बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का प्रचार खत्म होने से एक दिन पहले सोमवार को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने दानापुर सीट पर रोड शो किया. काफी अरसे बाद लालू यादव प्रचार के लिए उतरे थे. ऐसे में दानापुर की सड़कों पर लालू की एक झलक देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.
दानापुर विधानसभा सीट पर आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे बाहुबली रीतलाल यादव जेल में बंद हैं. इस बार दानापुर में उनका मुकाबला बीजेपी के रामकृपाल यादव से है, जो कभी लालू यादव के राइट हैंड माने जाते थे और पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से कई बार सांसद रह चुके हैं. इस बार दानापुर की लड़ाई यादव बनाम यादव की बन गई है.
पटना की दानापुर सीट आरजेडी के लिए नाक की लड़ाई बन गई है. इस सीट से लालू यादव दो बार विधायक रहे हैं. यह सीट पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र के तहत आती है, जहां से लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती लोकसभा सांसद हैं. यही वजह है कि लालू यादव दानापुर सीट पर रीतलाल को जीत का समर्थन जुटाकर रामकृपाल से बदले का हिसाब बराबर कर लेना चाहते हैं.
रीतलाल के समर्थन में लालू का रोड शो
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बाहुबली रीतलाल यादव दानापुर सीट से तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं. रीतलाल को लालू यादव का करीबी माना जाता है. बिल्डर कुमार गौरव से 50 लाख रुपए की रंगदारी मांगने के मामले में वे भागलपुर की जेल में बंद हैं. रीतलाल नामांकन के लिए जेल से बाहर आए थे, लेकिन उन्हें चुनाव प्रचार के लिए पटना हाईकोर्ट से जमानत नहीं मिली.
रीतलाल का परिवार अकेले ही चुनावी कैंपेन में जुटा हुआ था, लेकिन प्रचार के आखिर दौर में लालू परिवार उनकी जीत को सुनिश्चित करने के लिए सड़क पर उतर गया.
रीतलाल के खिलाफ बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव को उतारा है. रामकृपाल यादव भी लालू प्रसाद यादव के पुराने सहयोगी रहे हैं. ऐसे में रामकृपाल के चलते यादव वोटबैंक दानापुर में बीजेपी के पक्ष में शिफ्ट होने की संभावना मानी जा रही है.
यही वजह है कि लालू यादव ने दानापुर सीट पर 15 किलोमीटर का रोड शो करके सियासी माहौल को आरजेडी के पक्ष में करने का दांव चला. इसे लालू का एक तीर से दो शिकार करने का दांव माना जा रहा है.
रीतलाल यादव की सीट क्या फंसी हुई है?
दानापुर विधानसभा सीट पर आरजेडी से चुनाव लड़ रहे रीतलाल यादव के लिए इस बार सियासी राह आसान नहीं है. रीतलाल यादव जेल में बंद हैं, जिसके चलते उनका सियासी माहौल नहीं बन पा रहा है.
दानापुर सीट का सियासी समीकरण भी काफी उलझा हुआ है, यहां पर भले ही सबसे ज्यादा आबादी यादव वोटों की है, लेकिन हार-जीत दलित और अतिपिछड़े वर्ग के वोटबैंक तय करते हैं.
दानापुर सीट के सियासी समीकरण देखें तो कुल पौने चार लाख वोटर हैं, जिसमें करीब 80 हजार यादव, 60 हजार सवर्ण, 85 हजार के करीब अतिपिछड़े, 40 हजार मुस्लिम और 55 हजार दलित मतदाता हैं.
यादव वोट की ताकत को देखते हुए एनडीए और महागठबंधन दोनों ने ही यादव समुदाय से प्रत्याशी उतारे हैं. आरजेडी से रीतलाल यादव तो बीजेपी से रामकृपाल यादव हैं.
रीतलाल की छवि एक दबंग और बाहुबली नेता की है तो बीजेपी के रामकृपाल यादव सॉफ्ट छवि के नेता माने जाते हैं. रामकृपाल यादव पाटलिपुत्र सीट से कई बार सांसद रह चुके हैं. पाटलिपुत्र सीट के तहत ही दानापुर विधानसभा सीट आती है. इस कारण यादव वोटरों में रामकृपाल की भी अपनी पकड़ है.
