ब्रिटेन के गोरखा जवान पाकिस्तान बॉर्डर के पास क्यों आए थे?

ब्रिटेन के गोरखा जवान पाकिस्तान बॉर्डर के पास युद्ध के लिए नहीं, बल्कि भारत-ब्रिटेन के संयुक्त अभ्यास अजेय वॉरियर-2025 के लिए आए थे. राजस्थान के महाजन रेंज में 17 नवंबर से 1 दिसंबर तक चला ये अभ्यास आतंकवाद के खिलाफ शांति स्थापना पर केंद्रित था. दोनों सेनाओं ने मिलकर ट्रेनिंग की और दोस्ती बढ़ाई.

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महाजन रेंज में युद्धाभ्यास करने वायुसेना के हेलिकॉप्टर से जाते दोनों ब्रिटिश गोरखा और भारतीय सिख बटालियन के जवान. (Photos: X/ADGPI) महाजन रेंज में युद्धाभ्यास करने वायुसेना के हेलिकॉप्टर से जाते दोनों ब्रिटिश गोरखा और भारतीय सिख बटालियन के जवान. (Photos: X/ADGPI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:24 AM IST

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही थी कि ब्रिटेन की गोरखा बटालियन के जवान पाकिस्तान बॉर्डर के बहुत पास पहुंच गए हैं. लोग अफवाहें उड़ा रहे थे. लेकिन सच कुछ और ही है. दरअसल, ये जवान युद्ध करने नहीं बल्कि भारत और ब्रिटेन की सेनाओं का संयुक्त सैन्य अभ्यास करने आए थे.

इसका नाम है – अजेय वॉरियर (Ajeya Warrior). ये अभ्यास हर दो साल में होता है. इस बार ये इसका 8वां संस्करण था. पहला अभ्यास 2013 में शुरू हुआ था. हर बार जगह बदलती है – कभी भारत में, कभी ब्रिटेन में. इस बार भारत की बारी थी.

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कब-कहां चला अभ्यास?

  • तारीख: 17 नवंबर 2024 से 1 दिसंबर 2024 तक (पूरे 15 दिन).
  • जगह: महाजन फील्ड फायरिंग रेंज, बीकानेर (राजस्थान)
  • दूरी: पाकिस्तान बॉर्डर से करीब 80-100 किमी दूर
  • ये जगह बहुत बड़ी है – 3 लाख एकड़ से ज्यादा – और यहां रियल गोला-बारूद के साथ ट्रेनिंग होती है.

कौन-कौन से जवान आए?

  • ब्रिटेन की तरफ से: 2nd Battalion, The Royal Gurkha Rifles की A (Amboor) Company. कुल जवान: करीब 120 गोरखा सैनिक. कमांडिंग ऑफिसर: मेजर रिचर्ड बटलर.
  • भारत की तरफ से: 21 सिख रेजिमेंट (21 SIKH). कुल जवान: करीब 120. कमांडिंग ऑफिसर: कर्नल गुरप्रीत सिंह.

इस बार का खास टॉपिक क्या था?

पहले के अभ्यासों से कहीं ज्यादा मुश्किल ट्रेनिंग थी. इस बार का थीम था- आतंकवाद के खिलाफ शांति स्थापित करने का ऑपरेशन. यूनाइटेड नेशंस के चैप्टर-7 के तहत Peace Enforcement Operation मतलब – मान लो किसी शहर पर आतंकवादी कब्जा कर लें, तो उसे कैसे छुड़ाया जाए और आम लोगों को कैसे बचाया जाए.

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दिन-रात क्या-क्या हुआ?

IED (रोड के नीचे छिपे बम) ढूंढना और निष्क्रिय करना. छोटे ड्रोन से हमला और ड्रोन को मार गिराना. शहर और गांवों में घर-घर लड़ाई की प्रैक्टिस. नाइट विजन के साथ रात में ऑपरेशन. मेडिकल इवैक्यूएशन (घायलों को हेलिकॉप्टर चिनूक से निकालना). एक-दूसरे के हथियार चलाना – गोरखा जवानों ने भारतीय INSAS राइफल चलाई, सिख जवानों ने ब्रिटिश SA-80 राइफल.

सबसे बड़ा फाइनल अभ्यास

30 नवंबर और 1 दिसंबर को 48 घंटे का लगातार ऑपरेशन हुआ. दोनों देशों के जवान एक ही कमांड के नीचे लड़े. एक काल्पनिक शहर पर आतंकवादियों ने कब्जा कर रखा था. दोनों सेनाएं मिलकर शहर को खाली करवाती हैं. असली गोली, असली ग्रेनेड, असली धुआं बम – सब इस्तेमाल हुए. भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर ने सपोर्ट दिया.

दोनों देशों के बड़े अधिकारी क्या बोले?

ब्रिटिश हाई कमिश्नर लिंडी कैमरन ने कहा कि ये अभ्यास भारत-ब्रिटेन 2035 विजन का हिस्सा है. हम मिलकर दुनिया में शांति चाहते हैं. भारतीय सेना के जनरल ऑफिसर ने कहा कि गोरखा और सिख जवानों का तालमेल देखकर गर्व हुआ. दोनों दुनिया की सबसे बहादुर रेजिमेंट्स हैं.

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ट्रेनिंग के अलावा क्या-क्या हुआ?

सुबह 5 बजे साथ दौड़ लगाई. गुरुद्वारे में लंगर खाया. गोरखा जवानों ने खुकरी डांस दिखाया. सिख जवानों ने गतका (पंजाबी मार्शल आर्ट) सिखाया. फुटबॉल और वॉलीबॉल मैच हुए – ब्रिटेन ने फुटबॉल जीता, भारत ने वॉलीबॉल.

अफवाह क्यों फैली?

क्योंकि महाजन रेंज पाकिस्तान बॉर्डर के बहुत पास है. गोरखा जवान ब्रिटिश यूनिफॉर्म में थे, इसलिए कुछ लोगों ने सोचा कि ब्रिटिश आर्मी भारत-पाक युद्ध में शामिल हो गई. सच ये है कि ये सिर्फ ट्रेनिंग थी – दो दोस्त देशों की. दोनों मिलकर आतंकवाद से लड़ना सीख रहे थे, किसी देश से नहीं.

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