Bihar Chunav 2025: मां वैशाली से सांसद, पिता विधान पार्षद.... अब बेटी विधायक बनने के लिए उतरी चुनावी मैदान में

बिहार की गायघाट विधानसभा सीट से इस बार जेडीयू ने कोमल सिंह को टिकट दिया है. वह पूरे क्षेत्र में बुलेट से घूम-घूमकर चुनाव प्रचार कर रही हैं. उनकी मां वैशाली से सांसद हैं, जबकि पिता विधान पार्षद हैं.

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गायघाट से जेडीयू प्रत्याशी कोमल सिंह और वैशाली से सांसद उनकी मां वीणा देवी. (Photo: Screengrab) गायघाट से जेडीयू प्रत्याशी कोमल सिंह और वैशाली से सांसद उनकी मां वीणा देवी. (Photo: Screengrab)

मणिभूषण शर्मा

  • मुजफ्फरपुर,
  • 04 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:04 PM IST

बिहार की गायघाट विधानसभा सीट से इस बार जेडीयू ने कोमल सिंह को टिकट दिया है. वह पूरे क्षेत्र में बुलेट से घूम-घूमकर चुनाव प्रचार कर रही हैं. उनकी मां वैशाली से सांसद हैं, जबकि पिता विधान पार्षद हैं. 

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार वैशाली से सांसद वीणा देवी की बेटी कोमल सिंह भी चुनावी मैदान में हैं. उन्हें जेडीयू ने टिकट दिया. वह पूरे क्षेत्र में घूम-घूमकर चुनाव प्रचार कर रही हैं. राजनीतिक परिवार से होने के कारण अब कोमल भी चुनावी मैदान में विधायक बनने के लिए कूद गई हैं और बुलेट से घूम-घूमकर चुनाव प्रचार कर रही हैं.

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हमें मिल रहा है लोगों का आशीर्वाद: कोमल सिंह

कोमल से जब 'आजतक' ने बात की तो उन्होंने कहा कि मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करती हूं और मैं हमेशा कहती हूं कि मुजफ्फरपुर के गायघाट विधानसभा के हर घर में मेरे चाचा, चाची, दीदी भैया रहते हैं. मैं उनके बीच जा रही हूं. उनका आशीर्वाद ले रही हूं और मुझे उनका पूरा आशीर्वाद मिल रहा है.

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लोगों का विश्वास मेरे साथ है. यहां के सब लोग जानते हैं कि 1990 से लेकर 2015 तक बिहार में महागठबंधन की सरकार थी. वहीं, दो 2005 से अब तक एनडीए की सरकार है. ऐसे में सभी लोगों ने तुलना करके देख लिया है कि बिहार की उस समय क्या परिस्थिति थी. नब्बे के दशक में बिहार में सड़कें नहीं थी. पुल पुलिया नहीं था.

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जीतूंगी तो महिलाओं के लिए रोजगार और युवाओं को दूंगी शिक्षा

बिहार में बिजली नहीं था, पानी नहीं था. महिलाएं तो दूर की बात पुरुष भी छह बजे शाम के बाद अपने घर ऐसी बाहर नहीं निकाल सकते थे.शिक्षा की अच्छी व्यवस्था नहीं थी.स्वास्थ्य की अच्छी व्यवस्था नहीं थी. मैंने एमबीए सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी पुणे से किया है. उसके बाद में नौकरी कर रही थी. मेरा एक ही लक्ष्य था कि मैं बिहार में अपने लोगों के बीच रहूं. अपने माता-पिता को लोगों का सेवा करती देख रही हूं.

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