'23 लाख में से कितने स्टूडेंट्स ने एग्जाम सेंटर बदले?', SC ने NTA से पूछे तीखे सवाल

NEET यूजी पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई चल रही है. मुख्य न्यायाधीश ने एनटीए और याचिकाकर्ताओं से पेपर लीक और टॉपर्स को लेकर कई सवाल किए हैं.

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CJI in NEET Paper leak CJI in NEET Paper leak

संजय शर्मा / नलिनी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 2:51 PM IST

नीट परीक्षा पपेर लीक विवाद में आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई चल रही है. चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच आज 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इन याचिकाओं में परीक्षा रद्द करना, दोबारा परीक्षा कराना और NEET-UG 2024 के संचालन में कथित गड़बड़ियों की जांच करना है. 

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश ने पेपर लीक मामले में एनटीए और याचिकाकर्ताओं से कई सवाल किए और अपनी बात भी रखी. सीजेआई ने कहा कि मामले में जल्दबाज़ी की जरूरत है, पूरे देश में छात्र इस मामले में फैसले का इंतजार कर रहे हैं. आइए जानते हैं सुनवाई के दौरान सीजेआई क्या कुछ कह रहे हैं.

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हमें संतुष्ट करिए कि पेपर लीक बड़े पैमाने पर हुआ है- CJI

सीनियर एडवोकेट हुड्डा ने शुरुआत में कहा कि सीबीआई को अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी थी, हमें लगा कि यह दाखिल की जाएगी और हमें दी जाएगी. इसपर मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 'मुझे गलत मत समझिए. मैं पूरी तरह पारदर्शिता के पक्ष में हूं, यह कोई सीलबंद लिफाफा प्रक्रिया नहीं है लेकिन जांच चल रही है. अगर यह खुलासा हो जाता है, तो इससे जांच प्रभावित हो सकती है. लोगों को परेशानी हो सकती है'. CJI ने याचिकाकर्ता को आगे कहा कि 'आप हमें संतुष्ट करिये कि पेपर लीक बड़े पैमाने पर हुआ है और परीक्षा रद्द होनी चाहिए. दूसरा इस मामले में जांच की दिशा क्या होना चाहिए वो भी हमें बताएं'. 

सीजेआई ने पूछा कि याचिकाकर्ताओं में कितने छात्र शामिल हैं. एनटीए ने कहा कि 1,08,000 के दायरे में न आने वाले 131 छात्र दोबारा परीक्षा चाहते हैं, जबकि 1,08,000 के दायरे में आने वाले 254 छात्र दोबारा परीक्षा का विरोध कर रहे हैं. इसपर सीनियर वकील ने कहा, कि 1 लाख आठ हजार के दायरे में आने वाले कुछ छात्र भी न्यायालय के समक्ष हैं, क्योंकि वे सरकारी सीटें चाहते हैं. CJI ने आगे पूछा कि इस मामले में सबसे कम अंक पाने वाले छात्र जो सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता हैं उनके मार्क्स कितने हैं? याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर आप 164 अंक लाते हैं तो आप पास हो जाते हो, लेकिन एडमिशन सीट के हिसाब से मिलती है.

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री-एग्जाम को लेकर क्या बोले सीजेआई?

सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि केवल इसलिए दोबारा परीक्षा का आदेश नहीं दिया जा सकता क्योंकि छात्र दोबारा परीक्षा देना चाहते हैं. दोबारा परीक्षा का आदेश तभी दिया जाएगा जब परीक्षा की पवित्रता से समझौता हो गया हो. यदि आप वैचारिक रूप से यह स्थापित करते हैं कि दागी और बेदाग के बीच अलगाव संभव नहीं है, तो पूरी परीक्षा को रद्द करना होगा.

NEET परीक्षा को लेकर IIT मद्रास का क्यों हुआ जिक्र?

आईआईटी मद्रास की रिपोर्ट को एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में दर्ज किया था. रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला था कि परीक्षा के परिणामों में असामान्यता का कोई संकेत नहीं था. रिपोर्ट में कहा गया है, "न तो किसी गड़बड़ी का संकेत था और न ही उम्मीदवारों के एक स्थानीय समूह को लाभान्वित किया जा रहा था, जिससे असामान्य अंक आए हैं. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में बात हुई है.

याचिकाकर्ता ने कहा कि IIT मद्रास की रिपोर्ट पर भरोसा नही कर सकते. CJI ने पूछा कि क्या आईआईटी मद्रास में काम करने वाला कोई NTA का पार्ट है. इसके बाद SG ने कहा कि वर्तमान में काम करने वाला कोई नहीं है. आईआईटी JEE का पूर्व सदस्य NTA का सदस्य है. इस पर सीजेआई ने पूछा कि NTA में आईआईटी JEE में क्या भूमिका है. SG ने कहा कुछ नहीं, IIT मद्रास के डायरेक्टर NTA के एक्स ऑफिशियल सदस्य होते हैं. लेकिन उन्होंने किसी दूसरे को इसके लिए नियुक्त किया था. इसके बाद सीजेआई ने कहा कि आईआईटी मद्रास की रिपोर्ट में क्या कुछ कहा गया है, वो बताया जाए.

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टॉपर्स को लेकर क्या बोले CJI

CJI ने कहा कि टॉप 100 छात्र में से आंध्र प्रदेश के सात, बिहार के सात, गुजरात के सात, हरियाणा के चार, दिल्ली के तीन, कर्नाटक के 6, केरल के 5, महाराष्ट्र के 5, तमिलनाडु के 8, उत्तर प्रदेश को 6, पश्चिम बंगाल के 5 टॉपर्स हैं. ऐसा लग रहा है कि टॉपर्स पूरे देश में फैले हुए हैं. सीजेआई ने आगे पूछा कि कितने छात्रों ने अपने परीक्षा केंद्र बदले और इनमें से कितने छात्र शीर्ष 100 में थे?

