बिहार की सियासी पिच पर अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव उतरने जा रहे हैं. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' में शिरकत करने के लिए अखिलेश यादव शुक्रवार को पहुंच रहे हैं. अगले दो दिन तक बिहार के रण के आधा दर्जन जिलों में अखिलेश-राहुल और तेजस्वी की तिकड़ी सियासी हुंकार भरती हुई नजर आएगी.
अखिलेश यादव बिहार में विपक्ष की एकजुटता का संदेश देंगे. इसके साथ-साथ सिवान, आरा, गोपालगंज और छपरा जैसे जिलों में राहुल-तेजस्वी के साथ अखिलेश 'वोटर अधिकार यात्रा' में शामिल होकर बीजेपी के खिलाफ सियासी माहौल बनाने की कवायद करेंगे.
बिहार में सियासी रण में अखिलेश यादव के उतरने के संकेत हैं कि 'इंडिया' ब्लॉक के जातिगत आधार को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है. आरजेडी के यादव-मुस्लिम समीकरण को अखिलेश यादव के 'पीडीए' फॉर्मूले के जरिए सियासी बूस्टर में बदलने की रणनीति मानी जा रही है.
अखिलेश-तेजस्वी-राहुल की तिकड़ी
बिहार चुनाव की विस्तृत कवरेज के लिए यहां क्लिक करें
बिहार विधानसभा की हर सीट का हर पहलू, हर विवरण यहां पढ़ें
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' में अखिलेश यादव भी शामिल हो रहे हैं. शुक्रवार और शनिवार दो दिनों तक अखिलेश बिहार में यात्रा करके बीजेपी के खिलाफ सियासी माहौल बनाते हुए नजर आएंगे. अखिलेश की सक्रियता से 'इंडिया' ब्लॉक के अभियान को धार मिलेगी. इसीलिए उनकी यात्रा का रोडमैप यूपी से सटे हुए ज्यादातर जिलों में रखा गया है.
यूपी की सियासत में 2024 के चुनाव में राहुल और अखिलेश यादव की सियासी जोड़ी हिट रही है. सपा और आरजेडी की सियासत का पैटर्न भी एक जैसा है और वोट आधार भी एक ही है. ऐसे में अखिलेश के बिहार की सियासी पिच पर उतरने से तेजस्वी यादव को भी ताकत मिलेगी. अखिलेश का आना यादव समाज को यह संदेश देने की कोशिश है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बिहार में भी यादव राजनीति को मजबूती देने का समय आ गया है. ऐसे में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की संयुक्त मौजूदगी एक संतुलित रणनीति मानी जा रही है.
बिहार में पीडीए फॉर्मूले का प्लान
अखिलेश यादव के 'वोट अधिकार यात्रा' में शामिल होने से 'पीडीए' का बूस्टर बिहार के एमवाई समीकरण को नई ऊर्जा दे सकता है. इसकी वजह है कि 2024 में सपा ने अपनी परंपरागत छवि एम-वाई से बाहर निकलकर 'पीडीए' फॉर्मूले पर चुनाव लड़ा था. अखिलेश का 'पीडीए' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूला सियासी तौर पर यूपी में हिट रहा है. सपा-कांग्रेस ने यूपी की 80 में से 43 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था, जिसमें 37 सीटें सपा जीती थी. अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव बिहार की राजनीति में इस रणनीति को आजमाने की तैयारी में हैं.
बिहार में विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश बढ़ चुकी है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जमीन पर उतरकर 'वोट अधिकार यात्रा' के जरिए सियासी माहौल अपने पक्ष में बनाने और 20 साल के सत्ता के वनवास को तोड़ने की कवायद में हैं. ऐसे में तेजस्वी पहले से ही अपनी पार्टी की छवि को बदलने में जुटे हैं और अब अखिलेश और राहुल गांधी के साथ मिलकर एक नई सोशल इंजीनियरिंग को अमलीजामा पहनाने की कोशिश है.
अखिलेश यादव ने साफ कहा कि बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' में शामिल होकर 'इंडिया' ब्लॉक को मजबूत करने के साथ-साथ लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है. बीजेपी और चुनाव आयोग ने जिस तरह गठजोड़ कर रखा है, इस बात को जनता समझ चुकी है. हम 'पीडीए' की लड़ाई लड़ रहे हैं और बिहार में भी 'पीडीए' की आवाज को उठाने का काम करेंगे. यह भारत की चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर एक बड़ी लड़ाई बन गई है.
बिहार में 'तीन लड़कों' की जोड़ी
'इंडिया' ब्लॉक के तीनों ही नेताओं की सियासी केमिस्ट्री काफी बेहतर है. बिहार में अखिलेश-तेजस्वी-राहुल की जोड़ी एक साथ सिवान, आरा, गोपालगंज जैसे जिलों में यात्रा करके 2025 के चुनावी जंग को फतह करने की रणनीति बना रही है. बिहार में एनडीए सरकार की अगुवाई कर रहे नीतीश कुमार के लिए यह 'वोटर यात्रा' मुश्किलें बढ़ा सकती है. राहुल-अखिलेश-तेजस्वी की तिकड़ी एमवाई वोटों को मजबूत करने के साथ पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोटों को एकजुट करने की रणनीति है.
बिहार में राहुल गांधी-तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' अपने पड़ाव की तरफ बढ़ रही है. अखिलेश ने कहा कि बीजेपी का सबसे बड़ा काम बुनियादी सवालों के जवाब न मिलने पर षड्यंत्र रचना है. जब बीजेपी को एहसास हुआ कि बिहार की जनता उनके खिलाफ है, तो उन्होंने एसआईआर के जरिए बड़े पैमाने पर वोटों में हेरफेर करने की साजिश रची है. उन्होंने कहा कि अगर एसआईआर की वाकई जरूरत होती, तो इसे एक साल पहले कराया जा सकता था. बीजेपी पहले लोगों के अधिकारों को छीनती थी और अब वे वोटों में हेराफेरी कर रहे हैं.
वहीं, बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' के जरिए राहुल-तेजस्वी सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली देने का काम कर रहे हैं. अभी तक बिहार की अस्मिता को ठेस पहुँचाने वाले नेताओं को बिहार बुलाकर प्रदेश की जनता का अपमान किया जा रहा है. अखिलेश यादव के बिहार आने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि प्रदेश के लोगों का विश्वास पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार पर है.
कुबूल अहमद