NEET पेपर लीक: जानें कैसे होती है नेटवर्क मैपिंग? जिससे CBI निकालेगी आरोपियों की कुंडली, खुलेंगे कई राज!

हजारीबाग के संदिग्ध ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल को भी पकड़ लिया है और पूछताछ की जा रही है. सीबीआई ने जेल में बंद आरोपियों को रिमांड पर लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.इसके अलावा सीबीआई की टीम पेपर लीक केस की तह तक पहुंचने के लिए नेटवर्क मैपिंग का इस्तेमाल करेगी.

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CBI की टीम (सांकेतिक तस्वीर) CBI की टीम (सांकेतिक तस्वीर)

शशि भूषण कुमार

  • पटना,
  • 27 जून 2024,
  • अपडेटेड 10:53 AM IST

NEET पेपर लीक मामले में सीबीआई की टीम एक्शन में है. बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) से जांच रिपोर्ट और सबूत लेने के बाद सीबीआई की टीम ने कई जगहों पर छापा मारा है. सीबीआई ने जेल में बंद आरोपियों को रिमांड पर लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सबसे पहले 18 आरोपियों में से 2 आरोपियों चिंटू और मुकेश को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी. वहीं हजारीबाग के संदिग्ध ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल को भी पकड़ लिया है और पूछताछ की जा रही है. इसके अलावा सीबीआई की टीम पेपर लीक केस की तह तक पहुंचने के लिए नेटवर्क मैपिंग का इस्तेमाल करेगी.

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नेटवर्क मैपिंग क्या है?
दरअसल, नेटवर्क मैपिंग पुलिस को अपराधों की जांच करने और अपराधियों को पकड़ने में अधिक प्रभावी बनने में मदद करने वाला एक टेक्निकल तरीका है. पुलिस कई तरह के अपराधों की जांच और अपराधियों को पकड़ने के लिए नेटवर्क मैपिंग का इस्तेमाल करती है. इसका इस्तेमाल कई तरीकों से किया जाता है, जो इस तरह है-

संदिग्ध व्यक्तियों और संगठनों के बीच संबंधों को उजागर करना: पुलिस नेटवर्क मैप का इस्तेमाल सोशल मीडिया डेटा, फोन कॉल रिकॉर्ड और वित्तीय लेनदेन जैसे विभिन्न डेटा सोर्सेज से जानकारी को जोड़कर संदिग्ध व्यक्तियों और संगठनों के बीच संबंधों का पता लगाने के लिए कर सकती है.

क्राइम सीन का विश्लेषण: पुलिस घटनास्थल से बरामद सबूतों और डेटा को जोड़कर क्राइम सीन का विश्लेषण करने के लिए नेटवर्क मैप का इस्तेमाल कर सकती है.

मानव तस्करी और नशीले पदार्थों की तस्करी: पुलिस नेटवर्क मैप का उपयोग मानव तस्करी और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे अपराधों के नेटवर्क की पहचान करने और उन्हें रोकने करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकती है.

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गवाहों और पीड़ितों की सुरक्षा: पुलिस नेटवर्क मैप का इस्तेमाल गवाहों और पीड़ितों की सुरक्षा के लिए खतरों की पहचान करने और उन्हें कम करने के लिए भी किया जाता है. हालांकि नेटवर्क मैपिंग का इस्तेमाल गोपनीयता के अधिकारों का उल्लंघन किए बिना किया जाता है. पुलिस को नेटवर्क मैपिंग का इस्तेमाल केवल कानूनी रूप से प्राप्त डेटा के साथ और उचित न्यायिक प्राधिकरण के साथ  करना होता है.

बता दें कि अपराध और अपराधियों को पकड़ने के लिए नेटवर्क मैपिंग के अलावा क्राइम मैपिंग, ट्रैफिक मैपिंग, इंसिडेंट मैपिंग, प्रोटेक्शन मैपिंग और ऑनलाइन क्राइम मैपिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है.

सीबीआई कैसे करेगी आरोपियों की नेटवर्क मैपिंग?
सूत्रों के मुताबिक CBI पेपर लीक मामले में अबतक पकड़े गए सभी आरोपियों के 6 महीने पुराने लोकेशन और कनेक्शन को खंगालेगी. आरोपियों ने पिछले 6 महीने में किन नंबर्स का इस्तेमाल किया और उनका मूवमेंट क्या था इसकी पूरी कुंडली हर राज खोलेगी. जिनसे पूछताछ हो रही उनका कॉन्टेक्ट भी ट्रैक करेगी. CBI की नजर NTA से पेपर प्रिंटिंग प्रेस एजेंसी और कुरियर सर्विस से लेकर बैंक के ब्रांच तक है.

चिंटू और मुकेश को ही रिमांड पर क्यों लिया?
सीबीआई की टीम ने पेपर लीक मामले के 18 आरोपियों में से अभी केवल दो आरोपियों चिंटू और मुकेश को ही रिमांड पर लिया है. चिंटू और मुकेश दोनों संजीव मुखिया के गैंग में बेहद खास माने जा रहे हैं. इसलिए केस को सुलझाने में सबसे ज्यादा ये दोनों आरोपी ही मदद कर सकते हैं. क्योंकि पेपर आउट होने के बाद संजीव मुखिया ने अपने खासमखास चिंटू को ही उसे प्रिंट कराने के लिए भेजा था. संजीव मुखिया के अलावा चिंटू और मुकेश को गुमनाम प्रोफेसर के बारे में जानकारी हो सकती है. चिंटू और मुकेश से संजीव मुखिया के छिपे होने के ठिकाने के बारे में जानकारी मिल सकती है. ओएसिस स्कूल का कनेक्शन भी ये दोनों उगल सकते हैं.

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