बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा क्यों बनना चाहती है AIMIM? ओवैसी ने लालू के पाले में डाल दी गेंद

AIMIM की तरफ से महागठबंधन में शामिल होने की पेशकश के बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ओवैसी महागठबंधन का हिस्सा क्यों बनना चाहते हैं? AIMIM पर इंडिया ब्लॉक और बिहार में महागठबंधन के नेता बीजेपी की B टीम होने के आरोप लगाते रहे हैं.

Advertisement
AIMIM ने महागठबंधन में शामिल होने के लिए लालू को लिखा पत्र (तस्वीर: PTI) AIMIM ने महागठबंधन में शामिल होने के लिए लालू को लिखा पत्र (तस्वीर: PTI)

शशि भूषण कुमार

  • पटना,
  • 04 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 3:22 PM IST

बिहार (Bihar) में 4 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दल और अलग-अलग गठबंधन अपनी रणनीति को कसने में जुटे हुए हैं लेकिन AIMIM और असदुद्दीन ओवैसी ने नया सियासी दांव खेलकर बिहार की सियासत में सबको चौंका दिया है. दरअसल, AIMIM ने खुद को महागठबंधन में शामिल किए जाने के लिए आरजेडी को प्रस्ताव दिया है.

Advertisement

AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष और बिहार में पार्टी के इकलौते विधायक अख्तरुल ईमान ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखते हुए प्रस्ताव दिया है कि उनकी पार्टी को महागठबंधन में शामिल किया जाए. पार्टी की तरफ से लालू के पास भेजा गया यह प्रस्ताव बिहार की सियासत के नए गणित की ओर इशारा कर रहा है. इस बात को समझना बेहद जरूरी है कि आखिर असदुद्दीन ओवैसी अपनी पार्टी को महागठबंधन का हिस्सा क्यों बनाना चाहते हैं? आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है, जिसने ओवैसी को लालू के दरवाजे तक जाने को मजबूर कर दिया है? सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या लालू यादव इस परिस्थिति में हैं कि वह AIMIM को महागठबंधन में शामिल कर सकें? 

लालू को ओवैसी का प्रस्ताव

बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी में ओवैसी की पार्टी AIMIM लंबे वक्त से जुटी हुई है. पिछले विधानसभा चुनाव में AIMIM ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंका दिया था और इस बार भी पार्टी कई सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी में लगी हुई है. अब तक ओवैसी की पार्टी की तैयारी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में थी लेकिन अचानक AIMIM की तरफ से आरजेडी को यह प्रस्ताव दिया गया कि वह महागठबंधन का हिस्सा बनना चाहती है. 

Advertisement

बिहार चुनाव की विस्तृत कवरेज के लिए यहां क्लिक करें

बिहार विधानसभा की हर सीट का हर पहलू, हर विवरण यहां पढ़ें

बिहार में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने लालू प्रसाद यादव को पत्र भेज कर अपनी बात रखी है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर लालू यादव या फिर तेजस्वी यादव ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, बावजूद इसके आरजेडी का सीधा कहना है कि ओवैसी की पार्टी की छवि बीजेपी की B टीम के तौर पर रही है, लिहाजा महागठबंधन में उन्हें शामिल किया जाए या नहीं इस पर आखिरी फैसला केवल लालू प्रसाद यादव या फिर तेजस्वी यादव ही कर सकते हैं. 

यह भी पढ़ें: बिहार के नालंदा में 9 महीने की बच्ची के गले से खींच ले गया चेन, सीसीटीवी में कैद हुई घटना

अख्तरुल ईमान ने लालू यादव को जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के गठबंधन में उनकी पार्टी को भी शामिल करने की बात कही गई है. अख्तरुल ईमान ने यह भी कहा है कि फोन पर उनकी आरजेडी के नेताओं से पहले भी बात हो चुकी है लेकिन बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई, लिहाजा अब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को ही पत्र भेज कर प्रस्ताव की पेशकश की गई है. उधर ओवैसी खुद यह साफ कर चुके हैं कि अगर उनकी पार्टी महागठबंधन का हिस्सा नहीं बन पाई तो वह बिहार में तीसरे मोर्चे के विकल्प की तलाश करेंगे.

