बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का मतदान पूरा हो चुका है और अब सबकी नजर 14 नवंबर को आने वाले नतीजों पर टिकी है. इस बार रिकॉर्डतोड़ 69.9% मतदान हुआ है - जो बताता है कि जनता ने बड़े उत्साह से लोकतंत्र में अपनी भागीदारी निभाई है. लेकिन सवाल यह है कि बिहार की जनता ने किसे चुना है - नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए को या तेजस्वी यादव के महागठबंधन को?
जहां राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज है, वहीं एआई प्लेटफॉर्म्स - Grok, Perplexity और ChatGPT - ने अपने-अपने विश्लेषण में साफ संकेत दिए हैं कि इस बार भी सत्ता की चाबी एनडीए के पास जाती दिख रही है. आइए, देखें ये तीनों क्या कह रहे हैं...
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Grok का अनुमान: "फिर लौटेगा एनडीए"
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Grok के मुताबिक बिहार की जनता ने इस बार फिर नीतीश कुमार और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए पर भरोसा जताया है. Grok के विश्लेषण में एनडीए को 130 से 160 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि विपक्षी महागठबंधन 85 से 100 सीटों के बीच सिमट सकता है.
Grok का कहना है कि इस बार महिलाओं ने मतदान का रुख तय किया है, क्योंकि महिलाओं की भागीदारी 71.6% रही - जो पुरुषों से लगभग 9% ज़्यादा है. "मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना" जैसी योजनाओं का सीधा असर दिखा, जिससे महिलाओं ने एनडीए को भरोसे का वोट दिया.
इनके अलावा, ओबीसी और एससी मतदाता भी बड़ी संख्या में एनडीए के पक्ष में दिखे हैं. जबकि युवा वर्ग, जो पहले तेजस्वी के साथ माना जा रहा था, इस बार "विकास बनाम जाति" की सोच के साथ सरकार की योजनाओं से प्रभावित दिखा.
Grok का साफ संकेत है कि अगर रुझान सही रहे, तो नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर लौटेंगे.
Perplexity की रिपोर्ट: "महिलाओं ने पलड़ा भारी किया"
Perplexity का विश्लेषण और भी विस्तार से बताता है कि इस चुनाव का असली गेम-चेंजर महिला वोटर बनी हैं. इनके मुताबिक, एनडीए को 140 से 167 सीटें, जबकि महागठबंधन को 70 से 102 सीटें मिलने की संभावना है.
Perplexity का कहना है कि नीतीश कुमार के सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों - जैसे 10,000 रुपये की नकद सहायता, साइकिल योजना, महिला समूह ऋण योजना, मुफ्त बिजली और सुरक्षा में सुधार ने महिला मतदाताओं का दिल जीता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन इलाकों में महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया, वहां 60% से ज़्यादा सीटों पर एनडीए को बढ़त मिलने की संभावना है.
इनके अलावा, तेजस्वी यादव की "2,500 रुपये प्रति माह" वाली योजना को लोग भरोसेमंद नहीं मान रहे, क्योंकि नीतीश ने पहले ही "तुरंत लाभ" की योजनाएं दी हैं.
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Perplexity के अनुसार, जनसुराज पार्टी (प्रशांत किशोर) भी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी - उसे 0 से 5 सीटों तक ही सीमित बताया गया है.
Perplexity का निष्कर्ष साफ है - एनडीए सरकार वापसी की राह पर है, और नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बन सकते हैं.
ChatGPT का विश्लेषण: "स्थिरता पर जनता ने भरोसा किया"
ChatGPT के मुताबिक, बिहार की जनता ने "स्थिरता बनाम अस्थिरता" को वोट दिया है. इसके अनुसार, एनडीए को 147 सीटों के आसपास सफलता मिलने की उम्मीद है, जबकि महागठबंधन लगभग 90 सीटों पर सीमित रहेगा.
ChatGPT का कहना है कि इस बार का उच्च मतदान, खासकर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी, ने सत्ता विरोधी लहर को कमजोर कर दिया है. पिछले पांच वर्षों में बिजली, सड़क, पानी और कानून-व्यवस्था में हुए सुधारों ने ग्रामीण मतदाताओं का झुकाव सरकार की ओर बनाए रखा है.
रिपोर्ट के अनुसार, नीतीश कुमार और बीजेपी का गठबंधन 243 सीटों में से लगभग 60% सीटों तक जीत सकता है. ChatGPT का निष्कर्ष है, "अगर मौजूदा रुझान कायम रहे, तो नीतीश कुमार 2025 में भी बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे."
अंतिम निष्कर्ष: कौन जीतेगा बिहार?
तीनों एआई प्लेटफॉर्म्स - Grok, Perplexity और ChatGPT का विश्लेषण लगभग एक दिशा में इशारा कर रहा है.
एआई के अनुसार: एनडीए को 140–160 सीटें; महागठबंधन को 80–100 सीटें; जन सुराज और अन्य को 5–8 सीटें मिलने की संभावना है.
साफ शब्दों में कहा जाए तो बिहार की जनता ने "परिवर्तन" नहीं, "भरोसे" पर वोट दिया है. महिलाओं की अभूतपूर्व भागीदारी, विकास योजनाओं की जमीनी पहुंच और नीतीश कुमार की "स्थिर नेता" वाली छवि ने एनडीए को बढ़त दी है.
14 नवंबर को जब मतगणना होगी, तब यह साफ हो जाएगा कि एआई की यह भविष्यवाणी कितनी सटीक बैठी. लेकिन फिलहाल, बिहार की राजनीति एक बार फिर नीतीश कुमार के नाम की गूंज सुनने को तैयार दिख रही है.
एम. नूरूद्दीन