यादव वोटर अगर आरजेडी से छिटकता है तो रीतलाल यादव की राह काफी मुश्किल भरी हो सकती है, जिसके चलते लालू परिवार ने चुनाव प्रचार में उतरकर सियासी माहौल को आरजेडी के पक्ष में करने का दांव चला है.
मीसा भारती की राजनीति बचाने का दांव
लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती 2014 से पाटलिपुत्र संसदीय सीट से चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन उन्हें जीत 2024 के चुनाव में पहली बार मिली है. मीसा भारती के खिलाफ रामकृपाल यादव चुनाव लड़ते रहे हैं. ऐसे में मीसा भारती भी चाहती हैं कि रीतलाल यादव चुनाव जीतें, क्योंकि दानापुर विधानसभा मीसा के लोकसभा क्षेत्र पाटलिपुत्र में आता है.
रीतलाल यादव अगर जीतते हैं तो मीसा भारती के आगे की सियासी राह आसान होगी. रीतलाल यादव के सक्रिय होने के चलते ही मीसा भारती 2024 में सांसद बनी हैं. अब जब रीतलाल जेल में हैं तो लालू परिवार पूरी ताकत के साथ उन्हें जिताने के लिए ताकत झोंक दी है. लालू के उतरने से यादव वोटों में कन्फ्यूजन खत्म होगा और वह आरजेडी के पक्ष में लामबंद हो सकता है.
लालू प्रसाद यादव 1995 और 2000 में राघोपुर सीट के साथ-साथ दानापुर विधानसभा सीट से भी जीत दर्ज किए थे. इस तरह दानापुर सीट पर लालू की अपनी सियासी पकड़ है, खासकर यादव और मुस्लिम वोटों पर. लालू के प्रचार करने से रीतलाल यादव को सियासी लाभ मिलने की उम्मीद की जा रही है.
रामकृपालसे हिसाब बराबर करने का प्लान
दानापुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के टिकट पर उतरे रामकृपाल यादव कभी लालू यादव के करीबी नेताओं में गिने जाते थे. लालू ने उन्हें राजनीति में आगे बढ़ाया और कई बार सांसद बनाया.
2014 के लोकसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच रामकृपाल यादव ने आरजेडी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था, क्योंकि पाटलिपुत्र संसदीय सीट से लालू यादव ने अपनी बेटी मीसा भारती को चुनाव लड़ाने का फैसला किया था.
रामकृपाल नाराज होकर आरजेडी छोड़ दी थी और बीजेपी के टिकट पर पाटलिपुत्र संसदीय सीट से उतर गए थे. रामकृपाल ने मीसा को चुनाव हरा दिया था. मीसा भारती ने यह हिसाब 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मात देकर हिसाब बराबर कर लिया है.
अब जब 2025 के विधानसभा चुनाव में दानापुर सीट पर रीतलाल यादव के खिलाफ रामकृपाल यादव बीजेपी से किस्मत आजमाने उतरे हैं तो लालू परिवार आरजेडी उम्मीदवार रीतलाल यादव को जिताने के लिए उतर गया है. लालू यादव के उतरने से रामकृपाल की सियासी राह मुश्किलों भरी हो गई है.
रामकृपाल बनाम रीतलाल यादव का चुनाव
दानपुर विधानसभा सीट पर रामकृपाल यादव बनाम रीतलाल यादव का सीधा चुनाव माना जा रहा है. माना जा रहा है कि लालू परिवार किसी भी हालत में रामकृपाल यादव को चुनाव में जीतने नहीं देना चाहता है. रामकृपाल की पकड़ अपने एरिया के यादव वोटरों में भी है. ऐसे में यादव वोटों का झुकाव उनकी ओर होने की उम्मीद है.
अब लालू यादव ने रोड शो करके यादवों के वोटबैंक को छिटकने से रोकने का सियासी दांव चला है. दानापुर में यादव और मुस्लिम के वोट मिलाकर करीब 28 से 30 फीसदी होता है.
लालू के उतरने से एम-वाई समीकरण मजबूत होगा. इसके अलावा दानापुर सीट पर स्थानीय और बाहरी होने का भी नैरेटिव सेट किया जा रहा है. रीतलाल यादव दानापुर इलाके से आते हैं जबकि रामकृपाल यादव बाहरी हैं. ऐसे में देखना है कि लालू का दांव काम आता है या फिर रामकृपाल का सियासी गणित?
कुबूल अहमद