Advertisement

लालू के पाले में ओवैसी की गेंद

AIMIM की तरफ से महागठबंधन में शामिल होने की पेशकश के बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ओवैसी महागठबंधन का हिस्सा क्यों बनना चाहते हैं?AIMIM भले ही देश के अलग-अलग राज्यों में चुनाव लड़ती रही हो लेकिन उसके ऊपर इंडिया ब्लॉक या फिर बिहार में महागठबंधन के नेता बीजेपी की B टीम होने के आरोप लगाते रहे हैं. 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM का जो प्रदर्शन सीमांचल के इलाके में रहा, इसकी वजह से तेजस्वी यादव और उनके गठबंधन को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचने की बात कही जाती है. 

सीमांचल में ओवैसी की पार्टी के 5 विधायक चुनाव जीत कर आए थे और कई सीटों पर उनके उम्मीदवारों ने तेजस्वी और उनके गठबंधन के उम्मीदवारों का ही वोट काटा था. ओवैसी की पार्टी ने लालू के पास जो प्रस्ताव भेजा है, उसके अपने सियासी मायने हैं. AIMIM प्रदेश अध्यक्ष साफ कर चुके हैं कि वह महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव इसलिए दे रहें, जिससे बिहार विधानसभा चुनाव में सेक्युलर वोटों का बिखराव ना हो. जाहिर है, अगर AIMIM के उम्मीदवार अलग से चुनाव मैदान में उतरते हैं, तो मुस्लिम मतदाताओं का वोट महागठबंधन से छिटक कर ओवैसी की पार्टी की तरफ भी आएगा. अख्तरुल ईमान इसी तरफ इशारा कर रहे हैं.

Advertisement

यह भी पढ़ें: बिहार के इस गांव ने दी दुनिया को पहली भारतीय मूल की महिला प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने की मुलाकात

AIMIM की तरफ से इसीलिए बार-बार यह कहा जा रहा है कि वह नहीं चाहता कि बिहार में सेक्युलर वोटों का बिखराव हो. लालू प्रसाद यादव के पास प्रस्ताव भेजकर ओवैसी अपनी तरफ से मुस्लिम वोटर्स के बीच भी यह मैसेज देना चाहते हैं कि वह महागठबंधन के साथ आना चाहते थे लेकिन लालू यादव ने इसे खारिज कर दिया. 

सियासी जानकार मानते हैं कि इस बात की उम्मीद ना के बराबर है कि लालू यादव AIMIM को महागठबंधन का हिस्सा बनाएंगे, लिहाजा प्रस्ताव का खारिज होना भी तय है. प्रस्ताव खारिज होने के बाद AIMIM के उम्मीदवारों पर बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी और उसके सहयोगी दलों की तरफ से बीजेपी की B टीम होने का आरोप लगाना आसान नहीं होगा. चुनावी मैदान में ओवैसी और उनकी पार्टी खुल कर यह मैसेज भी देगी कि AIMIM महागठबंधन में शामिल होना चाहती थी लेकिन लालू और तेजस्वी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. एक बड़ा मैसेज यह भी होगा कि बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में वह महागठबंधन का हिस्सा बनने को तैयार थे लेकिन इसके लिए महागठबंधन ही तैयार नहीं हुआ. शायद यही वजह है कि सोची-समझी रणनीति के साथ ओवैसी ने लालू यादव के पाले में गेंद डाल दी है. मौजूदा प्रस्ताव से ओवैसी और उनकी पार्टी को नुकसान होने के बजाय सियासी काउंटर के लिए बड़ा आधार मिल जाएगा.

Advertisement

ओवैसी के लिए मुश्किलें...

बिहार के चुनावी मैदान में उतरने की पूरी तैयारी कर चुके ओवैसी और उनकी पार्टी AIMIM के लिए इस बार सबसे बड़ी चुनौती पिछले प्रदर्शन को दोहराना या उससे बड़ी लकीर खींचना है. पिछले विधानसभा चुनाव में AIMIM के कुल पांच उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. 

