NCERT ने किताबों का ऐसा क्या नाम रख दिया कि होने लगा विरोध, समझिए पूरा मामला

NCERT books Controversy: NCERT ने अलग-अलग कक्षाओं के लिए नई किताबों के शीर्षक हिंदी में दिए हैं. कक्षा 1 और 2 की अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों का नाम 'मृदंग' (Mridang, एक दक्षिण भारतीय वाद्य यंत्र) रखा गया है. कक्षा 3 की किताब का नाम 'संतूर' (Santoor, एक कश्मीरी लोक वाद्य यंत्र) है. कक्षा 6 की अंग्रेजी किताब का नाम 'हनीसकल' (Honeysuckle) से बदलकर 'पूर्वी' (Poorvi, एक राग का नाम) कर दिया गया.

Advertisement
NCERT books Controversy NCERT books Controversy

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 1:00 PM IST

NCERT books Controversy: तमिलनाडु में तीन-भाषा नीति और महाराष्ट्र में पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा पर घमासान थमा भी नहीं था कि NCERT की किताबों को लेकर नया विवाद शुरू हो गया. कुछ राज्यों में एनसीईआरटी की किताबों के नाम हिंदी और अंग्रेजी मीडियम के लिए एक जैसे रखे जाने का विरोध किया जा रहा है. खासकर केरल और तमिलनाडु में इसे 'हिंदी थोपने' और भाषाई विविधता पर हमला बताया जा रहा है.

Advertisement

NCERT की किताबों पर विवाद क्यों?
दरअसल, नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने हाल ही में अंग्रेजी माध्यम की पाठ्यपुस्तकों को हिंदी शीर्षक देने का फैसला लिया. इस कदम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) 2023 के तहत लागू किया गया है, लेकिन कुछ राज्यों में इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया.

NCERT की नई किताबों के नाम, जिनका हो रहा विरोध
NCERT ने अलग-अलग कक्षाओं के लिए नई किताबों के शीर्षक हिंदी में दिए हैं. कक्षा 1 और 2 की अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों का नाम 'मृदंग' (Mridang, एक दक्षिण भारतीय वाद्य यंत्र) रखा गया है. कक्षा 3 की किताब का नाम 'संतूर' (Santoor, एक कश्मीरी लोक वाद्य यंत्र) है. कक्षा 6 की अंग्रेजी किताब का नाम 'हनीसकल' (Honeysuckle) से बदलकर 'पूर्वी' (Poorvi, एक राग का नाम) कर दिया गया. कक्षा 7 की अंग्रेजी किताब भी 'पूर्वी' नाम से प्रकाशित हुई है. जिसमें कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, गोवा, चेन्नई, तमिलनाडु समेत कई राज्यों से उदाहरण लिए गए हैं. इनके अलावा गणित की किताब का नाम 'गणित प्रकाश' रखे जाने का भी विरोध किया जा रहा है.

Advertisement

NCERT का क्या कहना है?
किताबों के टाइटल हिंदी में दिए जाने पर एनसीईआरटी का कहना है कि  ये किताबें सभी 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेट की गई हैं, जिससे देशभर के छात्रों के लिए समान पहुंच सुनिश्चित हो. 

NCERT का कहना है कि यह परंपरा पहले से चली आ रही है, और ये शीर्षक न तो अनुवाद योग्य हैं और न ही बदले जा सकते हैं, क्योंकि इनमें गहरे सांस्कृतिक और भाषाई अर्थ हैं. पाठ्यपुस्तकों के नाम भारतीय शास्त्रीय संगीत और सांस्कृतिक परंपराओं से प्रेरित हैं, जो NEP 2020 के सांस्कृतिक जड़ों को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण के अनुरूप है. नाम जैसे 'मृदंग', 'संतूर', और 'पूर्वी' भारत की साझा विरासत को दर्शाते हैं और बच्चों में भारतीय संस्कृति के प्रति गर्व और परिचय की भावना जगाते हैं.

NCERT ने आगे कहा कि मैथ्स की किताब का "गणित प्रकाश" टाइटल भारत की समृद्ध गणितीय विरासत से लिया गया है. यह शीर्षक आर्यभट्ट, भास्कराचार्य, ब्रह्मगुप्त और श्रीनिवास रामानुजन जैसे महान भारतीय गणितज्ञों के योगदान को दर्शाता है.

तमिलनाडु में तीन भाषा नीति का विरोध
तमिलनाडु में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत तीन भाषा नीति का विरोध कई ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक कारणों से हो रहा है। यह नीति स्कूलों में तीन भाषाओं- मातृभाषा, अंग्रेजी, और एक अन्य भारतीय भाषा के अध्ययन को बढ़ावा देती है, लेकिन तमिलनाडु इसे हिंदी थोपने का प्रयास मानता है. राज्य के कई नेताओं ने इसे संस्कृत के जरिए उनकी पुरानी विरासत को खत्म करने की कोशिश कहा है. इसी वजह से हिंदी और संस्कृत का विरोध हो रहा है.

Advertisement

हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा था कि हिंदी सिर्फ मुखौटा है और केंद्र सरकार की असली मंशा संस्कृत थोपने की है. उन्होंने था कि हिंदी की वजह से उत्तर भारत में अवधी, बृज जैसी कई बोलियां खत्म हो गईं, राजस्थान में भी उर्दू को हटाकर संस्कृत थोपने की कोशिश की जा रही है.

1963 में जब हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने का प्रस्ताव आया था तब भी तमिलनाडु में हिंसक आंदोलन हुए थे. कई मौतों के बाद चार साल बाद भाषा नीति में संशोधन करना पड़ा और हिंदी के साथ अंग्रेजी भी आधिकारिक भाषा बनी रही.

महाराष्ट्र में भी हिंदी का विरोध
महाराष्ट्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) को लागू करने का फैसला लिया है. इस नीति के तहत 2025-26 से राज्य में मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा, जिसका विरोध हो रहा है. विपक्षी दल और क्षेत्रीय नेता इस कदम को मराठी पहचान पर चोट मान रहे हैं. राज ठाकरे ने इस पर यहां तक कह दिया कि हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं. अगर हिंदी थोपने की कोशिश की तो टकराव तय है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement