'कहां गया जनता का पैसा?' 71,000 करोड़ के मुद्दे पर तेजस्वी का नीतीश सरकार से सवाल, 'ट्रिपल M' से बोला हमला

RJD नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर भी इस कथित घोटाले को लेकर 'ट्रिपल M' के जरिए हमला बोला है. तेजस्वी ने कहा है कि सरकार पहले 71000 करोड़ का घोटाला करती है और फिर जनता को मटन, मछली और मुसलमान जैसे महत्वहीन मुद्दों में उलझा कर रखती है.

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तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है. (फाइल फोटो) तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है. (फाइल फोटो)

रोहित कुमार सिंह

  • पटना,
  • 28 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:32 PM IST

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार में ₹71000 करोड़ के कथित घोटाले को लेकर नीतीश कुमार सरकार से सवाल पूछा है. तेजस्वी ने सवाल किया है कि कथित रूप से इस महाघोटाले को करने वाली नीतीश सरकार मौन क्यों है और उसको उसका हिसाब बताना चाहिए.

तेजस्वी यादव ने कहा, यह आपकी जागीर नहीं है सरकार, यह जनता की गाढ़ी कमाई है. फंड कहां गया, किस जेब में गया? क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है? देश को क्या बताया?

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तेजस्वी यादव ने दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर भी इस कथित घोटाले को लेकर 'ट्रिपल M' के जरिए हमला बोला है. तेजस्वी ने कहा है कि सरकार पहले 71000 करोड़ का घोटाला करती है और फिर जनता को मटन, मछली और मुसलमान जैसे महत्वहीन मुद्दों में उलझा कर रखती है.

दरअसल, पिछले सप्ताह मॉनसून सत्र के दौरान कॉम्प्ट्रॉलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) की एक रिपोर्ट विधानसभा में पेश किया गया, जिसमें बताया गया है कि 2016 से लेकर 31 मार्च 2024 तक बिहार सरकार ने ₹70877 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किया है.

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रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016-17 में ₹14452.38 करोड़, 2017-18 में ₹3746.64 करोड़, 2018-19 में ₹5870.67 करोड़, 2019-2021 में ₹17980.24 करोड़, 2021-22 में ₹16014.34 करोड़, 2022-23 में ₹12813.34 करोड़.

2016 से लेकर 31 मार्च 2023 तक यानी पिछले 8 सालों में कुल ₹70877.61 करोड रुपए की उपयोगिता प्रमाण पत्र बिहार सरकार ने जमा नहीं कराया है जिसको लेकर CAG ने आशंका जताई है कि यह राशि हेर फेर की गई है या फिर गबन किया गया है.

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बिहार सरकार के जिन पांच विभाग सबसे ज्यादा उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं करने के दोषी हैं, उनके नाम हैं...

- पंचायती राज विभाग ₹28154.10 करोड़

- शिक्षा विभाग ₹12623.67 करोड़ 

- शहरी विकास विभाग ₹11065.50 करोड़

- ग्रामीण विकास विभाग ₹7800.48 करोड़

- कृषि विभाग ₹2107.63 करोड़

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