भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के लिए 114 राफेल फाइटर जेट्स की खरीद का प्रस्ताव चर्चा में है. यह डील 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की हो सकती है. 'मेक इन इंडिया' के तहत बनेगी. लेकिन सवाल है- इन्हें कौन बनाएगा? फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन खुद या कोई भारतीय प्राइवेट कंपनी? साथ ही, नए राफेल (F5 वेरिएंट) और पुराने (F3R या F4) में क्या अंतर होगा?
114 राफेल जेट्स का डील: पृष्ठभूमि
भारतीय वायुसेना ने पहले 36 राफेल जेट्स फ्रांस से खरीदे थे, जो 2016 के डील के तहत आए. ये जेट्स ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के खिलाफ सफल साबित हुए. अब आईएएफ ने रक्षा मंत्रालय को 114 और राफेल जेट्स का प्रस्ताव भेजा है, जो मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) टेंडर का हिस्सा है. यह डील सरकारी-से-सरकारी समझौते के तहत हो सकती है, जिसमें 60% से ज्यादा स्वदेशी सामग्री होगी.
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यह प्रस्ताव सितंबर 2025 में डिफेंस प्रोक्योरमेंट बोर्ड (डीपीबी) और डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (डीएसी) के पास जाएगा. अगर मंजूर हुआ, तो भारत के पास कुल 176 राफेल हो जाएंगे (36 आईएएफ + 36 नौसेना के लिए + 114 नए). डैसो एविएशन ने कहा है कि ये जेट्स भारत में ही बनेंगे, जो फ्रांसीसी-भारतीय रक्षा साझेदारी को मजबूत करेगा.
कौन बनाएगा 114 राफेल: दसॉल्ट खुद या प्राइवेट कंपनी?
यह डील मेक इन इंडिया पर आधारित है, इसलिए जेट्स पूरी तरह भारत में ही बनेंगे. लेकिन निर्माण की जिम्मेदारी दसॉल्ट एविएशन की होगी, जो फ्रांस की सरकारी कंपनी है. डैसो खुद जेट्स का डिजाइन और फाइनल असेंबली करेगी, लेकिन भारतीय प्राइवेट कंपनियों के साथ साझेदारी में. मुख्य पार्टनर टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) है, जो प्राइवेट सेक्टर की बड़ी कंपनी है.
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दसॉल्ट की भूमिका: दसॉल्ट टेक्नोलॉजी ट्रांसफर देगी और क्वालिटी कंट्रोल करेगी. जून 2025 में दसॉल्ट और टाटा ने चार प्रोडक्शन ट्रांसफर एग्रीमेंट्स साइन किए, जिसके तहत राफेल का पूरा फ्यूजलेज (मुख्य बॉडी) हैदराबाद की टाटा फैसिलिटी में बनेगा. यह पहली बार होगा जब राफेल का फ्यूजलेज फ्रांस के बाहर बनेगा. दसॉल्ट ने कहा कि यह सप्लाई चेन को मजबूत करेगा. भारत को ग्लोबल एयरोस्पेस मार्केट में बड़ा रोल देगा.
प्राइवेट कंपनी की भूमिका: टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (टीएएसएल) मुख्य प्राइवेट पार्टनर है. वे फ्यूजलेज के अलावा विंग्स और अन्य पार्ट्स बनाएंगे. डैसो विंग्स मैन्युफैक्चरिंग को भी किसी भारतीय प्राइवेट फर्म को आउटसोर्स करने की बात कर रही है. अन्य भारतीय कंपनियां जैसे रिलायंस डिफेंस या एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) भी शामिल हो सकती हैं, लेकिन मुख्य फोकस प्राइवेट सेक्टर पर है. एचएएल को पहले डील में शामिल नहीं किया गया था, क्योंकि डैसो ने वारंटी की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहा.
अन्य सुविधाएं: दसॉल्ट हैदराबाद में राफेल के M-88 इंजनों के लिए मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहॉल (एमआरओ) फैसिलिटी बनाएगी. इससे जेट्स की सर्विसिंग भारत में ही होगी, जो लागत बचाएगी. कुल मिलाकर, दसॉल्ट लीड करेगी, लेकिन प्राइवेट कंपनियां जैसे टाटा निर्माण का बड़ा हिस्सा संभालेंगी.
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नए राफेल (F5 वेरिएंट) और पुराने (F3R/F4) में क्या फर्क?
भारत के पहले 36 राफेल F3R स्टैंडर्ड के हैं, जो मल्टी-रोल फाइटर हैं. नए 114 जेट्स F5 वेरिएंट के हो सकते हैं, जो 2030 तक तैयार होंगे. F5 'सुपर राफेल' कहलाएगा, जो पुराने मॉडल से कहीं ज्यादा एडवांस्ड होगा. मुख्य अंतर इस प्रकार हैं...
F5 पुराने से ज्यादा महंगा लेकिन उन्नत होगा, जो चीन और पाकिस्तान जैसे खतरों का सामना करने में मदद करेगा.
114 राफेल का डील दसॉल्ट और भारतीय प्राइवेट कंपनियों (जैसे टाटा) के साझा प्रयास से बनेगा, जो स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देगा. नए F5 वेरिएंट पुराने से ज्यादा शक्तिशाली, ड्रोन-सपोर्टेड और हाइपरसोनिक होगा. यह डील भारत की रक्षा को मजबूत करेगी. अगर मंजूर हुई, तो 2028 से उत्पादन शुरू हो सकता है.
ऋचीक मिश्रा