नागरिकता कानून के खिलाफ संसद तक मार्च निकाल रहे जामिया के स्टूडेंट्स का प्रदर्शन उग्र हो गया. पुलिस ने छात्रों पर लाठियां बरसाईं और आंसू गैस के गोले दागे. इस झड़प में कई स्टूडेंट्स बुरी तरह घायल हो गए हैं. देखें तस्वीरें.
जामिया मिलिया इस्लामिया के एक प्रोफेसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि छात्र नागरिकता कानून के खिलाफ शांतिपूर्वक मार्च निकाल रहे थे. मार्च में बड़ी संख्या में छात्राएं भी शामिल थीं.
छात्र मार्च में आगे बढ़े तो बड़ी संख्या में जामिया के आसपास के इलाके के स्थानीय लोग भी इसमें शामिल हो गए. इससे भीड़ कई गुना बढ़ गई थी.
मार्च जैसे ही थोड़ा आगे बढ़ा, कुछ लोगों की पुलिस के साथ झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर कराने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी दागे. इससे बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं घायल हो गए.
गुरुवार को राज्यसभा में पास होने के बाद राष्ट्रपति ने भी इस विधेयक में मुहर लगा दी थी. अब ये कानून में बदल चुका है. इस नये नागरिकता कानून को लेकर पूर्वोत्तर भारत में
स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. aajtak.in से बातचीत में जामिया मिलिया के पूर्व छात्र व आईसा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
फरहान अहमद ने बताया कि एनआरसी और नागरिकता कानून के खिलाफ ये रैली थी.
संसद मार्च निकाल रहे थे. हमें बैरीकेडिंग लगाकर रोका गया था. हम जामिया
रोड पर अभी भी प्रोटेस्ट कर रहे हैं. हमारे 40 स्टूडेंट को हिरासत में लिया
है. 30 लोग बदरपुर थाने में है, सरिता विहार में भी कुछ स्टूडेंट्स को ले
गए हैं.
असम ही नहीं पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों के शहरों में भी बंद और
कर्फ्यू के हालात हैं. यही नहीं उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ इलाके में सुबह प्रदर्शन के चलते पुलिस ने चाक-चौबंद व्यवस्था की थी.
जामिया मिलिया से मिली आधिकारिक सूचना के अनुसार शुक्रवार को जामिया टीचर्स एसोसिएशन ने प्रोटेस्ट कॉल किया था. टीचर्स ने ये विरोध प्रदर्शन जामिया के सात नंबर गेट पर किया था. इस प्रदर्शन में जामिया कर्मचारी एसोसिएशन, फोर्थ क्लास कर्मचारी एसोसिएशन शामिल थे. ये मार्च ढाई बजे होना था.
प्रदर्शन से पहले ही जामिया के मुख्य द्वार पर दिल्ली पुलिस के जवान भारी संख्या में मौजूद थे. पुलिस ने छात्रों पर टियर गैस के कई गोले दागे हैं. घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
जामिया शिक्षक संघ के ज्वाइंट सेक्रेटरी इरफान कुरैशी ने कहा कि अभी तक देश का संविधान समतामूलक भावना का है. उसमें हमें कोई धर्म के लिहाज से नहीं बांट सकता. जिस यूनिवर्सिटी में हम पढ़ाते हैं, हमारे पूर्व शिक्षकों और छात्रों ने देश की आजादी के लिए लड़ाई की है.
उन्होंने कहा कि जामिया की स्थापना इसी बुनियाद पर हुई थी कि हमने ब्रिटिश एजुकेशन सिस्टम को ठुकराया था. जामिया में पढ़ने वाले हमेशा देश के संविधान के मूल्यों की रक्षा के लिए लड़े हैं. हम आगे भी ये विरोध जारी रखेंगे.
पिंजरा तोड़ संगठन ने कहा है कि महिला छात्रावासों की अगुवाई में CAB और ऑल इंडिया NRC के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद जो कल जामिया में हुआ था, छात्रों ने इसके बाद आज संसद तक मार्च निकालने की तैयारी की थी.
सबसे पहले तो पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को मार्च शुरू करने की अनुमति नहीं दी. जब सभी सड़क पर निकले तो
छात्रों पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के बार-बार गोलियां
चलाई जा रही हैं. कई छात्र घायल हुए हैं और कई गैरकानूनी रूप से हिरासत में
लिए गए हैं.
संगठन ने कहा है कि एनआरसी और नागरिकता कानून के खिलाफ हमारा संघर्ष जारी रहेगा, फासीवादी पुलिस और राज्य मशीनरी हमारे गुस्से को रोक नहीं सकती. हिंदू राष्ट्र नहीं चलेगा.
बता दें कि देर रात तक जामिया मिलिया के बाहर छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन जारी था. छात्रों के समर्थन में FEDCUTA( Federation of Central Universities Teachers Associations ) ने बयान जारी किया है. संगठन के अध्यक्ष राजीब रे ने कहा कि संगठन छात्रों के साथ हुई इस बर्बरता की निंदा करता है.