हालांकि, 2022 में ओवैसी के पांच में से चार विधायकों ने पाला बदल लिया था और वह आरजेडी के साथ चले गए थे. इकलौते विधायक और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ही AIMIM में रह गए थे. 2020 में ओवैसी की पार्टी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही थी, तब सीमांचल के इलाके में उनकी पार्टी की तरफ से अल्पसंख्यकों के बीच किए गए ग्राउंड वर्क की वजह से AIMIM के उम्मीदवारों में मुस्लिम वोटर्स को एक उम्मीद नजर आई थी लेकिन बीते 5 साल में बिहार और देश की राजनीति काफी आगे निकल चुकी है. 

यह भी पढ़ें: बिहार में 5 लाख महिलाओं को सेनेटरी पैड बांटेगी कांग्रेस, कवर पर राहुल गांधी की फोटो

ओवैसी और उनकी पार्टी AIMIM के ऊपर बीजेपी की B टीम होने का सीधे लगाया जाता है. विपक्षी गठबंधन के नेता यह खुले तौर पर रहते हैं कि ओवैसी की पार्टी जहां कहीं चुनाव मैदान में उतरती है, वह मुस्लिम वोटों का बिखराव कर बीजेपी को फायदा पहुंचती है. ऐसे में मुस्लिम वोटर्स के बीच AIMIM के उम्मीदवारों की छवि वोट-कटवा की ना रहे, यह चुनौती ओवैसी के सामने है. सीमांचल में अगर मुस्लिम वोटर्स ने ओवैसी और उनकी पार्टी AIMIM को गंभीरता से नहीं लिया, तो बिहार में उनकी राजनीति हाशिए पर चली जाएगी. इन परिस्थितियों से पार पाने के लिए ओवैसी के सामने विकल्प यह था कि वह महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव दें और अगर यह प्रस्ताव खारिज हो तो वोट-कटवा वाली इमेज से बचने की राह उन्हें मिल जाएगी. ओवैसी अगर तीसरे मोर्चे या फिर अकेले दम पर चुनाव मैदान में जाते हैं, तो भी उनकी पार्टी यह कहेगी कि बीजेपी के खिलाफ लड़ना उनका मकसद है. बीजेपी विरोध की राजनीति के बगैर ओवैसी को बिहार में मुसलमान का वोट मिलना मुमकिन नहीं.

Advertisement

लालू और तेजस्वी के लिए चुनौती

महागठबंधन में शामिल होने के प्रस्ताव वाली गेंद लालू यादव के पाले में डालकर ओवैसी ने तेजस्वी के लिए चुनौती बढ़ा दी है. लालू अगर यह प्रस्ताव आधिकारिक तौर पर खारिज करते हैं, तो तेजस्वी को ये बताना होगा कि बीजेपी विरोधी गठबंधन में शामिल होने का मौका AIMIM को क्यों नहीं दिया गया? ओवैसी लगातार यह आरोप भी लगाते रहे हैं कि लालू यादव ने मुसलमानों का एकमुश्त वोट हासिल करने के बावजूद बिहार में अल्पसंख्यकों को कुछ भी नहीं दिया. अल्पसंख्यक वोटो को हासिल करने के बावजूद ना तो लालू के सत्ता में रहते कभी मुसलमानों नेतृत्व का मौका मिला और ना ही कोई बड़ा विभाग किसी मुस्लिम मंत्री को दिया गया.

ओवैसी यह आरोप लगाते हुए मांग भी कर रहे हैं कि मुसलमानों को उनका वाजिब हक महागठबंधन में मिलना चाहिए. जाहिर है AIMIM की पेशकश अगर खारिज होती है, तो ओवैसी यह बात और पुरजोर तरीके से कहेंगे. ओवैसी के सवालों से तेजस्वी और लालू के सामने बड़ी चुनौतियां होंगी. सबसे बड़ा जोखिम यह होगा कि अगर ओवैसी की बात अल्पसंख्यकों के दिल-ओ-दिमाग में घर कर गई, तो चुनाव में इसका नुकसान महागठबंधन को हो सकता है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement