अलास्का में साथ उतरेंगी भारत और अमेरिका की सेनाएं, ऑपरेशन 'सिंदूर' के बाद पहला साझा सैन्य अभ्यास

अलास्का में ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक होने वाली है. वहीं पर इंडियन आर्मी के 400 जवान जा रहे हैं. असल में अमेरिका और भारत की सेनाएं एक बड़े सैन्य अभ्यास की तैयारी में हैं. 'युद्ध अभ्यास 2025' अलास्का में 1 से 14 सितंबर तक होगा. मद्रास रेजिमेंट के नेतृत्व में यह अभ्यास आतंकवाद रोधी और आपदा राहत पर फोकस करेगा.

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पिछले साल युद्ध अभ्यास महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में हुआ था. (File Photo: ADGPI) पिछले साल युद्ध अभ्यास महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में हुआ था. (File Photo: ADGPI)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 13 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:38 PM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ टैरिफ (शुल्क) को लेकर बहस में हैं. इस विवाद के बीच ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अलास्का में बैठक होने वाली है. वही पर भारत और अमेरिका की सेनाएं एक बड़े सैन्य अभ्यास की तैयारी में हैं. इसका नाम है 'युद्ध अभ्यास' (Yudh Abhyas). इस साल इसका 21वां संस्करण 1 सितंबर से 14 सितंबर 2025 तक अलास्का अमेरिका में होगा.

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यह अभ्यास दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करेगा. आइए, जानते हैं कि यह अभ्यास क्या है? कैसे होगा? ऑपरेशन सिंदूर के सबक इसमें कैसे काम आएंगे?

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युद्ध अभ्यास क्या है?

'युद्ध अभ्यास' एक सालाना संयुक्त मिलिट्री वॉरगेम है, जो 2004 से शुरू हुआ. यह भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच होता है. हर साल यह भारत या अमेरिका में बारी-बारी से आयोजित होता है. पिछले साल यानी 2024 में इसका 20वां संस्करण राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में हुआ था.

इस बार यह अलास्का में होगा, जहां ठंडे और ऊंचे पहाड़ी इलाकों में अभ्यास होगा. इसका मकसद दोनों देशों की सेनाओं को एक साथ मिलकर आतंकवाद रोधी (counter-terrorism) ऑपरेशन करने की ट्रेनिंग देना है.

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इस बार क्या खास है?

इस बार 'युद्ध अभ्यास' का दायरा और जटिलता बढ़ गई है. भारत से करीब 400 से ज्यादा सैनिक हिस्सा लेंगे, जो पिछले साल से ज्यादा है. इनमें मद्रास रेजिमेंट के जवान लीड करेंगे. सभी तरह की सैन्य इकाइयां (जैसे पैदल सेना, टैंक और सहायक बल) शामिल होंगी. अमेरिकी सेना भी अपने नए हथियार और तकनीक दिखाएगी.

खास बात यह है कि अमेरिका अपनी 'स्ट्राइकर' गाड़ी का पानी में चलने वाला (amphibious) संस्करण पेश करेगा. भारत ने पहले स्ट्राइकर की जमीन वाली संस्करण की टेस्टिंग की थी. अब पानी में चलने वाली क्षमता की जांच मांगी थी. अगर यह सफल रहा, तो भारत इसे खरीदने पर विचार कर सकता है.

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ऑपरेशन सिंदूर के सबक

इस अभ्यास में अमेरिकी सेना भारत के हाल के ऑपरेशन सिंदूर से सीख लेना चाहती है. ऑपरेशन सिंदूर एक सैन्य कार्रवाई थी, जिसमें भारत ने आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए थे. इस ऑपरेशन में भारत ने अपनी रणनीति, ताकत और तकनीक का शानदार इस्तेमाल किया था.

अमेरिकी सेना इस बार इन सबक को देखेगी, जैसे कि आतंकवादियों से निपटने के लिए संयुक्त योजना बनाना और असली हालात जैसा अभ्यास करना. दोनों सेनाएं मिलकर आतंकवाद रोधी मिशन की तैयारी करेंगी, जो संयुक्त राष्ट्र के नियमों (Chapter VII) के तहत होगा.

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अभ्यास में क्या होगा?

इस 14 दिन के अभ्यास में कई गतिविधियां शामिल होंगी...

  • आतंकवाद रोधी ड्रिल: दोनों देशों की सेनाएं मिलकर आतंकवादी हमले का जवाब देने की प्रैक्टिस करेंगी.
  • संयुक्त योजना: सैनिक एक साथ मिलकर रणनीति बनाएंगे.
  • फील्ड ट्रेनिंग: असली जंग जैसे हालात में अभ्यास होगा.
  • सहयोग और दोस्ती: दोनों सेनाएं एक-दूसरे से नई तकनीक और तरीके सीखेंगी.
  • प्राकृतिक आपदा राहत: पहाड़ी और ठंडे इलाकों में आपदा से निपटने की ट्रेनिंग भी होगी.

यह अभ्यास दोनों सेनाओं के बीच आपसी समझ, दोस्ती और सहयोग को बढ़ाएगा. इससे भारत और अमेरिका के रिश्ते भी मजबूत होंगे.

क्यों जरूरी है यह अभ्यास?

आज के समय में आतंकवाद और सीमा पर तनाव बढ़ रहा है. भारत और अमेरिका दोनों को मजबूत सैन्य सहयोग की जरूरत है. इस अभ्यास से दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के साथ बेहतर तरीके से काम करना सीखेंगी. साथ ही, यह भारत के लिए अमेरिकी तकनीक (जैसे स्ट्राइकर गाड़ी) को अपनाने का मौका भी है. ट्रंप के साथ व्यापारिक तनाव के बावजूद, यह अभ्यास दोनों देशों की सैन्य दोस्ती को दिखाता है.

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