता नहीं है, क्योंकि पार्टी और जनता उनके साथ है.
तेज प्रताप यादव के आरजेडी में रहते हुए मुकेश कुमार रौशन से उनके छत्तीस के आंकड़े रहे हैं. अब तस्वीर अलग है. मुकेश रौशन आरजेडी में ही हैं और महुआ से विधायक हैं. तेज प्रताप यादव 'बेपार्टी' हो चुके हैं. मुकेश रौशन को फिलहाल आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का समर्थन हासिल है. लालू परिवार और पार्टी से अलग होने के बाद तेज प्रताप यादव की सियासत कमजोर पड़ी है.
आरजेडी से अगर मुकेश रौशन को 2025 चुनाव में टिकट मिलता है तो तेजस्वी यादव से लेकर लालू यादव तक का समर्थन तेज प्रताप यादव हासिल नहीं कर पाएंगे. ऐसे में मुकेश रौशन का सियासी पलड़ा भारी रह सकता है, लेकिन तेज प्रताप के निर्दलीय उतरने से वोटों में बिखराव का खतरा पैदा होने की संभावना है. एनडीए के कैंडिडेट के हार का अंतर जिस तरह 2020 में कम हुआ है, उससे एक बात साफ है कि तेज प्रताप के चुनाव लड़ने से वोट बंटता है तो आरजेडी के लिए सीट पर अपना दबदबा बनाए रखना आसान नहीं होगा.
कुबूल अहमद