याचिकाकर्ता ने गिनाई एनटीए की गलतियां

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि एनटीए और सरकार अंकों में तेजी से हुई वृद्धि के लिए दो कारण बता रहे हैं. पहला पाठ्यक्रम में कमी और दूसरा उम्मीदवारों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि. 17 जुलाई को दायर की गई नई याचिका में छात्रों ने आरोप लगाया कि एनटीए का दावा है कि 25 प्रतिशत सिलेबस में कटौती की गई है, लेकिन एनटीए ने यह उल्लेख नहीं किया कि नया सिलेबस भी जोड़ा गया है.  याचिका में कहा गया है, "जो नया सिलेबस जोड़ा गया वह कक्षा 11वीं और 12वीं के प्रैक्टिकल हिस्से से था. जोड़ा गया हिस्सा परीक्षा से ठीक 6 महीने पहले अक्टूबर 2024 को सूचित किया गया था और छात्रों के पास अन्य सिलेबस के विपरीत अध्ययन के लिए कम समय था जिसके लिए उन्हें 2 साल मिले थे." याचिकाकर्ता के वकील नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि, 'सिलेबस में बढ़ोतरी का कोई जिक्र नहीं है.' 'सिलेबस में बढ़ोतरी और कमी दोनों हैं. वे सिलेबस में बढ़ोतरी के बारे में बात नहीं कर रहे हैं. मैं बढ़ा हुआ हिस्सा दिखा सकता हूं.'

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मिलीभगत के तार देश भर में फैले थे- CJI

NTA ने कहा कि देश भर के टॉप 100 छात्रों का एनालिसिस हुआ है, टॉपर्स अलग अलग सेंटर के हैं. इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि पायथन सॉफ्टवेयर पेपर लीक की गड़बड़ी नहीं पकड़ सकता, क्योंकि IIT ने एनालिसिस के लिए बेसिक नंबर 23 लाख रखा है, जबकि सांख्यिकीय तौर पर इसे 1 लाख 8 हजार रखना चाहिए था. आंकड़ा जानबूझ कर बढ़ाया गया क्योंकि इतने बड़े आंकड़े में गलती नहीं पकड़ी जा सकती है. पूरे देश को एसबीआई से पेपर दिया गया, लेकिन हरदयाल स्कूल में केनरा बैंक से पेपर दिया गया. प्रिंसिपल का कहना है कि निर्देश था कि छात्रों को केनरा बैंक का पेपर करने दिया जाए. उन्होंने स्कूल में सभी को ग्रेस मार्क्स दिए. इस अतिरिक्त मार्क्स की वजह से 6 लोगों को 720/720 मिले, उसी सेंटर के दो लोगों को 718 नंबर मिले हैं. CJI ने टॉप 100 की सूची पढ़ी. इसी बीच उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि ये मिलीभगत के तार देश भर में फैले थे. 12 राज्यों व एक केंद्र शासित प्रदेश में.

छात्रों के सेंटर बदलने पर क्या बोले सीजेआई?

सीजेआई ने पूछा कि छात्र फॉर्म में शहर भरते हैं या केंद्र? याचिकाकर्ता ने कहा कि सेंटर एनटीए तीन चार दिन पहले तय कर छात्र को हॉल टिकट यानी एडमिट कार्ड जारी करता है. सीजेआई ने आगे कहा कि जिन 67 छात्रों को 720/720 अंक मिले थे उनके बारे में बताइए. एसजी ने कहा के री-एग्जाम के बाद यह अंक कम हो गया है. सीजेआई ने कहा कि उनमें से कितने 1563 की लिस्ट में थे? एनटीए ने कहा- 44 छात्र थे. इन 44 छात्रों को ऐसे प्रश्नों के लिए अतिरिक्त नंबर दिए गए थे जिनमें एनसीईआरटी की बुक मे उस सवाल के दो जवाब मिलते थे.

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सीजेआई ने आगे कहा कि अभी तक की स्थिति के अनुसार, 61 छात्रों को 720/720 अंक मिले हैं, जिनमें से 44 ऐसे छात्र हैं जिन्हें एक प्रश्न के दो सही विकल्पों के चलते अतिरिक्त अंक मिले हैं. इसलिए वास्तव में इनकी संख्या 17 है. सीजेआई ने कहा कि पूरी परीक्षा में कितने छात्रों ने अपना सेंटर बदला? 23.33 लाख में से कितने छात्रों ने सेंटर बदला. एनटीए ने कहा कि 15,000 छात्र सुधार के लिए आए थे. 
CJI ने पूछा कि उन 15,000 में से कितनो ने अपना सेंटर बदला? ये प्रक्रिया कितने दिनों के लिए थी? CJI ने कहा कि छात्र केवल शहर बदल सकते है. इसका मतलब कोई भी उम्मीदवार केंद्र का चयन नहीं कर सकता और केंद्र का आवंटन सिस्टम के द्वारा ही दिया जाता है.

याचिकाकर्ता की ये मांग खारिज

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता स्टूडेंट्स के वकील नरेंद्र हुड्‌डा ने केस की दोबारा जांच की मांग की थी, जिसे CJI ने खारिज कर दिया. सीजीआई ने कहा कि केस की दोबारा जांच की जरूरत नहीं है.

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